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महिला सांसद चुनने में मप्र पिछड़ा
देश के राजनीतिक दलों की उपेक्षा के चलते राजनीति में महिलाओं की उपेक्षा ऐसे समय में भी जारी है, जब देश के अधिकांश राजनीतिक दल महिलाओं के लिए संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण की सार्वजनिक रूप से वकालत करते नजर आते हैं। खास बात यह है कि जब बारी टिकट की आती है, तो वही राजनीतिक दल इससे किनारा कर लेते हैं। यही वजह है कि संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम होता है। देश में लगाए गए आपातकाल यानी 1977 के चुनाव में तो एक भी महिला सांसद चुनकर सदन में नहीं पहुंच सकी थी। आंकड़े खुद इसकी गवाही देते हैं।
भोपाल/विशेष संवाददाता।
2014 में मध्यप्रदेश ने चुनी पांच महिला सांसद
मध्यप्रदेश में अब तक किसी भी लोकसभा चुनाव में 20 प्रतिशत सीटों पर भी महिला सांसद नहीं रहीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में 29 में से मात्र पांच सीटों पर महिलाएं जीत कर सदन में पहुंची थी। यह सभी भाजपा की सदस्य हैं। मध्यप्रदेश से जीतने वाली महिला सांसदों में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन इंदौर, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विदिशा, ज्योति धुर्वे बैतूल, सावित्री ठाकुर धार, रीति पाठक सीधी शामिल हैं।
2009 में 4 भाजपा 1 कांग्रेस की सांसद जीती
इससे पहले यानी 2009 के लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश से महज पांच सांसद चुनी गईं थी। इनमें यशोधरा राजे सिंधिया ग्वालियर, सुषमा स्वराज विदिशा, मीनाक्षी नटराजन मंदसौर, सुमित्रा महाजन इंदौर और ज्योति धुर्वे बैतूल का नाम शामिल है। वहीं 2004 और 1999 लोकसभा चुनाव में मप्र से मात्र दो सांसद चुनी गई। जिनमें 2004 में सुमित्रा महाजन और नीता पटैरिया का नाम दर्ज, साथ 1999 में उमा भारती और सुमित्रा महाजन ने प्रदेश में सांसद के रूप में महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया था। लोकसभा चुनाव के इतिहास पर नजर डाले तो मध्यप्रदेश की लोकसभा सीटों पर महिलाओं की संख्या हमेशा कम रही है। वर्ष 1977 का आम चुनाव ऐसा था, जब देश में जनता पार्टी की लहर थी और एमपी की 40 सीटों (अविभाजित मध्यप्रदेश) में से एक पर भी महिला सांसद नहीं जीती थी। उससे पहले 1962 में जरूर 6 महिलाएं लोकसभा का चुनाव जीती थीं। वर्ष 1989 के चुनाव में प्रदेश से तीन महिला सांसद चुनी गई थीं, जिनमें विमला वर्मा का नाम भी शामिल था।
सिंधिया और महाजन को आठ-आठ बार मिली जीत
भाजपा की दिग्गज नेता राजमाता विजयाराजे सिंधिया और वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को प्रदेश में सबसे अधिक आठ-आठ बार जीत नसीब हुई है। सिंधिया को 6 बार गुना और एक-एक बार ग्वालियर व भिंड से जीत मिली थी। महाजन 1989 में पहली बार इंदौर से जीतीं और उसके बाद लगातार 8 बार की सांसद हैं। भाजपा की उमा भारती भी चार बार खजुराहो और 1 बार भोपाल से विजय पताका फहरा चुकी हैं।