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प्रधानमंत्री मोदी ने सतना के रामलोटन कुशवाहा की सराहना की
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में एक देशी म्यूजियम बनाने के लिए मध्यप्रदेश के सतना जिले के रामलोटन कुशवाहा की तारीफ की है। वहीं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया के माध्यम से रामलोचन को बधाई दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा कि "मध्य प्रदेश के सतना के एक साथी हैं श्रीमान रामलोटन कुशवाहा जी, उन्होंने बहुत ही सराहनीय काम किया है। रामलोटन जी ने अपने खेत में एक देशी म्यूजियम बनाया है। इस म्यूजिम में उन्होंने सैकड़ों औषधीय पौधों और बीजों का संग्रह किया है। इन्हें वे दूर-सुदूर क्षेत्रों से यहां लेकर आए हैं। इसके अलावा वे हर साल कई तरह की भारतीय सब्जियां भी उगाते हैं। रामलोटन जी की इस बगिया, इस देशी म्यूजियम को लोग देखने भी आते हैं और उससे बहुत कुछ सीखते भी हैं। वाकई, यह एक बहुत अच्छा प्रयोग है, जिसे देश के अलग-अलग क्षेत्रों में दोहराया जा सकता है।"
देशी म्यूजियम -
इधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए कहा है "सतना जिले के रामलोटन कुशवाहा जी ने अपने घर में औषधीय पौधों और बीजों का जो देशी म्यूजियम बनाया है वो अद्भुत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज 'मन की बात' में इसकी सराहना की है। आपके इस प्रयोग को प्रधानमंत्री जी ने पूरे देश में पहुंचा दिया है।"मुख्यमंत्री चौहान ने अगले ट्वीट में कहा है "रामलोटन जी, आपके इन प्रयासों से प्रेरणा लेकर अन्य लोग भी अपने लिये आय के साधन बनायेंगे। आपने स्थानीय स्तर पर जैव विविधता बढ़ाने का अद्भुत कार्य किया है। इसके माध्यम से सतना की पहचान भी बनेगी। आपको बधाई।"
जड़ी बूटियों का संरक्षण और संवर्धन
64 वर्षीय रामलोटन कुशवाहा प्रदेश के सतना जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर उचेहरा ब्लॉक के गांव अतरवेदिया के निवासी हैं। वे यहां एक एकड़ से कुछ कम खेत में औषधीय गुणों से भरी जड़ी बूटियों का संरक्षण और संवर्धन कर रहे हैं। साथ में हर साल कई तरह की सब्जियां उगाते हैं। रामलोटन की बगिया में मौजूदा समय में 250 से भी अधिक औषधीय पौधों का अनुपम संग्रह है। यह यहां संवर्धित हो रहे हैं। इसके अलावा 12 प्रकार की लौकियां, गाय के मुंह के आकार के बैगन आदि हैं।
ये फसलें -
रामलोटन कुशवाहा बताते हैं कि "उनकी बगिया में सिंदूर, अजवाइन, शक्कर पत्ती, जंगली पालक, जंगली धनिया, जंगली मिर्चा के अलावा गौमुख बैगन, सुई धागा, हाथी पंजा, अजूबी, बालम खीरा, पिपरमिंट, गरुड़, सोनचट्टा, सफेद और काली मूसली और पारस पीपल जैसी तमाम औषधीय गुण के पौधे रोपे गए हैं। "उन्होंने बताया कि "लौकियों को उनके आकार के आधार पर नाम दिए गए हैं। जैसे अजगर लौकी, बीन वाली लौकी, तंबूरा लौकी आदि। इनमें से कुछ खाने के काम आती हैं, बाकी की लौकियों का औषधीय उपयोग किया जा रहा है। इससे पीलिया, बुखार ठीक किया जाता है।"
ब्राम्ही के लिए हिमालय गए -
जड़ी बूटियों को खोजने के लिए राम लोटन कहीं भी जा सकते हैं। ब्राम्ही के लिए हिमालय तक गए थे। वे बताते हैं कि "लोग कहते रहे कि हिमालय के पौधे यहां कैसे हो सकेंगे? लेकिन मेरी बगिया में सब कुछ वैसा ही फल-फूल रहा है। इसके अलावा अमरकंटक सहित अन्य जंगलों में भी भटके हैं। उनकी नर्सरी में सबसे खास सफेद पलाश है जो बहुत कम ही देखने को मिलता है। सफेद पलाश को बचाने के लिए वो उसकी नई पौध भी तैयार करे हैं। इसे देखने और पौध लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।