50 दिन बाद अन्नजल ग्रहण कर पारणा किया
ग्वालियर, न.सं.। पुष्पगिरी तीर्थ प्रणेता आचार्य श्री पुष्पदन्त सागर जी महाराज के शिष्य भारतगौरव तपाचार्य अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर महाराज द्वारा अपनी साधना को गति प्रदान करते हए जैन धर्म के महाकाव्य भक्तामर जी के 50 दिन के अखण्ड (लगातार) कठिन उपवास व मौन व्रत की बिना किसी से मिले साधना की है। जिनकी सफलतम साधना के पूर्ण होने पर मुनिश्री पीयूष सागर महाराज के निर्देशन में ग्वालियर सहित देशभर के गुरुभक्तों ने अपने-अपने घरों व जिन मंदिरों में भक्तामर पारणा अनुमोदना महोत्सव के रूप में मनाया।
मन की गागर को सदगुणों के जल से भरो
अक्सर लोग आकर मुझसे बोलते हैं कि महाराज हमारा भगवान में मन नहीं लगता है। मन सांसारिक विषयों में लगता है। अरे भाई किसने बोला है तुम ईश्वर में मन लगाओ। तुम ईश्वर से तो प्रेम करो यदि मन लगाना है तो दैनिक क्रिया के सद्कार्यों में लगाओ क्षमावान, करुणावान और दयावान बनो। यह बात सोमवार को चम्पाबाग धर्मशाला में मुनिश्री विहर्षसागर महाराज ने स्वाध्याय सभा को सम्बोधित करते हुए कही। मुनिश्री ने कहा कि मन चंचल नहीं होता, बल्कि हम मन का सद्प्रयोग नहीं कर पाते हैं। मात्र प्रवचन सुनने से कुछ नहीं होगा, उन्हें जीवन में उतारना होगा।