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एक हार के बाद दोबारा नही मिलती कुर्सी
भोपाल/विशेष संवाददाता। चुनावी माहौल में अजब-गजब किस्से देखने और सुनने में आते हैं। कहीं मिथक बनते हैं तो कहीं टूटते है। परन्तु मध्यप्रदेश के चार लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां एक बार हारने के बाद किसी उम्मीदवार को को मतदाताओं ने दोबारा कुर्सी का सुख नही दिया।
ऐसा नही कि इन सीटों पर हारने के बाद उम्मीदवार का राजनीतिक अस्तित्व समाप्त हो गयाए बल्कि प्रदेश के इन क्षेत्रों के मतदाताओं का मूड भांपना काफी कठिन होता है। प्रदेश की कई लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां प्रत्याशी पसंद आने पर उसे लगातार चुनते रहते हैं और एक बार उनकी नजरों से उतरे तो फिर उसे दोबारा मौका ही नहीं देते हैं। इन क्षेत्रों में खजुराहो, दमोह, टीकमगढ़ और भिंड शामिल हैं। यही नहीं इसके विपरीत ऐसे लोकसभा क्षेत्रों की संख्या अधिक है, जहां के मतदाता एक ही पार्टी को लगातार मौका देते रहे।
खजुराहो - यहां से लक्ष्मीनारायण नायक, विद्यावती चतुर्वेदी, उमा भारती, सत्यव्रत चतुर्वेदी, रामकृष्ण कुसमरिया, जीतेन्द्र सिंह बुंदेला, नागेन्द्र सिंह सांसद रहे हैं। उमा भारती, लक्ष्मीनारायण नायक और विद्यावती चतुर्वेदी तो लगातार एक से अधिक बार सांसद रही हैं, लेकिन यदि कोई उम्मीदवार चुनाव हारा या मैदान छोड़ा तो उसे दोबारा मौका नहीं दिया।
दमोह - पिछले 52 साल में यहां 13 लोकसभा चुनाव हुए। रामकृष्ण कुसमरिया चार चुनाव जीते। कुसमरिया को छोडकऱ यहां से अन्य कोई नेता दूसरी बार जीत नहीं पाया। मतदाताओं ने हर बार नए चेहरे को चुना।
टीकमगढ़ - दो बार से भाजपा के वीरेन्द्र कुमार लगातार सांसद हैं। इसके पहले नाथूराम अहिरवार भी इस क्षेत्र से दो बार सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा अन्य कोई यहां से लगातार सांसद नहीं चुना गया।
भिंड - यहां के मतदाता जिस सांसद से एक बार नजरें फेर लेते हैं, उसे दोबारा नहीं चुनते। वर्तमान में भागीरथ प्रसाद सांसद हैं। यहां अब तक हुए 14 लोकसभा चुनाव में केवल डा. रामलखन सिंह लगातार चार बार सांसद चुने गए हैं।
इन पांच क्षेत्रों में एक ही चेहरा
प्रदेश के पांच लोकसभा क्षेत्रों मतदाताओं ने अपने नेता पर लगातार भरोसा जताए रखा। इनमें इंदौर, जबलपुर, गुना, सतना और छिंदवाड़ा शामिल है। छिंदवाड़ा से कमलनाथ को नौ बार सांसद चुने गए। अब ये प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। वे अब छिंदवाड़ा से विधानसभा उपचुनाव लड़ेंगे। इसी तरह इंदौर में सुमित्रा महाजन लगातार आठ बार सांसद चुनी गईं। वर्तमान में वे लोकसभा अध्यक्ष हैं। गुना संसदीय सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार चार बार से सांसद हैं। राकेश सिंह जबलपुर और गणेश सिंह सतना से लगातार तीन बार से सांसद हैं।