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दिग्विजय सिंह के शासन में दिए कर्ज को निपटाने की तैयारी?
भोपाल । सोलह साल पहले दिग्विजय सिंह की सरकार रहते मप्र राज्य हाथकरघा बुनकर सहकारी संघ जबलपुर को दिए गए लगभग 12 करोड रुपए से अधिक कर्ज की राशि के न्यायालयीन आदेशों की अनदेखी कर अपेक्स बैंक के कर्ताधर्ता मामले को गोपनीय तरीके से सुलटाने की कवायद में जुटे हुए हैं। इसके लिए मप्र राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स ) का विशेष साधारण सम्मेलन (स्पेशल एजीएम) 20 नवंबर को समन्वय भवन की पांचवीं मजिंल स्थित सभा कक्ष में होगा।
ज्ञातव्य है कि हाथकरघा संघ ने अपेक्स बैंक से दो करोड 25 लाख रुपए का साख सीमा (वर्किंग कैपीटल) कर्ज 31 मार्च 1998 तक के लिए लिया था। जिसे समय से नहीं चुकाया। जिस पर सहकारी पंजीयक न्यायालय भोपाल ने 13 दिसंबर 2004 को आदेश में कुल कर्ज राशि (ब्याज सहित) चार करोड़ छह लाख 70 हजार रुपए जमा करने का आदेश दिया। जमा न करने पर उक्त राशि पर 15 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूली का भी आर्डर किया। यानी वर्तमान में यह कुल लोन राशि करीब 12 करोड रुपए से अधिक हो गई है। आदेश के समय ही हाथकरघा संघ की जबलपुर और भोपाल की अचल संपत्तियां बैंक ने सम्बद्ध कर ली थी। तब से बैंक ने कोई सुघ नहीं ली। 16 साल बाद बैंक को अचानक याद आई और इसके लिए स्पेशल एजीएम बुलाई जा रही है। यहां बता दें, हाथकरघा संघ बहुत पहले बंद हो चुका है।
सूत्र बताते हैं बैठक में हाथकरघा संघ के भारीभरकम लोन की बसूली एकमुश्त समझौते के तहत करने पर सहमति बनाने कवायद की तैयारी है। इस मामले में अपेक्स बैंक पंजीयक न्यायालय से हाथकरघा संघ की संपत्तियों को बेच कर अपने कर्ज की भरपाई करने का अधिकार प्राप्त कर चुका था, लेकिन अब तक नहीं किया।
सूत्र बताते हैं कि किसी दबाव के कारण अपेक्स बैंक स्पेशल एजीएम में नियम विरुद्ध एकमुश्त समझौता कर ब्याज दर निर्धारित करने पर सहमति बनाने का भी प्रयास कर सकता है। हालांकि यह कवायद रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया और नाबार्ड के लोन वसूली नियमों के भी खिलाफ है, क्योंकि इस कर्ज पर राज्य शासन की गारंटी है। नियम कहता है, जिस लोन पर गारंटर होता है, उसमें बकाया कर्ज की वसूली उसी (गारंटर ) से की जाती है। यहां राज्य शासन से बसूली होनी चाहिए। इसमें एकमुश्त समझौते का कोई प्रावधान नहीं है।
सितंबर में हुई थी एजीएमः
साल में एक बार होने वाली अपेक्स बैंक की एजीएम सितंबर में हुई थी। और एक माह के अंतराल से ही दूसरी एजीएम बुलाना समझ से परे है। हालांकि शुक्रवार को होने वाली एजीएम-स्पेशल है,जो विषेश परिस्थितियों में बुलाई जा सकती है, लेकिन सवाल है कि 16 साल पुराने कर्ज मामले में अब तक आखिर बैंक क्या करता रहा। कुछ नही तो एजीएम में चर्चा कर निर्णय ले सकता था।