साक्ष्य के अभाव में नहीं हुआ आरोप सिद्व, 3812 दिन जेल में बंद अजमेर बघेल बरी

साक्ष्य के अभाव में नहीं हुआ आरोप सिद्व, 3812 दिन जेल में बंद अजमेर बघेल बरी
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इंजीनियरिंग छात्र अपहरण के मामले में हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे अजमेर बघेल को बरी कर दिया है।

ग्वालियर। इंजीनियरिंग छात्र अपहरण के मामले में हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे अजमेर बघेल को बरी कर दिया है। जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की डिवीजन बेंच ने 2015 से लंबित अपील को स्वीकार करते हुए, 3812 दिन से जेल में बंद आरोपित को बरी कर दिया। इसके साथ ही एक अन्य आरोपी सुघर सिंह को भी बरी कर दिया। 3710 दिन से जेल में बंद है।

यह था मामला-

आरोपी के एडवोकेट बीके शर्मा ने बताया कि 12 अगस्त 2009 को फरियादी विनोद कुमार गुप्ता ने मुरार थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कि बेटा गौरव गुप्ता एनआईटीएम में इंजीनियरिंग का छात्र था। केआरजी कॉलेज के सामने से गायब हो गया है। अभियोजन के अनुसार अगले दिन पहली बार एक मोबाइल से फोन आया कि पावरखेड़ा स्टेशन शिवपुरी पर एक करोड़ रूपये लेकर आ जाओ।

बेटे का अपहरण कर लिया है। पैसे लाल टोपी और लाल बैग में लेकर आना। इस पर बात नहीं बनी। बाद में 26 अगस्त को अज्ञात व्यक्ति का फिर फोन आया। गौरव के पिता और रिश्तेदार संतोष कुमार गुप्ता,खजूरी स्टेशन शिवपुरी के पास पैसे लेकर गए। वहां उन्हें उत्तम गड़रिया मिला,जो उन्हें जंगल में ले गया। 4 लाख देकर बेटे को छुड़ा लिया गया। कुल 3.90 लाख में डील हुई थी। इस मामले में विशेाष न्यायधीश ने 8 अक्टूबर 2014 को सुगम,चंचल,अजमेर गड़रिया,उत्तम गड़रिया,अशोक,सुघर सिंह को आजीवन कारावास की सजा दी थी।

साक्ष्य के अभाव में सिद्व नहीं हुआ आरोप-

हाईकोर्ट ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। दोषी अजमेर को रामबाबू-दयाराम गड़रिया का सजातीय होने व दूर का रिश्तेदार होने के कारण केस में फंसाया गया। अजमेर की मौके पर उपस्थिति के कोई साक्ष्य नहीं मिले। यहां तक की फिरौती की राशि बरामद भी नहीं हुई थी।

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