मप्र में वित्त मंत्री देवड़ा ने पेश किया मोहन यादव सरकार का पहला बजट, जानिए किस वर्ग को क्या दिया ?

मप्र में वित्त मंत्री देवड़ा ने पेश किया मोहन यादव सरकार का पहला बजट, जानिए किस वर्ग को क्या दिया ?
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अंतरिम बजट में करारोपण संबंधी कोई प्रस्ताव नहीं

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र के चौथे दिन सोमवार को डॉ. मोहन सरकार का पहला अंतरिम बजट (लेखानुदान) पेश किया गया। उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने पटल पर वर्ष 2024-25 के लिए एक लाख 45 हजार 229.55 करोड़ रुपये का लेखानुदान प्रस्तुत किया। लेखानुदान के माध्यम से विभागों को अप्रैल से जुलाई 2024 तक विभिन्न योजनाओं में खर्च के लिए राशि आवंटित की गई है। लेखानुदान में करारोपण संबंधी नए प्रस्ताव और खर्च की नई मद शामिल नहीं है। इस मौके पर वित्त मंत्री देवड़ा ने कहा कि प्रदेश सरकार मोदी की गारंटी पर काम कर रही है। लेखानुदान की प्राप्त राशि जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट में शामिल की जाएगी।

मप्र विधानसभा के बजट सत्र का सोमवार को चौथा दिन है। सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने पटल पर वर्ष 2024-25 के लिए लेखानुदान प्रस्तुत किया। एक लाख 45 हजार करोड़ रुपये से अधिक के लेखानुदान के माध्यम से विभागों को अप्रैल से जुलाई 2024 तक विभिन्न योजनाओं में राशि व्यय करने के लिए आवंटित की गई है। लेखानुदान में करारोपण संबंधी नए प्रस्ताव तथा व्यय के नए मद शामिल नहीं हैं। इसमें द्वितीय अनुपूरक अनुमान में शामिल नई योजनाओं के लिए प्रावधान किए गए हैं।

वित्त मंत्री देवड़ा ने कहा कि लेखानुदान द्वारा प्राप्त राशि चार माह बाद पेश होने वाले मुख्य बजट में शामिल की जाएगी। इस लेखानुदान में औद्योगिक केंद्रों के विकास, स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने संशोधित नीति के अनुरूप अनुदान देने, सड़क नेटवर्क मजबूत करने, एक्सप्रेस-वे निर्माण को गति देने के लिए भी धनराशि का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि अभी चार माह के लिए अंतरिम बजट लाया गया है। इसमें कोई नई योजना फिलहाल नहीं लाई जा रही है। अंतरिम बजट सभी वर्गों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। सरकार आम चुनाव के बाद जुलाई में पूर्ण बजट प्रस्तुत करेगी।

2024-25 के बजट अनुमान में आय व खर्च

  • - कुल राजस्व प्राप्तियां दो लाख 52 हजार 268.03 करोड़ रुपये
  • - राज्य कर से राजस्व प्राप्तियां 96 हजार 553.30 करोड़ रुपये
  • - गैर कर राजस्व प्राप्तियां 18 हजार 077.33 करोड़ रुपये
  • - राजस्व व्यय दो लाख 51 हजार 825.13 करोड़ रुपये
  • - पुनरीक्षित अनुमान में राजस्व व्यय 2 लाख 31 हजार 112.34 करोड़ रुपये
  • - बजट अनुमान में राजस्व आधिक्य 442.90 करोड़ रुपये
  • - कुल पूंजीगत प्राप्तियां का बजट अनुमान 59 हजार 718.64 करोड़ रुपये
  • - कुल पूंजीगत परिव्यय का बजट अनुमान 59 हजार 342.48 करोड़ रुपये

लेखानुदान में मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना अंतर्गत प्रति क्विंटल दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि के लिए प्रावधान किया गया है। लाड़ली बहना को प्रतिमाह दी जाने वाली एक हजार 250 रुपये की राशि के हिसाब से चार माह का आवंटन महिला एवं बाल विकास विभाग को दिया जाएगा तो किसानों को बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराने के लिए सहकारिता विभाग को ब्याज अनुदान योजना में राशि मिलेगी। तीन वर्षों के लिए 105 करोड़ रुपये की स्वीकृति सरकार ने दी है। प्रदेश में अधोसंरचना विकास के लिए सात एक्सप्रेस वे बनाए जा रहे हैं। इसके लिए लेखानुदान में अंशदान रखा गया।

लेखानुदान में विशेष पिछड़ी जनजाति (बैगा, भारिया और सहरिया) बहुल क्षेत्रों में आवास निर्माण, सामुदायिक केंद्र, आंगनबाड़ी, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क सहित अन्य कार्यों के लिए प्रधानमंत्री जन मन योजना अंतर्गत राज्यांश रखा जाएगा। तीन वर्ष में साढ़े सात हजार करोड़ रुपये इस योजना में व्यय होंगे। इसी तरह प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण के लिए भी राज्यांश की व्यवस्था की जाएगी।

विरोध में उतरी कांग्रेस

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि मोदी की गारंटी पूरी नहीं हो रही है। जमीन पर कुछ बदलाव दिखे, तब तो हम मानेंगे कि गारंटी पूरी हो रही है। घोषणाएं पूरी होती नजर नहीं आ रही है। विपक्ष के उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि जब 2023-24 का 58 फीसदी बजट ही खर्च हुआ है, जबकि 42 प्रतिशत बजट बकाया है, तो सरकार मप्र के ऊपर नया कर्जा क्यों लादना चाह रही है? हम इस लेखानुदान का समर्थन नहीं कर सकते।

कांग्रेस नेताओं को नोटिस पर बिफरे सिंघार

कांग्रेस नेताओं को आयकर विभाग के नोटिस को लेकर उमंग सिंघार ने कहा कि पांच साल पहले के जवाब आज क्यों मांगे जा रहे हैं। चुनाव आ गए हैं, तो दबाव बनाने की राजनीति हो रही है। पांच साल में जवाब क्यों नहीं मांगे। यह सीधे-सीधे आईटी विभाग के माध्यम से भाजपा सरकार की कांग्रेस के नेताओं को ब्लैकमेल करने की राजनीति है।

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