नारी शक्ति का प्रतीक: अहिल्याबाई होल्कर पर नई पुस्तक का विमोचन, श्रीराम अरावकर ने शोध पर दिया जोर

अहिल्याबाई होल्कर पर नई पुस्तक का विमोचन, श्रीराम अरावकर ने शोध पर दिया जोर
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MP NEWS भोपाल। देवी अहिल्याबाई के विचारों को पढ़ने और आत्मसात करने के साथ ही लोकमाता पर अधिक शोध की आवश्यकता है। उन पर अधिक से अधिक पुस्तकों और साहित्य को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। यह बात विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान, नई दिल्ली के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री श्रीराम अरावकर ने कही। वे रविवार को रवींद्र भवन के गौरांजनी सभागार में विद्या भारती के मध्यभारत प्रांत के प्रांत संगठन मंत्री निखिलेश माहेश्वरी द्वारा लिखित पुस्तक 'राष्ट्र सेविका मां अहिल्या बाई होल्कर' के विमोचन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

अपने भाषण में अरावकर ने आगे कहा कि देवी भाई ने कभी खुद को शासक नहीं माना बल्कि हमेशा लोगों के बारे में सोचा, इसीलिए उन्हें पुण्य श्लोका कहा जाता है। उन्होंने लोगों की एक माँ की तरह देखभाल की और इसके लिए उन्हें लोगों ने माँ का दर्जा दिया। उन्होंने व्यक्तिगत कष्टों का डटकर सामना करते हुए पूरे भारत में धर्म और संस्कृति के लिए काम किया।

पुस्तक “राष्ट्र सेविका माँ अहिल्याबाई होल्कर” का विमोचन

समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक अशोक पांडे ने की। स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह और राज्य सूचना आयुक्त डॉ. वंदना गांधी सरस्वती अतिथि के रूप में विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत में मंच पर उपस्थित अतिथियों ने निखलेश माहेश्वरी की पुस्तक "राष्ट्र सेविका मां अहिल्याबाई होल्कर" का विमोचन किया।

देवी ने धर्म और संस्कृति की रक्षा की - अहिल्या बाई

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक अशोक पांडे ने अपने संबोधन में कहा कि देवी अहिल्या बाई ने महेश्वर से पूरे देश का सांस्कृतिक नेतृत्व किया। हमारे पूर्वजों ने 792 से 1947 तक बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे दृश्य देखे हैं। हिंदुओं पर जघन्य अत्याचारों की स्थिति में देवी ने सरकार का कुशल नेतृत्व कर धर्म और संस्कृति की रक्षा की। उनका व्यक्तित्व बहुत बड़ा है। उन्होंने देश को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधने का महत्वपूर्ण कार्य किया।

अहिल्याबाई ने राष्ट्र को सर्वोपरि मानकर कार्य किया- डॉ. वंदना गांधी

कार्यक्रम की अतिथि डॉ. वंदना गांधी ने कहा कि हमारे देश में महापुरुषों की लंबी सूची है। 300वें वर्ष के शुभ अवसर पर हम देवी अहिल्याबाई को याद कर रहे हैं। उनके कार्य हम सभी के लिए प्रेरणादायी हैं। लेकिन दुख की बात है कि ऐसे प्रेरणादायी व्यक्तित्व को भी इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया गया। अहिल्याबाई ने राष्ट्र को सर्वोपरि मानकर कार्य किया। उन्होंने पूरे देश में जनहित के लिए निर्माण कार्य करवाए। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए विशेष कार्य किया। पुस्तक में उनका वर्णन सरल भाषा और प्रवाहपूर्ण तरीके से किया गया है।

स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा -

इस अवसर पर सारस्‍वत अ‍तिथ‍ि के रूप में स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा कि लेखक की कलम अमर रहती है और आने वाली पीढ़ियों को दिशा प्रदान करती है। हमारे पाठ्यक्रम में देवी अहिल्याबाई जैसे महापुरुषों को उचित स्थान देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस दिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूरी तरह लागू हो जाएगी, सैकड़ों वर्षों का संघर्ष आसान हो जाएगा। भारत केंद्रित पाठ्यक्रम और विचारों से ही हम सशक्त भारत का सपना पूरा कर सकते हैं।

देवी अहिल्याबाई राष्ट्र की सच्ची सेविका - लेखक

पुस्तक के लेखक निखिलेश माहेश्वरी ने अपने वक्तव्य में कहा कि देवी अहिल्याबाई के बारे में स्कूल-कॉलेजों के पाठ्यक्रम में नहीं पढ़ाया जाता था। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को नई पीढ़ी के सामने लाने के उद्देश्य से मैंने यह पुस्तक लिखने का प्रयास किया है। लोकमाता ने सुशासन, न्याय, रक्षा, अर्थव्यवस्था, लोक कल्याण के साथ-साथ धर्म और संस्कृति के मूल्यों के लिए अभूतपूर्व कार्य किया। वे राष्ट्र की सच्ची सेविका हैं। उन्होंने प्रसिद्धि से पूरी तरह दूर रहकर भारत को धर्म और संस्कृति के आधार पर एकता के सूत्र में बांधने का काम किया।

इस समारोह में ग्राम भारती के प्रांत प्रमुख चंद्रहंस पाठक ने अतिथियों का परिचय कराया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शिरोमणि दुबे ने किया। आभार श्री हरीश शर्मा ने व्यक्त किया। अंत में वंदे मातरम गीत अनंत संत ने गाया।

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