ग्वालियर में एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई देने पर बनी सहमति

ग्वालियर में एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई देने पर बनी सहमति
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विपक्ष ने कहा सत्ता पक्ष से कहा पानी का मामला सदन में लेट क्यों लाएं

ग्वालियर। आखिरकार परिषद के विशेेष सम्मेलन में शहरवासियों को एक दिन छोड़क़र पानी की सप्लाई देने पर सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष ने भी सहमति देे दी। एक दिन छोड़क़र पानी सप्लाई के मामले में विपक्ष के निशाने पर सत्ता पक्ष रहा। विपक्ष के पार्षदों का कहना था कि जब दो महीने पहले ही पता चल गया था कि तिघरा बांध में पानी कम है तो सदन में इस प्रस्ताव को इतनी देरी से क्यों लाया गया। आज तक एमआईसी सदस्यों व महापौर ने कभी बांध का निरीक्षण किया। विपक्ष के पार्षदों ने सत्ता पक्ष को इस तरह घेरा कि सत्ता पक्ष मप्र शासन को जिम्मेदार ठहराते नजर आए। इस दौरान सत्तापक्ष व विपक्ष एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे। हंगामा होता देख सभापति मनोज तोमर को 5 मिनिट के लिए बैठक स्थगित करनी पड़ी। जिसके बाद पुन: बैठक शुरू होते ही सदन ने सर्व सम्मिति से एक दिन छोड़ पानी देने पर सहमति दे दी। बता दे कि दो महीने चली अभियाचित बैठक के बाद पहली बार आठ बिंदुओं पर एक दिन में चर्चा हो पाई।

शुक्रवार की दोपहर 3 बजे जलबिहार स्थित परिषद कार्यालय में 9 बिंदुओं पर चर्चा शुुरु हुई। जिसमें कार्यवृत्तों की पृष्टि बाद पार्षदों व उनके परिजनों का 05-05 लाख का पारिवारिक बीमा कराने पर सभी ने सहमति दी। पानी के मुख्य बिंदु पर पार्षद अनिल सांखला, अर्पणा पाटिल व देेवेन्द्र राठौर ने कहा कि जब दिसम्बर में ही पता चल गया था कि तिघरा बांध में पानी कम है तो उस समय ही इस प्र्रसतव को सदन में लाना चाहिए।पार्षद गिर्राज कंसाना ने कहा कि सर्दी में एक दिन छोड़ पानी दिया जाता तो कोई परेशानी नहीं होती,लेकिन गर्मी में एक दिन छोडक़र पानी देने से सभी को परेशानी होगी। अर्पणा पटिल ने कहा कि अमृत की लाइनों में जगह जगह लीकेज है, पानी बर्बाद हो रहा है। अमृत योजना तो पूरी तरह से नासूर बन गई है।

57 साल की बिगड़ी व्यवस्था सुुधारने का लगेगा समय

विपक्ष को जबाव देेते हुए एमआईसी सदस्य ने कहा कि इससे पहले भी शहर में एक दिन छोड़क़र पानी दिया गया है। यह कोई नई बात नहीं है। उन्होंने वर्ष 2012 से 2023 तक एक दिन छोडक़र पानी देने की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने यहां तक कह दिया कि 57 साल की बिगड़ी हुई व्यवस्था को सुधारने में समय लगेगा। अभी तक पानी की बर्बादी हो रही है। शासन की लापरवाही के चलते पानी की बर्बादी हो रही है। इसी बात को लेकर विपक्ष ने हंंगामा करना शुुरु कर दिया। जिसके बाद सभापति ने बैठक को पांच मिनट के लिए स्थगित कर दिया। बाद में बैठक शुरु होते ही पानी देने के मुद्दे को सहमति दे दी गई। वहीं निगम परिषद के नवीन भवन के मामले में निगमायुक्त ने अगले 10 दिन में टेंडर करने व अगले बजट में हेड बनाने के प्रावधान की जानकारी देते ही बिन्दु समाप्त कर दिया गया।

पार्षद बोले पहले 70 करोड़ का हिसाब दिया जाए

बजट संशोधन को लेकर जब चर्चा शुुरु हुई तो विपक्ष के पार्षदों ने कहा कि पहले 70 करोड़ आए उनका क्या किया है उसकी जानकारी सदन को दी जाए। बृजेश श्रीवास ने कहा कि 130 करोड़ आए है कही वह खर्च तो नहीं कर दिए गए। पार्षद नागेन्द्र राणा ने कहा कि जो 70 करोड़़ आए थे उनमें से किनी राशि शेष बची है। जिस पर सदन में सभापति ने पीआईयू सेल द्वारा विवरण देने के निर्देश देते हुए प्रस्ताव को वापिस किया गया।

गालव का किराया अब 80 हजार

निगम परिषद में गालव विश्रांति गृह के मुद्दे पर एमआईसी से एक लाख दर के प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष द्वारा 80 हजार किराया, 10 हजार सफाई शुल्क व 18 प्रतिशत जीएसटी सहित लगभग 1.04 लाख देने व मल्टी प्लेक्स व साधारण सिनेमा से प्रत्येक शो की दर 200 व 100 रूपये करने के प्राप्त प्रस्ताव को सदन ने सहमति दे दी।

पार्षद बोले राज सिक्योरिटी को ही ठेका क्यों?

विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालय अथवा विभागों में आउटसोर्स पर 1379 अकुशल सफाई श्रमिकों की कार्य अवधि 2 वर्ष बढ़ाने व कार्य कराने एवं उस पर आने वाले व्यय की वित्तीय स्वीकृति के संबंध में विपक्ष के पार्षदों ने एक स्वर में कहा कि एक ही कंपनी को बार-बार ठेका क्यों दिया जा रहा है। नागेन्द्र राणा ने कहा कि बुद्धिजीवी लोग परिषद को अनपढ़ समझ रहे है। जितेन्द्र मुदगल ने कहा कि दो वित्तीय वर्ष निकल गए लेकिन अभी तक निविदा क्यों नहीं हो पाई। राजज सिक्योरिटी की जांच लोकायुक्त में चल रही है तो उस पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जा रहा। जिस पर सभापति ने टेंडर करने में शासन के नियमों व शर्तो का पालन अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिए। वहीं सेंगर सिक्यूरिटी के 1369 कर्मचारियों के पूरक अवधि दो वर्ष बढ़ाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई।

नेताप्रतिपक्ष की ही नहीं सुनते विपक्षी पार्षद

विशेेष सम्मेलन के दौरान यह देखने को मिला कि जब नेता प्र्रतिपक्ष हरिपाल अपनी बात रखकर सहमति देते नजर आए। लेकिन पार्षद अर्पणा पाटिल ने जहां डिसेंट नोट कराया, वहीं नागेन्द्र राणा राज सिक्योरिटी को लेकर कुछ बिंदु पर बात करने वाले थे, तभी सभापति ने कहा कि आप अपनी बात दो मिनट में रखे, जिस पर उन्होंने कहा कि दो मिनट में कैसे होगा तो सभापति ने उनसे कहा कि सभी को बोलना है यह बात सुनकर पार्षद राणा यह कहते हुए बैठ गए कि उन्हें बात ही नहीं रखना।

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