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कांग्रेस में पलायन के पीछे अपनों की साजिश !
भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले पांच माह से चल रहे राजनीतिक शह और मात के खेल ने राजधानी का राजनीतिक पारा चरम पर पहुंचा दिया है। एक तरफ सत्ता से बाहर हुए कमलनाथ और उनकी पार्टी के बड़े क्षत्रप सत्ता में वापसी का दावा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के अपने विधायकों का एक के बाद एक अपनी पार्टी से मोह भंग हो रहा है। मार्च के महीने में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 22 कांग्रेस विधायकों द्वारा सामूहिक इस्तीफे देकर 15 साल से सत्ता के वनवास को विराम देकर सत्ता में लौटी कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार का पतन कराया था। लेकिन कांग्रेस के सरकार से बाहर होने के बाद भी उसके विधायकों का पलायन बन्द नहीं हो रहा है। पहले बड़ामलहरा से विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी उनके बाद नेपानगर की विधायक सुमित्रा कास्डेकर और फिर मंधाता से विधायक नारायण पटेल के कांग्रेस को अलविदा कहने के बाद अब राजधानी में यह खबरें जोर पकड़ रही हैं कि जल्द कांग्रेस के पांच और विधायक इस्तीफे दे सकते हैं। इससे पहले गुरुवार को यह खबर आई थी कि निमाड क्षेत्र से निर्वाचित कांग्रेस के दो विधायक तीन दिन से लापता हैं और इनके मोबाइल फोन पर सम्पर्क करने पर बन्द आ रहे हैं।
क्या है पलायन के पीछे की वजह?
दरअसल कांग्रेस में विधायकों के पलायन के पीछे एक अलग ही कहानी सामने आ रही है। राजनीतिक हालातों पर टिप्पणी करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस एक बड़े अन्तर कलह के दौर से गुजर रही है। जहां न केवल पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व के खिलाफ बगावत को हवा देने की कवायदों को पार्टी के अन्दर से ही न केवल अंजाम दिया जा रहा है, बल्कि ऐसे हालात पैदा किए जा रहे हैं कि कांग्रेस आलाकमान बिगड़ते परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन करने पर विवश हो जाए। यहां गौर करने वाली बात यह है, कि ऐसी खबरें सामने आ रही है, कि इन तमाम तरह की राजनीतिक साजिशों को अंजाम देने वाला धड़ा भी खालिस कांग्रेसी है, और वह कमलनाथ को कमजोर साबित करने के लिए अपनी ही पार्टी के लिए कांटे बोने का काम कर रहा है।
एक दो नहीं, बल्कि कांग्रेस के कई नेता (नाम का उल्लेख न करने की शर्त पर ) इस बात को स्वीकार कर रहे हैं, कि मौजूदा वक्त में कमलनाथ अपनों की ही साजिशों के शिकार हो रहे हैं, हालांकि वह कौनसा धड़ा है, जिसके कारण कमलनाथ के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इस विषय में कोई भी अपनी जुबां नहीं खोल रहा। पार्टी में आपसी बगावत का स्तर यह है, कि एक वरिष्ठ नेता ने तो यहां तक दावा किया है, कि इस वक्त कमलनाथ अकेले ही पूरी कांग्रेस को अपने कंधों पर उठाए हुए हैं, और उन्हें इस काम में रत्ती मात्र किसी नेता का सहयोग नहीं मिल रहा। संबंधित नेता के मुताबिक प्रद्युम्न लोधी के दल बदल के बाद कमलनाथ ने बुंदेलखंड और महाकौशल क्षेत्र के विधायकों की जिम्मेदारी लेते हुए दिग्विजय सिंह से मालवा और निमाड़ के विधायकों से चर्चा करने की बात कही थी, लेकिन दिग्विजय सिंह ने उस क्षेत्र के विधायकों से कोई संपर्क नहीं किया जिसका परिणाम सामने आया कि एक हफ्ते के भीतर कांग्रेस को दो झटके लग गए, जबकि क्षेत्र में ही कई और विधायक कांग्रेस के संपर्क से बाहर भी बताए जा रहे हैं उधर बुंदेलखंड में जिन कांग्रेसी विधायकों के भाजपा से संपर्क की बात सामने आई थी, उनसे आमने-सामने की मुलाकात करके कमलनाथ ने उन्हें विश्वास में लेकर पार्टी से जोड़े रखने में सफलता हासिल जरुर की थी, लेकिन उनकी यह कवायद क्षणिक प्रतीत होती दिखाई दे रही है। क्योंकि उक्त दोनों विधायकों के सम्बन्ध में जो खबरे कमलनाथ को मिल रही हैं। वह राहत देने वाली नहीं हैं।
अगर इस तस्वीर पर गौर करें, तो मध्यप्रदेश कांग्रेस एक बार फिर से अपनी शुरूआती अवस्था में पहुंचती दिखाई दे रही है, जहां पार्टी नेताओं की आपसी टांग खिंचाई ही उसके लिए सबसे बड़ी दुश्मन बन गई है। हालांकि फिलहाल प्रदेश कांग्रेस के मुखिया कमलनाथ इसे लेकर क्या फैसला लेते हैं और इन परिस्थितियों से कैसे अपनी पार्टी को उबारते हैं यह सवाल हर किसी के मन मष्तिष्क में कौंध रहा है।
पांच और विधायक छोड़ेंगे कांग्रेस !
सूत्र यह भी कहते हैं, कि कांग्रेस के विधायकों के पलायन का सिलसिला अभी नहीं रुकने वाला। इसका प्रथम आधार कांग्रेस के ही विधायक बाबू जण्डेल का कथन है, जिसमें उनके द्वारा 30 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने का न केवल दावा किया है, बल्कि इस बात का खुलासा भी किया है कि अभी कांग्रेस के कुछ और विधायक इस्तीफे देंगे। उधर राजनीतिक गलियारों में चल रही खबरों पर गौर करें, तो फिलहाल कांग्रेस के पांच और विधायक ऐसे हैं, जिनके इस्तीफा देने की संभावनाएं प्रबल दिख रही हैं। जो कभी भी अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। इन पांच विधायकों में सबसे पहले भीकनगांव विधायक झूमा सोलंकी का नाम आ रहा है, उसके बाद में बंडा विधायक तरबर लोधी और दमोह विधायक राहुल सिंह लोधी है। मामले में गौरतलब यह है, कि रेवांचल में भी कांग्रेस को झटका लग सकता है, और चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी और सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाह भी संदेह के घेरे में बताए जा रहे हैं।