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राजनीति का चश्मा उतारिए, और कितने अतिथि विद्वानों को असमय मारोगे
भोपाल, भोपाल, विशेष संवाददाता।
उमरिया जिले के चंदिया शासकीय महाविद्यालय में क्रीड़ा अधिकारी के पद पर पदस्थ अतिथि विद्वान संजय कुमार द्वारा आत्महत्या किए जाने पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने ट्वीट के माध्यम से मप्र की कमलनाथ सरकार को घेरा तो मप्र कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष नरेन्द्र सलूजा ने मुख्यमंत्री और सरकार के बचाव में ट्वीट करते हुए मृतक को आंदोलन में शामिल अतिथि विद्वान और मौत के कारण को झुटलाने का प्रयास किया। सलूजा के इस ट्वीट पर अतिथि विद्वानों ने री ट्वीट कर न केवल सलूजा को अपमानित किया। बल्कि सरकार, उच्च शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री तक को भलाबुरा कहा तथा प्रमाण के तौर पर मृतक के धरना स्थल पर बैठे हुए और मृतक की पत्नी के बिलखते हुए कई वीडियो भी वायरल किए।
डॉ. गनेश पटेल ने फोटो के साथ रीट्वीट कर लिया, 'सलूजा जी स्व. संजय जी अंदोलन में थे, देखिये आप, अपना राजनीती का चश्मा उतारकर। उन्होंने लिखा कि सलूजा जी अभी भी सरकार की असंवेदनशीलता की सत्यता की को झुठला रहे हो, नेतागिरी में न रहो आप मानवीयता को समझो तुरंत अपनी पार्टी के वादे 17.22 को अमल में तुरंत लाओ, कितने अतिथि विद्वानों को असमय मरोगे। रोहित तिवारी ने लिखा, 'सलूजा जी यह मृत्यु नहीं हत्या है जो कांग्रेस सरकार की हठधर्मिता के चलते उसको जान गंवानी पड़ी। अब उसके परिवार और बच्चों का क्या होगा और प्रदेश के 4500 अतिथि विद्वानों के परिवारों का क्या होगा इसका जवाब तो सरकार को ही देना होगा 17.22वचन का पालन कब होगा। अनुराधा पाण्डेय, ने (मृतक की पत्नी का बिलखता वीडियो वायरल कर) लिखा, 'हो सकता है गोपाल जी राजनीति कर रहे हों पर जिसका पति मर गया हो वो तो राजनीति नहीं करेगी न। डॉ. राजेश कुमार बुनकर ने लिखा, ' श्री मान जी कांग्रेस अभी दिल्ली में तो साफ हुई ही है आगे की बारी मप्र में भी होगी। डॉ. भानू श्रीवास्तव ने लिखा, 'सलूजा जी
कांग्रेसी जो खुद मौत का कारण है वह दूसरों पर इल्जाम लगा रहे हैं। झूठे वचनपत्र से चुनाव जीता है। अतिथिविद्वानों की मौत और हाय कांग्रेस को तबाह कर देगी। जनता सब देखती है। दिल्ली देखिए, अब मप्र कांग्रेस वर्षों तक इसका खामियाजा भुगतेगी। विभा दुबे ने लिखा, 'आठ माह से वेतन नहीं मिला उनकी पत्नी खुद बोल रही है कि बच्चों की फीस भरने और घर खर्च चलाने को पैसे नहीं हैं। वो इंसान अभी तक आंदोलन में थे कुछ दिन से घर गैर थे । इस बार को चॉइस फिलिंग का लॉलीपॉप मन्त्री जी न फैंका उसमें नाम न आने से हताश और 8 माह के वेतन न मिलने के अभाव में जान दे दी उन्होंने।
कैलाश राठौड़ ने लिखा, 'आपके कहने का मतलब है जो कोई भी अतिथि विद्वान फांसी लगाए अपने पत्र में अतिथि विद्वान व्यवस्था से परेशान यह लिखें
डॉ. हर्षद मिश्र ने लिख, 'क्यूँ ना जोड़ा जाये, 8 माह से अतिथि विद्वानों को मानदेय नहीं दिया गया। कांग्रेस सरकार चुनाव से पहले पीएससी को व्यापम 2 पीएससी बताते थे। आज वो पीएससी पाक साफ हो गई। अतिथि विद्वानो को वचन 17.22 दिया वो वचन कहा गया आपका। डॉ. मृगेन्द्र सिंह ने लिखा, 'माननीय सलूजा जी आपकी सरकार की गलत नीतियों की वजह से ही अतिथिविद्वान एक-एक करके मौत को गले लगा रहे हैं। आपकी सरकार ने अतिथिविद्वानों की रोजी रोटी छीनी है। लगातार 65 दिनों से अपनी मांगों को लेकर शाहजनी पार्क में अतिथिविद्वान धरने पर बैठे हैं। मनोज नागले ने लिखा, 'माननीय अतिथिविद्वान आदोलन से जोड़ रहे से तात्पर्य क्या समझें कि अतिथिविद्वान की मौत शाहजहांनी पार्क भोपाल में होना थी, तब आप उसे अतिथिविद्वानों के आदोलन से मानते। यह कैसा तर्क है जो काग्रेंस पार्टी की विचारधारा से विपरीत है। अतिथिविद्वान की मौत पर भी राजनीति माननीय मुझे आज यह कहने मे कतई संकोच नहीं हो रहा है जितनी मौतें अतिथिविद्वानों व उनके परिवार के सदस्यों की काग्रेंस सरकार के ऐक साल के कार्यकाल मे हुई हैं, उतनी पिछले 27 सालों मे नही हुई हैं। इसे अतिथिविद्वानों का दुर्भाग्य मानें या काग्रेंस सरकार की उपलब्धि यह प्रश्न विचारनीय है।
डॉ. विदेश पटेरिया ने लिखा, 'सलूजा जी भार्गव जी तो मात्र संवेदना ही दे रहे है पर आपकी पार्टी तो संवेदनहीन हो गई है। डॉ. विकल्प पाराशर लिखते हैं, 'सलूजा जी शर्म तो आती होगी! राजनीति पर राजनीति! क्या आप आत्महत्या के लिए प्रेरित नहीं कर रहे हैं, आपको स्पष्ट रूप में लिखित चाहिए। तब आपके कान पर जूं रेंगेगी। संजय अतिथि विद्वान था।हाँ/ना छह माह से भुगतान नहीं।हाँ/ना, नियमितीकरण का वचन17.22दिया। हाँ/ना, उनकी पत्नी की करुण पुकार सुनिए। गिरवर सिंह राजपूत ने लिखा, सलूजा जी आपकी पार्टी, आपकी सरकार, आपके उच्च शिक्षा मंत्री व उच्च शिक्षा विभाग इन सबने मिलकर अतिथिविद्वान संजय जी की हत्या की है। आपकी पार्टी एक हत्यारी पार्टी है अभी भी वक्त है अतिथिविद्वानों को वचनपत्र अनुसार नियमित करें वर्ना दोबारा कांग्रेस की वापसी असंभव है । मध्यमार्गी अतिथि विद्वान नाम से बने ट्वीटर एकाउंट से लिखा गया है, सरदार जी 12 बजे ये ट्वीट लिख रहे थे क्या। दिमाग खोल कर लिखा करो। पिछले 70 दिनों से शाहजहांनी पार्क में आकर एक बार देख जाते। गुरु नानक जी और गुरु गोविंद सिंह जी की आँख से भी आंसू आ जाते जब ठंड में नन्हे बच्चों के साथ माताएं बैठी थीं, अपने हक के लिए। डॉ. शिवा सहाय ने लिखा, 'माननीय सलूजा जी आप अपनी सरकार और माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी के रक्त से सने हाथों को धूल नही पाएंगेए, हम अतिथि विद्वानों के साथ किये विश्वशघात का इंसाफ ईश्वर और काल करेगा। डॉ. अशोक कुमार चौहान ने लिखा, 'शर्म करो गलीज कांग्रेसियों।
तुम जैसे कांग्रेसी कीड़ों ने उच्च शिक्षा को बर्बाद कर दिया। अतिथिविद्वान की हत्या की है कांग्रेसियों ने। आने वाले चुनाव में तुम्हारी क्या गत बनाएंगे ये तुम सोच लेना। इस मौत का हिसाब देना होगा इस तरह अन्य कई अतिथि विद्वानों ने श्री सलूजा के ट्वीट पर सरकार के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली है।
भार्गव ने यह किया था ट्वीट
भार्गव- क्या कमलनाथ सरकार में इंसान की जांच की कीमत नहीं है। क्या एक साल में यही सरकार की उपलब्धि है। अतिथि विद्वान अवसाद और चिंता में आत्महत्या कर रहे हैं। उमरिया चंदिया के संजय कुमार अतिथि विद्वान आंदोलन में सक्रिय थे। उनके साथियों से जानकारी मिली कि संजय अपने अनिश्चित भविष्य और आर्थिक तंगी का जिक्र अक्सर किया करते थे। वे काफी तनाव ग्रस्त थे। आज संजय ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उनकी आत्महत्या हमें सोचने को मजबूर करती है। कमलनाथ जी क्या एक साल में आपकी यही उपलब्धि है। मुख्यमंत्री जी आप कितनी और मौत होने का इंतजार कर रहे हैं।
सलूजा ने यह किया था ट्वीट
उमरिया जिले के चंदिया शासकीय महाविद्यालय में क्रीड़ा अधिकारी संजय कुमार के निधन का दुखद समाचार मिला। उनके दुखद निधन पर हम शोक संवेदना व्यक्त करते है। अफसोस नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ऐसे संवेदनशील विषय पर भी शर्मनाक राजनीति कर रहे है, उसे अतिथि विद्वान आंदोलन से जोड़ रहे है जो जानकारी हमें प्राप्त हुई है, उसके अनुसार उनके मृत्यु पूर्व लिखे पत्र में कही भी इस बात का कोई जिक्र नहीं है। यदि उनकी जान देने के पीछे यह कारण होता तो वे उसका जिक्र उस पत्र में वे जरूर करते। भाजपा ऐसी दुखद घटना को भी राजनीति का विषय बना रही है। बेहद शर्मनाक।