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तीसरा मोर्चा का गठबंधन उतर सकता है चुनाव मैदान में
विशेष संवाददाता/भोपाल। बसपा व सपा के साथ अगर कांग्रेस का गठबंधन नही होता है जो यह दल अन्य भाजपा विरोधी दलों के साथ महागठबंधन बनाकर चुनाव मैदान में उतर सकते है। बसपा प्रमुख मायावती ने पहले ही सम्मानजनक सीटें नहीं मिलने पर कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने के संकेत दे दिए हैं। वहीं राजधानी आए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी दो दिन यहां रहने के बाद भी कांग्रेस के साथ गठबंधन पर बिना स्थिति स्पष्ट करे वापस लौट गए है। इसलिए अब गैर भाजपाई दलों में चुनावी गठबंधन को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है।
मप्र में भाजपा की लगातार बीते डेढ़ दशक से सरकार है। कांग्रेस हर हाल में इस साल होने वाले चुनाव में पार्टी की जीत तय करना चाहती है। यही वजह है कि कांग्रेस इस बार मतों का बंटवारा रोकना चाहती है , जिससे की भाजपा को फायदा न हो सके। इसलिए व बसपा व सपा के साथ लगातार संपर्क में है, लेकिन फिलहाल मामला जमता नहीं दिख रहा है। उधर कई छोटे दल भी इस बार चुनाव में अपनी ताकत की तलाश में जुटे हुए हैं। यह दल भी गैर भाजपाई गठबंधन में अपना फायदा तलाश रहे हैं। यही वजह है कि अगले माह दो अगस्त को आधा दर्जन छोटे दलों का भोपाल में सम्मेलन होने जा रहा है।
इस सम्मेलन में शामिल होने को लेकर अभी बसपा ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। हालांकि इस बीच गठबंधन की कवायद मेें लगे पूर्व जयदू अध्यक्ष शरद यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती की कांगे्रस दिग्गजों से अलग -अलग मुलाकातें हो चुकी हैं। महागठबंधन की स्क्रिप्ट तैयार करने में जुटे समाजवादी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस कर्नाटक के अनुाव के बाद ज्यादा सतर्कता से कदम आगे बढ़ा रही है। उसकी चिंता है कि चुनाव बाद गठबंधन की स्थिरता पूरी विश्वसनीयता के साथ बनी रहे। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान मप्र के साथ ही छग और राजस्थान में होने वाले विस चुनावों में भी गठबंधन को लेकर भी सैद्धांतिक रुप से चर्चा हो चुकी है। शरद यादव की भी कांगे्रस दिग्गजों से भेंट में इसी मुददे पर लंबी चर्चा कर चुके हैं। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव गोविंद यादव का कहना है कि छग में कांग्रेस के साथ गोंगपा के हीरासिंह मरकाम मंच साझा कर चुके हैं। भोपाल सोलन में मरकाम और फूल सिंह बरैया सहित राष्ट्रीय समानता दल को मिलाकर छह क्षेत्रीय दल शामिल होंगे। कांगे्रस और बसपा से अभी इस मुददे पर चर्चा नहीं हुई है।
इस सोलन के बहाने गैर आदिवासी, गैर दलित और गैर कांगे्रसी हिंदू वोटों पर फोकस किया जा रहा है। गठबंधन से जुड़े नेताओं का कहना है कि भाजपा के जनाधार में बड़ी संया ब्राहमण, क्षत्रिय और वैश्य वर्ग से है। इनमें से एक हिस्सा कांगे्रस के पास भी है। इनके अलावा गैर कांगे्रसी हिंदू में ज्यादातर कम आबादी वाले समाज और गरीब ओबीसी वर्ग के लोग शामिल हैं। इस वर्ग को रिझाने के बाद ही महागठबंधन का उददेश्य पूरा होगा।