मध्‍यप्रदेश: 'नामी’ संपत्ति को भी आधार से लिंक नहीं करा रहे अधिकारी, जमीनों की ई-केवायसी कराने से हट रहे पीछे…

नामी’ संपत्ति को भी आधार से लिंक नहीं करा रहे अधिकारी, जमीनों की ई-केवायसी कराने से हट रहे पीछे…
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राजस्व महाअभियान के तहत आम लोगों से जबरन कराई जा रही लिंकिंग

विशेष संवाददाता, भोपाल। जिस तरह से सरकार ने बैंक खातों को आधार और पैन नंबर से लिंक कराया था, उसी तरह अब अचल संपत्तियों को भी आधार से लिंक कराया जा रहा है। इसके लिए राजस्व विभाग द्वारा अभियान चलाया जा रहा है।

अभियान के तहत राजस्व अमला आम लोगों की जमीनों की ई-केवायसी कर रहा है, लेकिन अधिकारी एवं अन्य विशिष्ट लोगों की 'नामी’ संपत्तियों की ई-केवायसी करने से पीछे हट रहा है।

क्योंकि अधिकारी अपनी या परिवार के नाम की संपत्तियों का ई-केवायसी कराने से बच रहे हैं। हालांकि अभी ई-केवायसी अनिवार्य नहीं है।

धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम :

जिस तरह से सरकार ने बैंक खातों को आधार और पैन से लिंक करके आर्थिक अनियमितताओं पर लगाम कसी है, उसी तरह सरकार अचल संपत्तियों को भी आधार से लिंक कराकर सरकारी योजनाओं में होने वाली गड़बड़ी और संपत्तियों के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी पर लगाम कसना चाहती है।

आधार लिंक होने से किसी की भी बेनामी संपत्ति का खुलासा हो जाएगा। अभियान के तहत आम लोग तो ई-केवायसी करा रहे हैं, लेकिन कई अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, संभागायुक्‍त और जिलाधीश स्तर के अधिकारी इससे पीछे हट रहे हैं।

एक पूर्व मुख्य सचिव ने भी अपनी संपत्ति को आधार से लिंक नहीं कराया है। यही स्थिति पुलिस एवं अन्य विभागों के अधिकारियों की भी है। उल्लेखनीय है कि जमीनों की ईकेवायसी प्रधानमंत्री मोदी का प्रोजेक्ट है, जिसके तहत अचल संपत्ति आधार से लिंक होना है।

स्वयं या परिजनों के नाम पर खरीदी जमीनें :

प्रदेश के आईएएस, आईपीएस समेत अन्य अधिकारियों ने राजधानी भोपाल एवं आसपास के अन्य जिलों में स्वयं या परिजनों के नाम पर संपत्तियां खरीदी हैं। कुछ अधिकारी ऐसे हैं, जो बड़े जिलों में पदस्थ रहे, उन्होंने वहां भी जमीनें खरीदी हैं।

यह जानकारी अधिकारियों ने खुद सरकार को बताई है। मप्र के ज्यादातर अधिकारियों की जमीनों का रिकॉर्ड खंगालने पर पता चलता है कि उन्होंने ईकेवायसी नहीं कराया है।

राजस्व अमले को कराया चुप

संबंधित हलका पटवारियों ने जमीनों को आधार से लिंक कराने के लिए स्वयं अथवा अपने वरिष्ठ अधिकारियों के माध्यम से शासन में बैठे अधिकारियों को ई-केवायसी के लिए फोन कराया है।

लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने ई-केवायसी की अनिवार्यता के बारे में पूछकर उन्हें चुप करा दिया है। हालांकि राज्य शासन ने ई-केवायसी को लेकर जो आम सूचना जारी की थी, उसमें जमीनों की ईकेवायसी कराना अति आवश्यक बताया गया है।

...तो नहीं मिलेगा योजनाओं का लाभ

जिस तरह से सरकारी योजनाओं का लाभ ई-केवायसी कराने पर मिलता है, उसी तरह से भविष्य में भी किसानों को सम्मान निधि से लेकर, फसल बीमा, मुआवजा, सब्सिडी समेत सभी तरह की योजनाएं ईकेवायसी कराने पर ही मिलेंगी। भविष्य में जमीनों की खरीद-बिक्री भी बिना ई-केवायसी के नहीं होगी।

इनका कहना है

अभी अनिवार्य नहीं है, लेकिन लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि कृषि भूमि, प्लॉटों का ई-केवायसी करा लें। जिससे भविष्य में उन्‍हें परेशानी न हो।

भू-स्वामी को राजस्व रिकॉर्ड में अपना आधार नंबर ही दर्ज कराना है। इससे सरकारी योजनाओं एवं अन्य सेवाओं का लाभ लेने में सुविधा होगी।

- विवेक पोरवाल

प्रमुख सचिव, राजस्व विभाग

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