किस रंग में रंगेगी सीधी

किस रंग में रंगेगी सीधी
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भोपाल/राजनीतिक संवाददाता। मध्य प्रदेश की सीधी लोकसभा सीट अहम लोकसभा सीटों गिनी जाती है। ये ऐसी सीट रही है, जिस पर कभी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा। अब तक के 16 लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों के बीच बराबरी का मुकाबला रहा है। हालांकि भाजपा यहां पर पिछले 2 चुनाव जीतने में सफल रही है। 2019 का चुनाव जीतकर उसकी नजर यहां पर हैट्रिक लगाने पर होगी, तो कांग्रेस यहां पर वापसी करने की आस में है। लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। एक-एक सीट पर कांटे की लड़ाई मानी जा रही है। इन्ही में से एक सीट है सीधी। कांग्रेस और भाजपा दोनों इस सीट को जीतने का दावा तो कर रही हैं, लेकिन इतिहास बताता है कि यहां के मतदाताओं ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को बराबर का अधिकार दिया है।

क्या हैं इस संसदीय सीट की खास बातें

सीधी लोकसभा सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव 1962 में हुआ था। तब से अब तक कुल 16 चुनाव हो चुके हैं। जिसमें 6 बार कांग्रेस और 6 बार भाजपा को मिली जीत मिली, जबकि एक बार निर्दलीय और एक बार आल इण्डिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) तथा दो बार भारतीय लोकदल के उम्मीदवारों ने जीत का परचम फहराया। इस लोकसभा सीट पर तीन नेता ही जीत को दोहरा पाए। इनमें जगन्नाथ सिंह, चंद्रप्रताप सिंह और कांग्रेस मोती सिंह शामिल हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा सीटें चुरहट, चित्रांगी, धौहानी, सिद्दी, सिंगरौली, ब्?यौहारी, सिहावल, देवसर शामिल हैं। इन आठ विधानसभा सीटों में से सात पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। 1 सीट पर कांग्रेस का कब्जा है।

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

अगर सीधी सांसद रीति पाठक के रिपोर्ट कार्ड की बात करें, तो 2014 लोकसभा चुनाव में 1,08,046 वोटों से जीती रीति पाठक एलएलबी की पढ़ाई कर चुकीं हैं। रीति पाठक की संसद में उपस्थिति 95 फीसदी रही। इस दौरान उन्होंने 338 सवाल 93 डिबेट में हिस्सा लिया। पाठक ने निर्भया फंड, ई-वीजा, मध्य प्रदेश में खेल को बढ़ावा, जैसे मुद्दों पर सवाल किया।

सीधी जिले के विधानसभा परिणाम ने जहां भाजपा का विश्वास बढ़ाया है, तो वहीं अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति संरक्षण अधिनियम (एट्रोसिटी एक्ट) पर हुए बवाल ने राजनीतिक दलों की परेशानी भी बढ़ाई है। संसदीय क्षेत्र के विकास की बात करें तो रेल यातायात मुद्दा हमेशा बना रहा, लेकिन केंद्र में राज्य में भाजपा सरकार होने के बावजूद सीधी के लोग रेल से अब भी वंछित हैं। इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने और कब्जा करने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही रणनीति बना रहे हैं। कुल मिलाकर दावे कुछ भी हों, लेकिन अब ये तो वक्त ही बताएगा कि सीधी का इतिहास। क्या दोहराता है। 6-6 की रेस में, आखिर कौन आगे निकलता है।

कब कौन रहा सांसद

1962 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आनंद चंद्रा जोशी जीते।

♦ 1967 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भानुप्रताप सिंह जीते।

♦ 1971 में निर्दलीय रणबहादुर सिंह जीते।

♦ 1978 में भारतीय लोकदल के सूर्य नरायण सिंह जीते।

♦ 1978 में भारतीय लोकदल के रविनंदन सिंह जीते।

♦ 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) के मोती लाल सिंह जीते।

♦ 1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मोती लाल सिंह जीते।

♦ 1989 में भारतीय जनता पार्टी के जगन्नाथ सिंह जीते। (पहली बार भाजपा का खुला खाता)

♦ 1991 में भारतीय रा्रीय कांग्रेस (इंदिरा) के मोती लाल सिंह जीते।

♦ 1996 में आल इण्डिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) के तिलकराज सिंह जीते।

♦ 1998 में भारतीय जनता पार्टी के जगन्नाथ सिंह जीते।

♦ 1999 में भारतीय जनता पार्टी के चन्द्रप्रताप सिंह जीते।

♦ 2004 में भारतीय जनता पार्टी के चन्द्रप्रताप सिंह जीते।

♦ 2007 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मानिक सिंह जीते।

♦ 2009 में भारतीय जनता पार्टी के गोविन्दप्रसाद मिश्रा जीते।

♦ 2014 में भारतीय जनता पार्टी की रीति पाठक जीतीं।

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