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सोयाबीन बीज हुआ 10 हजारी, किसानों का बड़ा दाव
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भोपाल। मप्र में खरीब की फसलों में पीले सोने के मनाम से मशहूर सोयाबीन बीज के दाम आसमान छू रहें है। किसानों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा की उन्हें ये बीज कभी 10 हजार रुपये क्विंटल में भी खरीदने पड़ सकते है। बीज निगम के पास ना तो मानक स्तर और नाही सर्टिफाइड बीज है। जो बीज उपलब्ध है, उनमें 70 फीसदी रिजेक्ट की कतार में लगे है।
दूसरी ओर निजी बीज उत्पादक अपने बीजों को मानक स्तर का बता कर बेच तो रहे है, लेकिन वे भी इसकी गारंटी नहीं दे रहे। ऐसे में सहज कर रखने वाले कुछ बड़े किसानों की चांदी जरूर हो गयी है। वे मौके का लाभ उठाकर मुह मांगे दाम वसूल आंधी के आम बटोरने में मग्न है। जिसको आवश्यकता है वह 10 हजार रूपए क्विंटल में भी बीज खरीद रहे है, जो नहीं खरीद सकते। वह बतौर विकल्प जुआर,मक्का,उड़द,मूंग, तिल्ली,मुमफली में भविष्य तलाश रहा है। किसान भी मानते है। पिछले साल सोयाबीन दागी हो गयी थी,जिसके कारण फसल कमजोर उतरी।
ऑर्गेनिक खेती से लाभ -
जानकारों का दावा है की जिन किसानों ने फसल को रोग मुक्त रखने के लिए बम्पर रसायनों का प्रयोग किया। उनकी फसल कमजोर,दागी निकली। जिन्होंने घातक रसायनों की बजाय आर्गनिक दवाओं का प्रयोग किया। उनकी फसल अपेक्षाकृत बेहतर हुई। उसी फसल के बीज अब सोना उगल रहे है। किसानी गणित भी जबरजस्त है, बुआई के समय 08-10 हजार में मिलने वाले बीज से न लागत न मेहनत वसूल होगी। जिसकी कारण बाद में फसल के दाम 04 हजार के आसपास रह जाएंगे। जाहिर तिलहनी फसल सोयाबीन के रकबे में भारी अंतर या कमी आने से इनकार नही किया जा सकता। हो सकता है, इस साल का झटका किसानों के इरादे बदल दे।