WAQF Property: पूरे भारत को वक्फ़ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दो, जज ने लगाई अधिवक्ता को फटकार

WAQF Property: पूरे भारत को वक्फ़ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दो, जज ने लगाई अधिवक्ता को फटकार
वीडियो में देखा जा सकता है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में एक अदालती कार्यवाही चल रही है, जहां न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया एक विशिष्ट संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं।

WAQF Property: भोपाल : मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा वक्फ बोर्ड के खिलाफ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक अधिवक्ता पर भड़कने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है। गुरुवार को एक्स पर यह वीडियो सामने आया, जिसमें न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने एक अधिवक्ता से पूछा कि महज अधिसूचना जारी करने से संरक्षित संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में कैसे वैध बनाया जा सकता है।

आप तो ताजमहल भी ले लो यार, कौन मना कर रहा है -जज

वकील के अनुचित जवाब पर नाराज न्यायाधीश को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि "आप तो ताजमहल भी ले लो यार, कौन मना कर रहा है।" गौरतलब है कि वक्फ बोर्ड ने 11 साल पहले जुलाई 2013 में एक अधिसूचना जारी कर मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में शाह शुजा और नादिर शाह की कब्रों पर अपना स्वामित्व जताया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वक्फ बोर्ड के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। यह वायरल क्लिप 7 अगस्त 2024 को हुई सुनवाई की है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस ने अधिवक्ता से पूछा कि किस आधार पर संरक्षित प्राचीन संपत्ति को वक्फ संपत्ति बताया जा रहा है। जिस पर अधिवक्ता ने जवाब दिया, "यह एक अधिसूचना के आधार पर किया गया है।" जवाब सुनकर जस्टिस भड़क गए और उन्होंने उल्टा सवाल किया, "मेरा बस एक सीधा सवाल है...कल अगर अग्रवाल जी की संपत्ति का नोटिफिकेशन निकल जाएगा तो वो वक्फ संपत्ति बन जाएगी?"

उन्होंने आगे कहा, "भाई साहब आप तो ताजमहल भी ले लो यार, लाल किला भी ले लो, कौन मना कर रहा है। पूरे भारत को आप वक्फ संपत्ति घोषित कर दो!....(तो कल, वक्फ बोर्ड किसी भी सरकारी कार्यालय को अपनी संपत्ति घोषित कर सकता है?...फिर आप ताजमहल को ही ले लीजिए। और लाल किला भी। वे पूरे भारत को वक्फ संपत्ति के रूप में दावा कर सकते हैं।)

क्यों हुई बहस

हाल ही में, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने बुरहानपुर ऐतिहासिक स्मारकों पर वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि स्मारकों को 1904 में प्राचीन स्मारक अधिनियम के तहत संरक्षित संपत्ति घोषित किया गया था। साथ ही, 1989 में जारी एक अधिसूचना के बिना कानूनी कार्यवाही के उन्हें वक्फ संपत्ति के रूप में वैध नहीं किया जा सकता है।

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