- Home
- /
- देश
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- भोपाल
गोवर्धन पूजा केवल कर्मकांड नहीं, पर्यावरण संरक्षण का संदेश
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गोवर्धन पूजा केवल कर्मकांड नहीं है। इसका मतलब प्रकृति की पूजा, पर्यावरण बचाना, पेड़ लगाना और पेड़ों को कटने से रोकना है। मैं कन्हैया को प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने साढ़े 5 हजार साल पहले हमें मंत्र दिया था कि प्रकृति और पहाड़ों की पूजा करो, सही मायने में यही गोवर्धन पूजा है। धरती को अगर बचाना है तो अभी से सजग होना जरूरी है।
मुख्यमंत्री चौहान शुक्रवार को उज्जैन में गोवर्धन पूजा कर अंकुर अभियान के वालिंटियर्स को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने महाकाल मंदिर में दर्शन कर विधिवत पूजा-अर्चना की और त्रिवेणी संग्रहालय के पास गोवर्धन पूजा के बाद पौध-रोपण भी किया।
प्रधानमंत्री का केदारनाथ में दिया उद्बोधन राष्ट्रीय पुनर्जागरण का अभियान -
चौहान ने कहा कि आज बाबा केदारनाथ की पवित्र धरती से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो उद्बोधन दिया है वह केवल भाषण मात्र नहीं बल्कि राष्ट्रीय पुनर्जागरण का महाअभियान है। कभी स्वामी विवेकानंद ने कहा था जो अंधे हैं वह देख नहीं सकते, जो बहरे हैं वह सुन नहीं सकते, लेकिन मैं स्पष्ट रूप से देख रहा हूँ कि महाविनाश का अंत निकट है। भारत माता एक बार फिर से अपने नेत्र खोल रही है। एक वैभवशाली, गौरवशाली, संपन्न और समृद्ध भारत का निर्माण होगा और 21वीं सदी भारत की होगी। पहले नरेंद्र स्वामी विवेकानंद ने जो कहा था, उसे आज दूसरे नरेंद्र पूरा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जी-20 वाले देश तो अब कह रहे हैं, इस दुनिया में हम परेशान हैं। धरती की सतह का तापमान बढ़ रहा है। आशंका है कि तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा और कार्बन गैसों का उत्सर्जन होता रहा तो कई शहर कुछ बरसों के बाद पानी में समा जाएँगे और दुनिया में तबाही बढ़ेगी। उन्होंने कहा, हम सबको यह सोचना होगा कि इस धरती को जीवन के लिए सुरक्षित रहने देना है या नहीं, क्या इस धरती पर आने वाली पीढ़ियों का अधिकार नहीं है। यह हमारा दायित्व बनता है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित धरती छोड़कर जाएँ। हमें धरती बचाने के अभियान में जुटना पड़ेगा। इसलिए प्रदेश में अंकुर अभियान प्रारंभ किया गया है।
जीवन को सुरक्षित रखने के लिए पेड़ लगाएं -
मुख्यमंत्री ने गोवर्धन पूजा के दिन प्रदेशवासियों का आह्वान किया कि जीवन को सुरक्षित रखने के लिए पेड़ लगाने के साथ पेड़ों को बचाने के लिए भी सभी अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि मैं रोज एक पेड़ लगाता हूँ। आप यदि मेरी तरह प्रतिदिन पेड़ नहीं लगा सकते, तो विशेष अवसरों पर साल में एक पेड़ तो लगा ही सकते हैं। शादी की वर्षगाँठ, बेटा-बेटी के जन्म-दिन और माताजी-पिताजी की पुण्य-स्मृति पर पौधा लगाकर स्मृतियों को ताजा रखा जा सकता है।
10 पुत्रों के बराबर होता है एक पेड़ -
चौहान ने कहा कि हमारे मत्स्यपुराण में कहा गया है कि- दशकूपसमावापी दशवापी समो ह्रद:। दशह्रदसम: पुत्रो दशपत्रसमो द्रुम:॥ अर्थात 10 कुओं के बराबर एक बावड़ी होती है, 10 बावड़ियों के बराबर एक तालाब होता है, 10 तालाबों के बराबर एक पुत्र होता है और 10 पुत्रों के बराबर एक वृक्ष होता है। यह भारत का दुनिया को संदेश है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को छोड़ दिया जाए तो 5 करोड़ जनता तो पेड़ लगा ही सकती है। यदि एक व्यक्ति एक-एक पेड़ लगाता है तो 5 करोड़ पेड़ और यदि 2-2 पेड़ लगाता है तो 10 करोड़ पेड़ एक साल में लग सकते हैं, जो धरती को बचाने में अहम काम करेंगे। यह काम केवल सरकार के भरोसे नहीं हो सकता। इसमें समाज को भी सहभागी बनना होगा। इसी उद्देश्य से प्रदेश में अंकुर अभियान 5 जून पर्यावरण दिवस पर हमने प्रारंभ किया।
उन्होंने कहा कि मुझे कहते हुए खुशी है कि 2 लाख 97 हजार नागरिकों ने अंकुर अभियान में वायुदूत एप पर पंजीयन कराया और अब तक 4 लाख 36 हजार पौधों को रोपित कर उनके फोटो एप पर अपलोड भी किए गए। अभी इस दिशा में और तेजी से बढ़ने की जरूरत है। जन-अभियान परिषद के मित्र समुदाय के लोगों को भी इस काम में जोड़ें। हमारा ध्येय सिर्फ पेड़ लगाना नहीं उसे संरक्षण देना भी है। हमने तय किया है कि अंकुर अभियान से जुड़े मित्रों को "वृक्ष वीर और वृक्ष वीरांगना" की उपाधि और "प्राणवायु अवार्ड" से सम्मानित भी किया जाएगा।