- Home
- /
- देश
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- भोपाल
मप्र में पंचायत चुनाव पर लटकी तलवार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- "आग से मत खेलिए "
नईदिल्ली/भोपाल। मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। पहले और दूसरे चरण की नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इसी बीच उच्चतम न्यायालय द्वारा शुक्रवार को ओबीसी आरक्षण को लेकर लगाई गई याचिका की सुनवाई करते हुए मप्र पंचायत चुनाव पर स्टे लगा दिया है। इस मामले पर 27 जनवरी को अगली सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत ने मप्र राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि ओबीसी आरक्षण आधार पर पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएं। साथ ही यह भी कहा कि निर्देश नहीं मानने पर पंचायत चुनावों को रद्द भी किया जा सकता है।
दरअसल, पंचायत चुनावों के मामले में एक दिन पहले गुरुवार को मप्र उच्च न्यायालय की जबलपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई थी, जिसमें अदालत ने परिसीमन और आरक्षण को लेकर दायर याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई, अर्जेंट हियरिंग से इन्कार कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ ने कहा था कि शीतकालीन अवकाश के बाद मामले पर अगली सुनवाई की जाएगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा शीघ्र सुनवाई से इन्कार करने के बाद गुरुवार को याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत का रुख किया और मामले में शीघ्र सुनवाई का निवेदन किया। इस पर शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में मामले की सुनवाई हुई और अदालत ने पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के आधार पर कराने पर स्टे लगा दिया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, अधिवक्ता महेन्द्र पटेरिया ने दलील दी कि पुराने रोस्टर और परिसीमन के तहत चुनाव कराना संविधान की मंशा के विपरीत है। संविधान के अनुच्छेद (डी) के अनुसार कार्यकाल समाप्त होने के बाद आरक्षण रोस्टर बदलना जरूरी है। जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों के उम्मीदवारों ने नए रोस्टर के तहत इसकी तैयारी कर ली थी। अब पुराने रोस्टर से चुनाव कराने से सभी समीकरण बदलने होंगे।
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने दलील दी कि संविधान के अनुच्छेद 243 (ओ) के अनुसार चुनाव की घोषणा के बाद कोर्ट को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। कार्यकाल मार्च 2020 में पूरा हो चुका है। कोविड के कारण चुनाव में देरी हो चुकी है, तैयारी पूरी हो गई है और वोटर लिस्ट तैयार है। अब चुनाव टलेगा तो नए सिरे से वोटर लिस्ट व अन्य प्रक्रिया करनी होगी, जिससे पूरा चुनाव प्रभावित होगा।