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डिलिस्टिंग के मुद्दे पर जनजाति समुदाय उतरेगा सड़कों पर, 10 फरवरी को निकलेगी गर्जना रैली
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी में असूचीबद्ध (डीलिस्टिंग) जैसे अहम विषय को लेकर प्रदेश भर का अनुसूचित जनजाति समाज आंदोलित है। जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा अपने हक में न्याय और अधिकार पाने 10 फरवरी शुक्रवार को राजधानी भोपाल स्थित भेल दशहरा मैदान में असूचीबद्ध गर्जना रैली का महाशंखनाद होगा। जिसमें राज्य के 19 जनजाति बहुल जिलों से ही नहीं बल्कि सभी 52 जिलों से बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति समाज के लोग भोपाल आ रहे हैं। सभी की एक मांग हैं जो मतान्तरित हो चुके हैं, उन्हें आरक्षण की सुविधा से बाहर किया जाए।
डीलिस्टिंग का मुख्य उद्देश्य मतान्तरित हो चुके कल के जनजाति लोगों को आरक्षण सूची से बाहर करना
उल्लेखनीय है कि ऐसे लोग जो जनजाति समाज के हैं लेकिन वह मुस्लिम एवं ईसाई धर्म में अपनी आस्था रखते हैं, ऐसे लोगों को चिन्हित कर आरक्षण की श्रेणी से बाहर करना ही डीलिस्टिंग का मुख्य उद्देश्य है। इस संबंध में जनजातीय सुरक्षा मंच के क्षेत्रीय संयोजक कालू सिंह मुजाल्दा का कहना है कि अनेक मतान्तररित लोग दो-दो वर्गों का लाभ ले रहे हैं, अनुसूचित जनजाति के आरक्षण एवं विभिन्न प्रकार के संवैधानिक अधिकारों का लाभ ले रहे हैं। जो संविधान के अनुच्छेद 342 के खिलाफ है। इस अन्याय के विरोध में भोपाल में 10 फरवरी को भव्य हुंकार, डीलिस्टिंग रैली का आयोजन किया गया है। जिसमें सरकार और प्रशासन तक बात पहुंचाने के लिये लाखों की संख्या में जनजातीय समुदाय अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर रहा है।
आरक्षण के वास्तविक हकदार जनजाति बन्धु को मिले उसका हक
इस मामले में जनजाति सुरक्षा मंच के प्रांत संयोजक कैलाश निनामा कहते हैं कि आरक्षण की सुविधा अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए है ना कि मतान्तरित हो चुके लोगों के लिए। भोपाल में 10 फरवरी को होने जा रहे डीलिस्टिंग महाशंखनाद में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे होने जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश के हर जिले से हजारों की संख्या में लोग भोपाल के लिए निकल चुके हैं। निनामा का कहना यह भी था कि देश की सात सौ से अधिक जनजातियों के विकास एवं उन्नति के लिए संविधान निर्माताओं ने आरक्षण एवं अन्य सुविधाओं को प्रावधान किया था, लेकिन इन सुविधाओं को लाभ उन जनजातियों के स्थान पर वे लोग भी उठा रहे जो अपनी जाति छोड़ चुके हैं। जनजाति सुरक्षा मंच देश के राष्ट्रपति महोदय से मांग करता है कि धर्मांतरित लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर किया जाए। क्योंकि ये सभी सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण एवं अन्य सुविधाओं के वास्तविक हकदार नहीं हैं।
ये हैं मुख्य मांगे-
इसके साथ ही गुरूप्रसाद धुर्वे जिला संयोजक जनजाति सुरक्षा मंच छिंदवाड़़ा द्वारा बताया गया कि हमारी प्रमुख मांगे यह हैं-
- 1. राजनैतिक दल अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित सीट पर धर्मान्तरित व्यक्ति को टिकट नहीं देंगे।
- 2. धर्मान्तरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में से हटाया जाय ।
- 3. सरकारी नौकरियां पहले से ही कम है, यदि समय रहते धर्मांतरित लोगों को पदच्युत नहीं किया गया तो जनजाति समुदाय को नौकरियों का अवसर कभी नहीं मिल पाएगा ।
- 4. पुरखों की संस्कृति ही संविधान का हक का आधार है जिन्होंने संस्कृति छोड़ दी, उन्होंने जनजाति पहचान छोड़ दी, अब वे हमारा आरक्षण भी छोड़ दे।
- 5. अनुसूचित जाति की भांति अनुसूचित जनजाति में भी ईसाईयों और इस्लाम धर्मांतरित सदस्यो की डीलिस्टिंग हो क्योकि ये लोग कानूनन अल्पसंख्यक है, वही रहे।
- 6. 1970 से डीलिस्टिंग बिल, संसद में लंबित है अब पारित किया जाए।
- 7. पांच प्रतिशत धर्मांतरित लोग, मूल जनजाति की 70 प्रतिशत नौकरियां, छात्रवृत्ति और विकास फंड हड़प रहे हैं, अर्थात 95 प्रतिशत को मात्र 30 प्रतिशत लाभ ही मिल रहा है, यह अन्यायपूर्ण है।
- 8. बैकलॉग भर्ती में जनजाति बंधुओं की सीटों को जनजाति बंधुओं से ही भरी जाएं।