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MP Elephant Death: 10 हाथियों की मौत का रहस्य बरकरार, सरकार की बड़ी कार्रवाई...
भोपाल। उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 10 हाथियों की मौत की वजह अभी भी रहस्य बनी हुई है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर शनिवार को वन राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार के नेतृत्व में बांधवगढ़ पहुंचे जांच दल ने रविवार शाम को भोपाल लौटकर मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन सौंप दिया है। जिसमें प्रारंभिक तौर पर हाथियों की मौत कीटनाशक से होना प्रतीत नहीं होना बताया है। हालांकि प्रतिवेदन के आधार पर वन संरक्षक एवं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक गौरव चौधरी और सहायक वन संरक्षक फतेसिंह निनामा को लापरवाही के चलते निलंबित कर दिया है। प्रतिवेदन में बताया कि दूसरे राज्यों से आए हाथियों के दल ने उमरिया, सीधी के जंगलों में स्थायी डेरा डाल लिया है। भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, इससे निपटने के लिए राज्य शासन ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से भी मदद मांगी है।
मुख्यमंत्री निवास पर रविवार शाम को विशेष बैठक में अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल, वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव एवं अन्य वन अधिकारियों ने हाथियों की मौत का जांच प्रतिवेदन मुख्यमंत्री के सामने रखा। बैठक के बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि हाथियों की मौत की वजह पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। प्रारंभिक रिपोर्ट में कीटनाशक से मौत की वजह सामने नहीं आई है। हालांकि शुरुआत में स्थानीय वन अमले ने मौत का कारण कीटनाशक ही बताया था।
अब जनहानि पर 25 लाख की मदद
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन प्राणियों से जनहानि होने पर आर्थिक मदद 25 रुपए दी जाएगी। उन्होंने कहा कि शनिवार को उमरिया के बफर जोन में झुंड से पिछड़े हाथी ने दो लोगों को कुचलकर मार दिया था। जिन्हें 8 लाख की मदद स्वीकृत की थी, जिसे बढ़ाकर 25 लाख कर दिया है। ऐसी अन्य घटनाओं में भी 25 लाख की मदद दी जाएगी।
दूसरे राज्यों से मप्र सीखेगा हाथियों के साथ रहना
बैठक में वन अधिकारियों ने बताया कि दूसरे राज्य कर्नाटक, छत्तीसगढ़, असम से हाथी हर साल झुंड में आते हैं। कुछ समय रहकर वापस चले जाते थे। लेकिन अब हाथियों को उमरिया एवं आसपास का वातावरण अनुकूल लगने लगा है। इस वजह से स्थायी रूप से रहने लगे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाथियों से निपटने के लिए दीर्घकालीन योजना बनेगी। टास्कफोर्स बनाया जाएगा। जिसमें विशेषज्ञों को शामिल करेंगे। मप्र के वन अधिकारी हाथी वाले राज्य कर्नाटक, केरल, असम जाकर हाथियों का प्रबंधन सीखेंगे।