नालों की सफाई पर सालाना 5.45 करोड़ रुपए खर्च, लेकिन इनकी सफाई कैसी हुई आप खुद देख लीजिए
ग्वालियर। शहर में बहने वाले 486 छोटे-बड़े नालों की सफाई पर नगर निगम सालाना करीब 5.26 करोड़ रुपए खर्च कर रही है, लेकिन नालों की सफाई कैसी होती है, इसकी हकीकत गंदगी और गाद से पटे नालों की तस्वीरों से देखी जा सकती है। शहर में जुलाई के बाद मानसून सक्रिय होगा,लेकिन नालों की सफाई के लिए न तो अभियान छेड़ा है और न ही नगर निगम के अधिकारियों में चिंता देखी जा रही है। अभी तक नाला गैंग तैनात नहीं की जा सकी है।
शहर में हर वर्ष जलभराव की समस्या से निपटने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद इस परेशानी का हल नहीं निकल पा रहा है। जरा सी बरसात में ही शहर की सडक़ें व निचले इलाके जलमग्न हो जाते हैं, जिसके चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्रत्येक सडक़ पर गड्ढे व नाले-नालियों में जलभराव अभी भी बना हुआ है। वहीं जिम्मेदार भी आंख बंद करके बैठे हुए हैं और एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।
वर्तमान में शहर के सभी विधानसभा क्षेत्रों में सडक़ों की हालत खराब है। ये जलभराव का मुख्य कारण है। शहर के किला गेट रोड, गेंडे वाली सडक़, लाला का बाजार, जीवाजीगंज, जेल रोड, शब्द प्रताप आश्रम, मुरार, थाटीपुर, झांसी रोड, पड़ाव आदि क्षेत्रों में बरसात के समय बुरे हालात हो जाते हैं। शहर में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए 11 वर्ष पूर्व एडीबी प्रोजेक्ट के तहत 30 करोड़ रुपए ड्रेनेज सिस्टम पर खर्च कर सिटी सेंटर व पड़ाव क्षेत्र में लाइन डाली गई थीं, लेकिन यह लाइन अब बंद हो चुकी है और जरा सी बारिश में ही शहर में जलभराव की स्थिति बन रही है।
वार्ड 22 में पांच फुट की जगह दो फुट रह गया नाले की गहराई
वार्ड 22 में के नालों की हालत यह है कि जो नाले पांच फुट की गहराई पर थे, वह सिर्फ दो फुट की गहराई पर रह गए है। न्यू जीवाजी नगर के पास बने नाले में पंचशील नगर, दुल्लपुर, सुरेश नगर का पानी भी आता है, ऐसे में यहां सबसे ज्यादा हालत खराब है।
स्वर्ण रेखा-
गुरुद्वारा पुल से पहले और रानी लक्ष्मीबाई समाधिस्थल के बाद गंदगी है। तारागंज पुल के पास कचरा भरा है।
-सचिन तेंदुलकर मार्ग- नाले में कचरा भरा है। गाजर घास उग आई है।
नगर निगम में वार्ड-66
कुल नाले-457
ग्वालियर विधानसभा-183
दक्षिण विधानसभा-127
पूर्व विधानसभा-104
ग्रामीण-43
66 वार्डों में कर्मचारी-397
कर्मचारी के वेतन पर खर्च-4.79 करोड़
वाहनों पर खर्च-3.84 करोड़
ड्रेनेज वाटर पर कुल-10 करोड़ से अधिक