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चैक पोस्टों से जल्द हटेंगे पूर्व विधायक के भाई
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भोपाल, विशेष संवाददाता। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में कांग्रेसी नेताओं, विधायकों ने अपने परिजनों, रिश्तेदारों को किस प्रकार अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाया, इसका एक उदाहरण परिवहन विभाग में भी देखने को मिला है। राज्य में सत्ता परिवर्तन से पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का साथ छोडऩे वाले कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक रामनिवास रावत ने कमलनाथ सरकार के सत्ता में आते ही परिवहन विभाग में प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ अपने दोनों सगे भाईयों की शिफारिश कर उन्हें प्रमुख दो-तीन परिवहन चैक पोस्टों का प्रभारी बनवा दिया। प्रदेश में सरकार भलें बदल गई हो, लेकिन दोनों रावत बंधु आज भी प्रमुख परिवहन चैक पोस्टों पर ही पदस्थ हैं तथा इन चैक पोस्टों पर वाहन चालकों से अवैध वसूली भी खुलेआम जारी है।
मध्यप्रदेश में सरकार के पुनर्गठन के बाद मुख्यमंत्री के साथ-साथ राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी प्रभावशाली भूमिका में हैं। उनके साथ कांग्रेस छोडक़र आए पूर्व विधायकों को सरकार का लगभग आधा मंत्रिमण्डल सौंपा गया है। इनमें महिला एवं बाल विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, स्वास्थ्य, ग्रामीण एवं पंचायत, उद्योग, ऊर्जा, लोक निर्माण एवं राजस्व व परिवहन जैसे महत्वपूर्ण विभाग श्री सिंधिया के समर्थक पूर्व विधायकों के पास हैं। परिवहन विभाग में मंत्री फिर से गोविंद सिंह राजपूत को बनाया गया है, जो पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार में भी इस विभाग के मंत्री थे। इस दौरान पूर्व विधायक रामनिवास रावत ने संभवत: उन्हीं से अथवा मुख्यमंत्री से शिफारिश कर परिवहन विभाग में प्रधान आरक्षक भाईयों को प्रदेश की दो और तीन महत्पपूर्ण चैक पोस्टों का प्रभारी बनवा दिया। इनमें उनके एक भाई भरत रावत को जिला मंदसौर की जमालपुर और लेडी चौराहा चैक पोस्टों पर पदस्थ किया गया तथा दूसरे भाई रामप्रकाश रावत को चैक पोस्ट ऊमरथाना सहित दो अन्य का प्रभारी बनाया गया है। इन चौकियों को विभाग भलें छोटी चैक पोस्ट मानता हो, लेकिन वाहन चालकों से अवैध वसूली कर भारी उगाही किए जाने के लिए यह सभी परिवहन चौकियां बहुत अधिक बदनाम हैं। प्रदेश में अब सरकार भी बदल चुकी है और परिवहन आयुक्त भी। विभाग में पिछले साढ़े तीन महीने में हुई पदस्थापनाओं को लेकर विभागीय मंत्री ने जिस तरह सजगता दिखाई है, उससे लगता है कि जल्द ही विभाग में बड़ा फेरबदल होना तय है। ऐसी स्थिति में परिवहन मंत्री श्री राजपूत ने सिंधिया का साथ छोडऩे वाले पूर्व विधायक रामनिवास रावत की शिफारिश को फिर से नहीं माना, तो श्री रावत के दोनों भाईयों का न केवल प्रमुख चैक पोस्टों से जल्द ही हटाया जाना तय है, बल्कि रोटेशन के तहत उन्हें मैदानी पदस्थापना से भी हटाया जाएगा।
मंत्री-अधिकारियों ने खूंठी पर टांगे खुद के बनाए नियम
पूर्ववर्ती शिवराज सरकार में परिवहन विभाग में (प्रवर्तन)के अधिकारियों/कर्मचारियों की पदस्थापना/रोटेशन के संबंध में प्रचलित स्थानांतरण/ रोटेशन नीति को कमलनाथ सरकार ने निरस्त कर 'परिवहन (प्रवर्तन) स्थापना बोर्ड' बनाया था। इस बोर्ड के पदाधिकारियों, विभागीय अधिकारियों, परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री तक को पदस्थापना/स्थानांतरण के लिए बनाए गए नियमों और शर्तों का पालन करना था। इन शर्तों और नियमों को न केवल बोर्ड के पदाधिकारियों ने प्रस्ताव तैयार करने में तोड़ा, बल्कि तत्कालीन विभागीय मंत्री गोविंद राजपूत और तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ तक ने अनुशंसा करते हुए भी इस पर आपत्ति नहीं ली। 'परिवहन (प्रवर्तन) स्थापना बोर्ड' को जिन शर्तों के अधीन पदस्थापना/रोटेशन प्रस्ताव तैयार करना था, उसके अनुसार छ: माही रोटेशन प्रणाली व्यवस्था में अधिक राजस्व वाले मुख्य परिवहन चैक पोस्टों पर परिवहन निरीक्षक की तैनाती को प्राथमिकता दी जानी थी। परिवहन निरीक्षकों की अनुपलब्धता की स्थिति में ही परिवहन उप निरीक्षकों को चैक पोस्टों के प्रभारी के तौर पर पदस्थ किया जाना था। लेकिन बोर्ड ने सारे नियम और शर्तों को खूंठी पर टांगा और कई प्रमुख तथा एक से अधिक चैक पोस्टों पर प्रधान आरक्षकों को ही पदस्थ किया गया। इतना ही नहीं पूरी तरह नियम विरुद्ध कई आरक्षकों तक को परिवहन चैक पोस्टों का प्रभारी बना डाला था। यह सब तत्कालीन परिवहन आयुक्त शैलेन्द्र श्रीवास्तव के कार्यकाल में हुआ, हालांकि वी. मधुकुमार ने परिवहन आयुक्त बनने के बाद इसमें आंशिक संशोधन कर आरक्षकों को चैक पोस्ट प्रभारी की पदस्थापना से हटा दिया था। वर्तमान में कई परिवहन निरीक्षक और उप निरीक्षक मुख्यालय अटैच अथवा उडऩदस्ता में बैठे हैं। वहीं रोटेशन नियमों को भी भंग कर प्रधान आरक्षकों को लगातार एक से अधिक बार चैक पोस्टों का प्रभारी बनाया गया है। रोटेशन नियमों को परिवहन निरीक्षकों और उप निरीक्षकों की पदस्थापना में भी तोड़ा गया है। नवागत परिवहन आयुक्त अगर विभाग में सुचिता को प्राथमिकता देंगे तो भ्रष्टाचार की जड़ पदस्थापनाओं में इन अनियमितता में जरूर सुधार करेंगे। इस विभागीय अनियमितता को लेकर परिवहन आयुक्त मुकेश कुमार जैन से फोन पर संपर्क किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।