देवदूत बने स्वयंसेवक, कोरोना संक्रमितों के लिए जुटाया 700 यूनिट रक्त
ग्वालियर, न.सं.। देश में जब भी संकट आता है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक व कार्यकर्ता जन सेवा में जुट जाते हैं। कोरोना काल में भी इन स्वयंसेवकों ने जन सेवा की मुहिम शुरू की। वे जरूरतमंदों के लिए देवदूत बनकर आगे आए। जरूरतमंदों को खाना पहुंचाना हो या फिर लोगों को घर में रहने के लिए प्रेरित करना हो, संघ के कार्यकर्ताओं ने हर दिशा में काम किया। यही नहीं इस दौरान 700 यूनिट से अधिक रक्तदान कर लोगों की जान बचाई और कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए 1.31 लाख मास्क भी बांटे। स्वयंसेवकों की मेहनत की ही नतीजा रहा कि प्रदेश के रक्तकोष भर गए और कुछ जगहों पर रक्तकोष ने रक्त लेने से मना कर दिया। इस कार्य में स्वयंसेवी संस्थाएं व सामाजिक लोग भी पीछे नहीं रहे। वह भी बढ़-चढ़कर सेवा कार्य में जुटे रहे।
कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा विभाग ने पूरे मध्य भारत प्रांत में काम करने के लिए प्रत्येक जिले के खण्ड, बस्ती, गांव व अन्य इलाकों को चिन्हित किया। इन क्षेत्रों में 11,721 स्वयंसेवकों ने सक्रिय होकर करीब 2011 स्थानों पर लोगों की हर तरह से मदद की। इस दौरान स्वयं सेवकों ने जहां लोक सेवा की, वहीं उन्होंने लाचार पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था भी की। प्रांत के अलग-अलग हिस्सों में हजारों पशुओं के लिए हरे चारे व तूड़ी की व्यवस्था भी की। कोरोना संक्रमितों व संदिग्धों की मदद के लिए कार्यकर्ता आगे और पूरे प्रांत में बड़े स्तर पर रक्तदान शिविर लगाए गए। रक्त को संबंधित क्षेत्र के रक्तकोष में जमा कराया, जो सिर्फ कोरोना संक्रमित व मरीजों के लिए संरक्षित करके रखा गया। जरूरत पडऩे पर मरीजों को उक्त रक्त चढ़ाया गया। कुछ जिलों में यह भी देखने में आया कि स्वयंसेवकों द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए रक्तदान से रक्तकोष भर गए इसलिए उन्हें मना करना पड़ा। उक्त से कई लोगों को नया जीवनदान मिला। जिसकी मरीजों व उनके परिजनों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य भारत प्रांत के प्रांत सेवा प्रमुख श्री हरिश्चंन्द्र शर्मा जी ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा से जनहित के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता रहा है। इस कोरोना काल में लगातार स्वयंसेवक पूरे प्रांत में कार्य कर रहे हैं। लोगों को अन्न पहुंचाने के साथ-साथ सेनेटाइजेशन, आवास व्यवस्था, संक्रमितों की मदद के साथ अन्य काम भी कार्यकर्ताओं ने किया। पूरे प्रांत में मरीजों के लिए रक्तदान किया गया। इससे कई लोगों की जान बचाई गई। उन्होंने बताया कि कोरोना की लड़ाई लड़ रहे योद्धाओं के घरों, कार्य स्थलों व सार्वजनिक स्थलों को स्वयं सेवकों ने सेनेटाइज किया। आगे भी कार्यकर्ता लगातार अपनी सेवाओं में जुटे रहेंगे।
रक्त नहीं मिलता तो मरीजों की चली जाती जान
लॉकडाउन के दौरान रक्तदान करने में स्वयंसेवी संस्थाएं भी पीछे नहीं रहीं। ग्वालियर की शिप्रा फाउंडेशन ने भी करीब डेढ़ सौ यूनिट रक्तदान मरीजों के लिए किया। जिससे कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकी। ब्लड कैंसर की मरीज श्रीमती संजू कटारिया के पति अभिनंदन पांडे ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान कहीं पर रक्त नहीं मिल पा रहा था। हम काफी परेशान हो गए थे, तभी किसी ने हमें संस्था के सुधीर दुरापे का नंबर दिया। उन्होंने 26 मई को रक्तदान कर हमारी मदद की। संस्था अभी तक तीन यूनिट रक्त उपलब्ध करा चुकी है। हम उनका उपकार कभी नहीं भूल सके। इसी तरह रक्त की कमी से जूझ रहे सैयद मकसूद अली की तबियत बहुत बिगड़ी गई और उन्हें आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। कहीं पर उन्हें रक्त नहीं मिल रहा था, तब उक्त संस्था ने रक्त दिया और मरीज की जिंदगी बचाने का काम किया। संस्था के संरक्षक सुधीर दुरापे बताते हैं कि परेशान मरीजों की हम लगातार मदद कर रहे हैं। लॉकडाउन में भी यह सेवा कार्य जारी रहा और संस्था ने नि:शुल्क रक्त मरीजों को उपलब्ध करवाया।
प्रांत में विभागवार रक्तदान की स्थिति
विभाग कितने यूनिट
ग्वालियर 54
मुरैना 51
शिवपुरी 28
गुना 213
राजगढ़ 02
विदिशा 40
भोजपुर 43
नर्मदापुरम 234
कुल यूनिट रक्तदान- 665
विभाग ने यह भी किए सेवा कार्य
सेवाकार्य के स्थान-2011
सक्रिय कार्यकर्ता- 11,721
मास्क वितरण- 1,31,442
सेनेटाइलर- 15,227
भोजन पैकेट- 9,53,775
सूखी सामग्री- 1,48,112
लाभान्वित व्यक्ति- 10,29,910
लाभान्वित परिवार- 1,96,141
स्टे होम- 1,718
काढ़ा वितरण- 31,540
घूमंतु जाति सहयोग- 2019