वंदे भारत एक्सप्रेस की नाक कटने पर खर्च होते है 50 हजार, रेलवे बनाएगा सुरक्षा दीवार

वंदे भारत एक्सप्रेस की नाक कटने पर खर्च होते है 50 हजार, रेलवे बनाएगा सुरक्षा दीवार
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आगरा से बीना के बीच संवेदनशील क्षेत्र, झटका झेल बचा रही यात्रियों की जान

ग्वालियर,न.सं.। हजरत निजामुद्दीन से रानी कमलापति के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन कभी मवेशियों से टकरा कर हादसे का शिकार हो रही है, तो कभी असमाजिक तत्वों द्वारा पथराव किया जाता है। अभी तक 50 से अधिक बार ऐसे हादसे हो चुुके है। गनीमत है कि टक्कर में इसके इंजन की ‘नाक’ ही क्षतिग्रस्त हुई और कोई जनहानि नहीं हुई। टूटी नाक की सर्जरी पर हजारों रुपये खर्च होते हैं।

वंदे भारत ही नहीं, बल्कि अन्य प्रीमियम ट्रेनों के अगले हिस्से की बनावट इसी तरह रखी जाती है। ये नोज कोन फाइबर प्लास्टिक का होता है। झटके या हादसे के वक्त इसी हिस्से को नुकसान पहुंचता है और ट्रेन के अन्य हिस्से बच जाते हैं। इसी कारण अब तक हुए हादसों में इस ट्रेन की नाक ही क्षतिग्रस्त हुई।

वहीं अब रेलवे ने निर्णय लिया है कि आगरा से बीना सबसे ज्यादा संवेदनशील क्षेत्र है। ऐसे में पहले चरण में रेलवे सुरक्षा दीवार तैयार करेगा। जिससे ट

ट्रैन की गति को बढ़ाया जाएगा।

अनुपयोगी स्लीपर का उपयोग करेंगे

रेलवे प्रशासन द्वारा इस वॉल को बनाने के लिए सबसे पहले अनुपयोगी पड़े स्लीपरों का उपयोग किया जाएगा। सीमेंट-कांक्रीट, लोहा सहित अन्य निर्माण सामग्री का उपयोग कर इन स्लीपरों का उपयोग प्री-कॉस्ट मटेरियल की तरह होगा, ताकि जल्द काम हो।

शताब्दी-राजधानी भी बचेंगी

इस योजना के तहत बनने वाली सुरक्षा दीवार से शताब्दी व राजधानी श्रेणी की ट्रेनों को भी फायदा होगा। कई बार इन ट्रेनों से भी जानवर टकराने की घटनाएं होती रहती हैं। सेफ्टी वॉल बनने के बाद इन पर भी रोक लग सकेगी। वंदे भारत एक्सप्रेस का कांच जब भी टूटा, उसको बदलना पड़ा। एक विंडो का कांच ही 3 हजार रुपए का आता है। ट्रेन की नोज भी करीब 40 हजार रुपए की होती है। इस तरह एक ही बार में दोनों चीजें टूटने पर रेलवे को 50 हजार रुपए का नुकसान तक उठाना पड़ता है।

पत्थरबाजों पर लगेगी लगाम

करीब 20 बार ट्रेन से जानवर टकराने पर उसकी नाक बदलना पड़ी। इसलिए ट्रैक तक जानवरों की पहुंच को दूर करना काफी जरूरी हो गया है। साथ ही पत्थरबाजों पर भी लगाम लगाने के लिए हाई सिक्युरिटी जोन बनाया जा रहा है। अभी रानी कमलापति स्टेशन से धौलपुर तक औसतन 130 किमी तक की स्पीड में ट्रेन चलती है। इसके बाद स्पीड 150 किमी तक पहुंच जाती है। स्पीड और बढ़ाने की कवायद हो रही है।

किसानों व पशु मालिकों को कर रहे जागरूक

आरपीएफ निरीक्षक संयज आर्या ने बताया कि ट्रेनों से पशुओं के टकराने की घटनाओं को कम करने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। पशु मालिकों व किसानों को भी जागरूक किया जा रहा है, ताकि वे रेल पटरियों के आसपास जानवरों को चराने के लिए नहीं लाएं और ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें। कुछ पशु मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की गई है।

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