नशा मुक्ति केंद्रों पर मौत के बाद भी नहीं जागा प्रशासन, वीरेंद्र की मौत पर उठ रहे सवाल
ग्वालियर। शहर में नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केन्द्रों पर अवैधानिक तरीकों से नशेडिय़ों को पुनर्वास के नाम पर रखा जा रहा है। नियमानुसार इन केन्द्रों पर बहुत सी व्यवस्थाएं ऐसी होना चाहिए, जिनकी निगरानी स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक न्याय विभाग द्वारा करना चाहिए ऐसा नहीं होने पर भी इन्हें संचालित किया जा रहा है। उक्त विभागों के अधिकारियों से सांठगांठ के चलते यहां मनमानी पूर्वक नशेडिय़ों को भर्ती किया जा रहा है। जिससे हादसे होने पर यह केंद्र हाथ खड़े कर लेते हैं और संबंधित अधिकारी भी ठीक से न तो जवाब दे पाते और न ही कार्रवाई करते हैं।
ऐसा ही एक मामला शनिवार को बहोड़ापुर थाना क्षेत्र के प्रयास नशा मुक्ति केंद्र आनंद नगर पर घटित हुआ। यहां गल्ला कोठार क्षेत्र के 36 वर्षीय युवक वीरेंद्र दादोरिया को भर्ती कराया गया था जिसे दवाएं दी गई लेकिन जब उसमें सुधार नहीं हुआ तो उसके साथ जमकर मारपीट कर दी गई।तब 15 अप्रैल को उसे जयारोग्य चिकित्सालय में भर्ती कराया गया।16 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। परिजनों ने चौहान प्याऊ थाटीपुर पर चक्का जाम किया। जिसमें प्रयास पुनर्वास केंद्र पर मारपीट से मौत की बात कही गई। साथ ही मुआवजे की मांग की गई। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मुआवजा राशि दिए जाने पर जाम खुला लेकिन फिर भी प्रयास नशा मुक्ति केंद्र पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। यह केंद्र किन्हीं भदोरिया का बताया गया है। इन अवैधानिक केन्द्रों को लेकर गाइड-लाइन स्पष्ट नहीं होने के कारण प्रशासनिक अधिकारी और सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी भी आंखे मूंदे बैठे हुए हैं। सामाजिक न्याय विभाग तो यह कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि यह विभाग उनके अधीन नहीं बल्कि स्वास्थ्य विभाग के अधीन है।
यह है नियम
नशा मुक्ति केन्द्र पर उपचार के लिए एमबीबीएस चिकित्सक, ट्रेंड नर्स और आठ लोगों का स्टॉफ होना चाहिए। लेकिन किसी भी केंद्र पर इस तरह के चिकित्सक अथवा स्टाफ की बजाए बाहुबलियों की नियुक्तियां की गई है, जो डंडे के जोर पर नशेडिय़ों पर नियंत्रण रखते हैं।
पहले भी हो चुकी मौत
कुछ वर्ष पूर्व आनंद नगर में ही न्यू लाइफ नशा मुक्ति केन्द्र पर बोहड़ापुर निवासी इमरान खान की मारपीट से मौत हो गई थी।तब उस केन्द्र को बंद कर दिया गया। जब दूसरे केन्द्रों पर आंच आई तो उन्होंने अपने नाम बदल कर नए स्थानों पर अड्डा जमा लिया।
यहां संचालित हैं केन्द्र
प्रतिज्ञा नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र आनंद नगर में है जिसमें लगभग 40 मरीज भर्ती हैं। फर्श से लेकर छोटे-छोटे कमरों में पलंग डले हुए हैं जिनसे सीधे नहीं मिला जा सकता सीसीटीवी कैमरे में परिजन देखकर लौट जाते हैं। इसके संचालक रोबिन सिंह है।
मंथन नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केन्द्र मोतीझील संचालक मनीष दुबे। संस्कार नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केन्द्र सागरताल रोड संचालक अविनाश तिवारी। अल्कापुरी में श्याम सुंदर श्रीवास्तव। इसके अलावा चन्द्रवदनी नाका और आकाशवाणी केन्द्र के पास भी इस तरह के केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं।
20 हजार रुपए की वसूली
जमीन पर बिछे फर्श को सामान्य वार्ड माना जाता है। इसमें प्रति युवक 12 हजार रुपए लगते हैं। 17 हजार में डीलक्स और 18 से 20 हजार रुपए में सुपर डीलक्स रूम हैं। इनमें चार-चार पलंग डले हुए हैं।मरीजों को चाय, भोजन एवं दवाएं दी जाती हैं। परिजनों को 40 दिन के बाद मिलने की अनुमति रहती है। प्रत्येक मरीज को छह माह तक भर्ती रखा जाता है।
इनका कहना
प्रयास नशा मुक्ति केंद्र पर युवक वीरेन्द्र दादोरिया की मौत के बाद मर्ग कायम किया गया है। अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है इसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी। यह केंद्र किन्हीं भदोरिया का बताया गया है।
अमर सिंह सिकरवार
बहोड़ापुर थाना प्रभारी