सर्वस्व समर्पण को अर्थ दिया ठाकुर साहब ने: भैया जी जोशी

सर्वस्व समर्पण को अर्थ दिया ठाकुर साहब ने: भैया जी जोशी
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भोपाल, विशेष संवाददाता। किसी भी प्रकार के स्वार्थ, आकांक्षा या अभिलाष से विमुक्त होकर अपने विचारों को संगठन के विचारों में ढालकर उसके अनुसार जीवन जीने वाले, उसके अनुसार आचरण करने वाले ठाकुर साहब जैसे संघ की नीव के मजबूत पत्थर बने देव दुर्लभ कार्यकर्ताओं के कारण ही आज संघ इस विशाल स्वरूप में खड़ा दिखाई दे रहा है। आज के समय में जब लोग शिखर का पत्थर बनने की इच्छा रखते हैं, ऐसी स्थिति में बिना किसी स्वार्थ के नीव के अंदर जाना आसान बात नहीं होती। ठाकुर साहब ने सर्वस्व समर्पण को अर्थ दिया।

यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने गुरूवार 30 जनवरी को भोपाल के मानस भवन में आयोजित वरिष्ठ स्वयंसेवक अपारबल सिंह (ठाकुर साहब) की श्रद्धांजलि सभा में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कही। अपारबल सिंह जी से जुड़े संस्मरणों को याद करते हुए भैया जी जोशी ने कहा कि ठाकुर साहब के बारे में सुना है कि वह बाहर से बहुत कठोर और अंदर से अत्यंत स्नेहिल और आत्मीय स्वभाव वाले थे। लेकिन मैंने उनके साथ सिर्फ प्रेम और आनंद का अनुभव किया। उन्होंने कहा कि अपनी व्यक्तिगत अभिलाषा, रुचि, अभिव्यक्ति के विपरीत संघ के मापदण्डों के अनुरूप जटिल प्रचारक जीवन जीने वाले लोग ही संघ की संपत्ति, पूजी और संपदा है। ठाकुर साहब के रूप में संघ की ऐसी एक पूंजी और संपदा कम हो गई। भैया जी जोशी ने कहा कि प्रतिकूलता में जो टिके रहे, उन्हीं के कारण आज संघ बचा हुआ है। प्रतिकूल परस्थितियों में संघ की नीव के मजबूत पत्थर के रूप में स्वयं को समर्पित करने वाले मजबूत पत्थर बने अपारबल सिंह जी, जो स्वयं के कष्टों को भी भूल गए। जिन्होंने प्रतिकूल काल के स्वयं के पुरुषार्थ को अगली पीढ़ी के आगे रखने की इच्छा को भी त्याग दिया। भलें पार्थिव शरीर से चले गए हों, लेकिन वे भविष्य की पीढिय़ों को प्रेरणा देंगे, उनके लिए मार्गदर्शक बनेंगे। उनके कृतित्व को स्मरण करने से भी आगे बढऩे की प्रेरणा मिलेगी। उनके जीवन को स्मरण करते हैं तो पाते हैं कि ऐसी मृत्यु भाग्यशाली लोगों को मिलती है। ईश्वर ने उन्हें आदर से बुलाया है। उनकी मृत्यु भी उत्सव है।

संघ नीव में विसर्जित पुष्प थे ठाकुर साहब: सोनी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश जी सोनी ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि ठाकुर साहब का जीवन संघ की सुदृढ़ नीव में समर्पित पुष्प जैसा था। स्व. अपारबल सिंह जी से जुड़े कुछ संस्मरणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वे सांसारिक जीवन में अलिप्तता के साथ अनाम और अज्ञात रहकर उन्होंने सर्वस्व राष्ट्र को समर्पित किया।

पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि आपातकाल में अपारबल जी अज्ञातवास में रहकर जेलों में बंद सभी स्वयंसेवकों के परिवारों की चिंता करते रहे। उन्होंने अलिप्त जीवन जीया तथा अंतिम सांस तक वे संघ विस्तार के कार्य में संलग्न रहे। ठाकुर साहब के साथ संघ कार्य करने वाले स्व. शरद जी मेहरोत्रा के भाई अरुण मेहरोत्रा ने बताया कि शरद जी के निधन के बाद ठाकुर साहब को ही उन्होंने भाई के रूप में पाया। किसान संघ के प्रभाकर जी केलकर ने कि संघ कार्य के लिए उनका समर्पण अभूतपूर्व था। वे बाहर से कठोर लेकिन अंदर से आत्मीय स्नेहिल स्वभाव के थे। इस दौरान आदित्य वल्लभ महाराज ने भी शाब्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय पदाधिकारियों, प्रांतीय पदाधिकारियों और भारी संख्या में उपस्थित गणमान्य नागरिकों ने स्व. अपारबल सिंह जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

सफाईकर्मी के हाथों खाया अंतिम निवाला

श्रद्धांजलि सभा का संचालन कर रहे दीपक जी शर्मा ने बताया कि अपारबल सिंह जी अंतिम क्षणों में जब वे अस्पताल में भर्ती थे। तब एक दिन उन्होंने खिचड़ी खाने की इच्छा प्रकट की। खिचड़ी का पहला निवाला उन्होंने राधवेन्द्र शर्मा के हाथों खाया, दूसरा अपने नाती के हाथों तथा तीसरे निवाला खाने के लिए उन्होंने अस्पताल के सफाई कर्मी को बुलवाया तथा उसके हाथ से खिचड़ी खाई। यही संघ की परिणिति है, जिसे सामाजिक समरसता के रूप में उन्होंने अपने जीवन में उतारा।

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