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ग्वालियर-चंबल में गांवों से ज्यादा शहरों में डाकू: नगरीय क्षेत्र के थानों में सबसे ज्यादा डकैत अधिनियम के प्रकरण दर्ज…

विशेष संवाददाता, भोपाल: मप्र में यूं तो फिलहाल कोई बड़ा डकैत गिरोह सक्रिय नहीं है, लेकिन सरकार ने विधानसभा में राज्य के डकैत प्रभावित क्षेत्रों के संबंध में जो जानकारी दी है, वह चौंकाने वाली है। सरकार ने पिछले 5 साल के भीतर डकैत अधिनियम के तहत आने वाले जिलों में दर्ज प्रकरणों का डाटा देते हुए बताया कि ग्वालियर-चंबल के शहरी क्षेत्र के थानों में, ग्रामीण क्षेत्र से ज्यादा डकैती के प्रकरण दर्ज हैं।
ग्रामीण अंचल के जो थाने कभी घनघोर डकैत प्रभावित क्षेत्रों में गिने जाते थे, वहां सबसे कम या कोई प्रकरण दर्ज नहीं है।
विधायक दिनेश गुर्जर के सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि ग्वालियर-चंबल के गुना, अशोकनगर को छोड़कर शेष 6 जिले ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना और श्योपुर डकैत प्रभावित हैं। साथ ही रीवा, सतना एवं पन्ना जिले के चिह्नित थाने भी डकैत प्रभावित की श्रेणी में है। इन जिलों के थानों में डकैती के प्रकरण दर्ज किए गए हैं, लेकिन ग्वालियर-चंबल की अपेक्षा कम है। सरकार ने भोपाल रेल के ग्वालियर और मुरैना के जीआरपी थानों को डकैत प्रभावित माना है। जीआरपी ग्वालियर बीजी 34 और मुरैना जीआरपी में 19 प्रकरण दर्ज किए गए हैं।
उप्र, राजस्थान के डकैतों के कारण मप्र में डकैती कानून जिंदा
विधानसभा में सरकार ने बताया कि मप्र में कोई डकैत गिरोह नहीं है, लेकिन सीमावर्ती राज्यों से डकैत गिरोह, पशु चोर गिरोह का मूवमेंट मप्र में बना रहता है। उन पर नियंत्रण के लिए मप्र में डकैत अधिनियम की आवश्यकता है। इस वजह से इसे समाप्त नहीं किया जा सकता है।
प्रकरणों की जिलेवार स्थिति
1. ग्वालियर: अंचल के सबसे बड़े शहर के थाने महाराजपुरा में डकैती कानून के सबसे ज्यादा 30 प्रकरण पिछले पांच साल में दर्ज हैं। इसी तरह गोला का मंदिर में 30, थाटीपुर में 19, विश्वविद्यालय थाने में 16 प्रकरण दर्ज है। इसके विपरीत ग्रामीण क्षेत्र के सिरोल थाने में 6, उटीला में 2, हस्तिनापुर में 3, गिजौर्रा में 3, बेहट में 2, भंवरपुरा में 0 प्रकरण दर्ज हैं।
2. शिवपुरी: शहर की कोतवाली में सबसे ज्यादा 37 प्रकरण दर्ज हैं। जिले के छोटे शहर कोलारस में 17, पिछोर में 16 प्रकरण हैं। जबकि दस्यु प्रभावित रहे थाने बम्हारी, छर्च, इंदार में 0, सतनबाड़ा में 3, सुरवाया 4, गोपालपुर में 1, रन्नौद में 3 मामले दर्ज हैं।
3. मुरैना: जिले में हो रहे अवैध उत्खनन का मामला विधानसभा में उठा है। कोतवाली में सबसे ज्यादा 33, सिविल लाइन में 18 प्रकरण दर्ज हैं। छोटे शहर कैलारस में 20, अंबाह में 14 मामले दर्ज हैं। सुदूर अंचल के थाने महुआ में 1, नगरा में 3, निरार में 1, टेंटरा में 2, चिन्नोनी में 0 प्रकरण दर्ज हैं।
4. भिंड: शहर कोतवाली में सबसे ज्यादा 22 मामले और शहर क्षेत्र में ही देहात थाने में 20 प्रकरण दर्ज हैं। छोटे शहर गोहद में 18, लहार में 14 मामले दर्ज हैं। ग्रामीण अंचल के पावई में 1, फूप में 3, अमायन में 3, आलमपुर में 1, असवार में 1 प्रकरण दर्ज हैं।
5. दतिया: पिछले पांच साल में सिटी कोतवाली में सबसे ज्यादा 24 प्रकरण, सिविल लाइन में 12 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। ग्रामीण अंचल के दस्यु प्रभावित थाने बसई में 1, गोराघाट 0, थरेट 0, लांच 0, अतरेंटा 1, सरसई 0 प्रकरण दर्ज हैं।
6. श्योपुर : शहर कोतवाली में सबसे ज्यादा 12 एवं देहात थाने में 8 प्रकरण दर्ज किए गए। जबकि ग्रामीण क्षेत्र के दस्यु प्रभावित थाने वीरपुर में 3, अगरा, मानपुर, बड़ौदा, कराहल, सेसईपुरा में पिछले पांच साल में सिर्फ 1-1 प्रकरण दर्ज किए गए हैं।