स्वर कोकिला के निधन पर मप्र में 2 दिन का राजकीय शोक घोषित, नहीं होंगे सांस्कृतिक आयोजन

स्वर कोकिला के निधन पर मप्र में 2 दिन का राजकीय शोक घोषित, नहीं होंगे सांस्कृतिक आयोजन
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भोपाल। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने रविवार को मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उपचार के दौरान अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से मध्यप्रदेश में भी शोक की लहर छा गई। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के सम्मान में मध्यप्रदेश सरकार ने भी दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा आधा झुका रहेगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी नहीं होगा।

लता मंगेश्वर के निधन पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्य के मंत्रीगण, सांसद, विधायक समेत सत्तापक्ष-विपक्ष के नेता-जनप्रतिनिधियों और अन्य क्षेत्रों की हस्तियों ने शोक संवेदना व्यक्त कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। राज्यपाल पटेल ने लताजी के निधन पर गहरा शोक जताया और कहा कि स्वर कोकिला, "भारत रत्न" लता मंगेशकर जी के निधन की खबर अत्यंत दुःखद है। उनका जाना कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। वहीं, मुख्यमंत्री चौहान उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारत रत्न से अलंकृत हम सब की प्यारी दीदी लता मंगेशकर जी के देवलोक गमन का दुःखद समाचार पाकर स्तब्ध हूं। यह संगीत जगत के एक अप्रतिम युग का अंत है। ईश्वर दीदी को अपने श्री चरणों मे स्थान, शोक संतप्त परिजनों व दीदी के प्रशंसकों को यह आघात सहने की शक्ति प्रदान करे।

इंदौर में हुआ था जन्म -

इंदौर के सिख मोहल्ला में रहने वाले मध्यमवर्गीय पंडित दीनानाथ मंगेशकर का घर तत्कालीन वाघ साहब के बाड़े में था। इसी चॉल नुमा घर में 28 सितम्बर 1929 को लता मंगेशकर का जन्म हुआ था। उनके जन्म के कुछ समय बाद परिवार पड़ोस के ही एक दूसरे घर में रहने लगा था। आज भी वह सिख मोहल्ला आबाद है, जहां लताजी का बचपन गुजरा। हालांकि बाद के वर्षों में जब लताजी और उनका परिवार बम्बई (अब मुंबई) चला गया तो इस घर को एक मुस्लिम परिवार ने खरीद लिया।

कुछ समय तक यह परिवार यहां रहा और बाद में उन्होंने इसे बलवंत सिंह नामक शख्स को बेच दिया। सिंह परिवार यहां काफी समय तक रहा। बाद में उन्होंने भी यह घर मेहता परिवार को सौंप दिया। वर्तमान समय में यहां कपड़े का शोरूम है। यहां लताजी के सम्मान में यहां एक म्यूरल बनाया गया है, जिसमें यह स्मृति दर्ज है कि किसी जमाने में इसी जगह लताजी का अवतरण हुआ था। इस जगह की एक खास बात और है कि यहां केवल लताजी द्वारा गाए गाने ही बजाए जाते हैं।

इंदौर में ही सीखे थे अभिनय के गुर -

लताजी के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पास सांगली में एक नाटक कंपनी चलाते थे, जिसे बंद कर उन्होंने एक फिल्म कंपनी बनाई थी। बाद में वे इंदौर चले आए। उसी दौरान लता मंगेशकर का जन्म हुआ। लताजी पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। बचपन में वे बड़ी शरारतीं थीं। पिता रंगमंच के कलाकार और गायक थे, इस वजह से परिवार में शुरुआत से ही संगीतनुमा माहौल था। इंदौर में रहते हुए पांच साल की उम्र में ही उन्होंने अपने पिता से गाना सीखना और अभिनय करना शुरू कर दिया था।

हालांकि जब वे सात साल की थीं, तब परिवार इंदौर से महाराष्ट्र चला गया था। लता ने इंदौर की सरजमीं पर पांच साल की उम्र से ही पिता के साथ एक रंगमंच कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू कर दिया था। बाद में जब लताजी महज 13 साल थीं, तभी उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन हो गया। इस घटना ने लता को परिवार और जीवन के प्रति गंभीर बना दिया और नटखट लता ने अपने परिवार को संभालने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। लताजी के साथ तब भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनें उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले का भी बचपन संघर्षमय बीता।

देवी की तरह पूजते हैं लखवानी -

जिस इंदौर में लताजी जन्मीं, वहां उन्हें प्रेम और सम्मान देने वालों की कमी नहीं। इंदौर के एक शख्स हरीश लखवानी तो लताजी की आवाज के इतने दीवाने रहे हैं कि वे उन्हें देवी की तरह पूजते रहे। वे सुबह उठने के बाद लताजी की तस्वीर के आगे अगरबत्ती लगाते हैं। अपनी बेकरी की दुकान में चारों ओर लताजी के ही फोटो लगा रखे हैं। वे बीते 45 वर्षों से लगातार लताजी का जन्मदिन मनाते आ रहे हैं।

स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन का समाचार मिलने के बाद इंदौर में उनके प्रशंसकों में शोक की लहर छा गई। इंदौर जिला अदालत से लगी गली में उनकी नानी का घर था, यहीं से उनकी संगीत शिक्षा भी प्रारंभ हुई थी। इसके बाद उनका परिवार मुंबई में जाकर बस गया। इसी से लगे चौराहे और इस गली का नाम लता मंगेशकर के नाम पर रखने की घोषणा भी की गई है। इंदौर के सिख मोहल्ला के मकान नंबर 22 में जहां लता मंगेशकर का जन्म हुआ और उनक परिवार रहता था वहां आज कपड़ों का एक शोरूम हैं। कपड़े के शोरूम के अंदर लता मंगेशकर का म्यूरल लगा है और यहां केवल उन्हीं के गाने बजाए जाते हैं। इंदौर शहर स्वच्छता में नंबर वन रहने के साथ भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर की जन्म स्थली के रूप में भी जाना जाता रहेगा।

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