केंद्रीय पुस्तकालय के शुल्क में 36 गुना बढ़ोत्तरी, निर्धन छात्र नहीं ले पा रहे लाभ

केंद्रीय पुस्तकालय के शुल्क में 36 गुना बढ़ोत्तरी, निर्धन छात्र नहीं ले पा रहे लाभ
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ग्वालियर। शहर के महाराज बाड़े पर स्थित अंग्रेजों के समय बनाया गया करीब 90 साल पुराना केंद्रीय पुस्तकालय अब महज शोपीस की तरह नजर आ रहा है । स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन के द्वारा केंद्रीय पुस्तकालय के ऐतिहासिक भवन को संरक्षित कर उसे संभाल कर डिजिटल लाइब्रेरी के रूप में बदल दिया गया है। लेकिन पुस्तकालय में सुविधाओं का अभाव है । वहीं शुल्क में 36 गुना बढ़ोतरी किए जाने से आने वाले छात्रों में भारी असंतोष हो रहा है। फीस ज्यादा होने से जरूरतमंद निर्धन छात्र अंचल के सबसे बड़े इस पुस्तकालय का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।


जीर्णोद्धार के पहले कंपटीशन कॉर्नर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए 6 महीने का 100 रुपए शुल्क होता था। जो अब 600 रुपये प्रति माह वह भी 6 घंटे प्रतिदिन के हिसाब से लिया जा रहा है। यदि छात्र पूरे समय पढऩा चाहता है तो उसे डबल एडमिशन लेना पड़ रहा है और यदि वह कंप्यूटर लैब भी उपयोग करना चाहता है तो 1 हजार रुपए प्रतिमाह लग रहे हैं। इस तरह पुस्तकालय की फीस में 36 गुना का इजाफा हुआ है।

छात्रों की घटी संख्या -


छात्रों का कहना है कि वह परीक्षा निकट होने की वजह से मजबूरी में इतनी फीस दे रहे हैं। फीस कम होनी चाहिए, योंकि इतनी अधिक फीस में असल जरूरतमंद निर्धन छात्र अंचल का सबसे बड़े पुस्तकालय का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। जीर्णोद्धार के पहले सैकड़ों की संख्या में छात्र तैयारी करने आते थे, लेकिन अब अधिक फीस अधिक होने की वजह से मात्र 64 एडमिशन कंपटीशन कार्नर के लिए छात्रों ने कराए हैं।

कांच बंद है लाइब्रेरी -


लाइब्रेरी पूरी तरह कांच बंद है और एयर कंडीशन भी नहीं लगाए गए हैं। जिससे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उमस और घुटन की वजह से अधिक समय तक वह मन लगाकर नहीं पढ़ पा रहे हैं। सीटों पर लाइट के स्विच नहीं लगाए गए हैं। जिससे छात्रों को मोबाइल, लैपटॉप इत्यादि जो आज के समय अध्ययन में महती भूमिका निभाते हैं का उपयोग लंबे समय तक नहीं कर पाते हैं।

सुविधाओं का अभाव -

लाइब्रेरी में किड्स जोन और कंप्यूटर लैब भी बनाई गई है, लेकिन तकनीकी कारणों से कार्य पूर्ण होने की वजह से वहां धूल जमा हो रही है। करोड़ों की लागत से बनी लाइब्रेरी मैं सारी व्यवस्थाएं स्वचालित बनाई गई है, लेकिन विभिन्न कार्यों को अंतिम रूप नहीं दिए जाने की वजह से सारे कार्य मैनुअली किए जा रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारियों को कम्पटीशन कॉर्नर में तैयारी करने आ रहे प्रतिभागियों से मिलकर उनसे सुझाव लेने चाहिए और उन सुझावों पर कार्य करना चाहिए तब ही जाकर अंचल के सबसे बड़ी और सबसे पुरानी लाइब्रेरी का असली जरूरतमंद लोगों को इसका फायदा पहुंचेगा।




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