ग्वालियर में स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों के अटैचमेंट से बिगड़ी व्यवस्थाएं
ग्वालियर। कहते हैं कि असली भारत गांवों में बसता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग में बड़े स्तर पर चल रहे अटैचमेंट के खेल ने गांव के लोगों की सेहल का ख्याल रखने वाले स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थिति बिगाड़ी दी हैं। इतना ही नहीं अटैचमेंट के चक्कर में अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जिलाधीश को ही गुमराह करते हुए गलत जानकारी देने में लगे हुए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है कि चिकित्सकों का अटेचमेंट नहीं किया गया है। वल्कि कुछ दिनों के लिए उनकी ड्यूटी शहर के अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार लगाई गई है। जबकि हकीकत तो यह है कि कई ऐसे चिकित्सक हैं जिनके अटैचमेंट को एक से डेढ़ साल तक हो चुके हैं। इतना ही नहीं अटेचमेंट पर आए अधिकांश चिकित्सकों ने शहर में अपनी क्लीनिकों भी खोल ली है।
डबरा सिविल अस्पताल की बात करें तो यहां पदस्थ तीन चिकित्सकों के अटैचमेंट को एक साल को ऊपर हो गया है। इसमें ईएनटी के डॉ. सागर, गायनिक की डॉ. स्वाती अग्रवाल एवं मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अतर सिंह प्रमुख हैं। इतना ही नहीं इन चिकित्सकों के अटैचमेंट तो कुछ महिनों के लिए किए गए, लेकिन अटैचमेंट खत्म होने से पहले दोबारा अटैचमेंट कर दिए गए। जिससे स्पष्ट है कि स्वास्थ्य अधिकारियों के संरक्षण में ही यह पूरा अटैचमेंट के खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। जबकि शासन ने अटैचमेंट पर पूरी तरह रोक लगा रखी है।
कुछ दिनों की ड्यूटी फिर कराया अटैचमेंट
डबरा सिविल अस्पताल में पदस्थ गायनिक की डॉ. गरिमा यादव एवं आर्थोपेडिक के डॉ. रवि वर्मा की पदस्थापना को करीब छह से सात माह ही हुए थे। लेकिन पदस्थना के कुछ महिनों बाद ही दोनों चिकित्सकों के अधिकारियों से सेटिंग करा कर अटैचमेंट करा लिए।
आचार संहिता के बाद पहुंचा आदेश
स्वास्थ्य विभाग में अटैचमेंट का खेल यहीं नहीं रुकता। आचार संहिता के ठीक दो दिन पहले डबरा सिविल अस्पताल में पदस्थ पैथोलॉजिस्ट डॉ. शिल्पा एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका का अटैचमेंट शहर के अस्पतालों के लिए किया गया। जबकि दोनों चिकित्सकों के आदेश आचार संहिता लागू होने के दो दिन बाद डबरा अस्पताल में पहुंचे। इतना ही नहीं दोनों चिकित्सकों को आचार संहिता के दौरान डबरा से रिलीव भी कर दिया गया, जिसको लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
विधानसभा तक पहुंच चुका है मामला
ग्रामीण क्षेत्रों से शहर में चिकित्सकों के अटैचमेंट किए जाने का मामला विधानसभा तक पहुंच चुका है। डबरा के विधायक सुरेश राजे ने अटैचमेंट को लेकर विधानसभा में प्रश्न भी लगाया है। विधायक श्री राजे का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने की जगह बिगडऩे में लगे हुए हैं। जिस कारण ग्रामीणों को उपचार के लिए काफी परेशान होना पड़ता है।
प्रोबेशन पीरियड खत्म होने से पहले अटैचमेंट
स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा कई ऐसे चिकित्सकों के अटैचमेंट शहर में किए गए जिनका प्रोबेशन पीरियड तक खत्म नहीं हुआ था। इतना ही नहीं कुछ चिकित्सक तो ऐसे हैं, जिन्होंने ज्वाइनिंग तो ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में दी। लेकिन ड्यूटी करने सिर्फ दस से पन्द्रह दिन ही गए और फिर सीधा अटैचमेंट करा लिया। जबकि शासन के निर्देश हैं कि प्रोबेशन पीरियड में कम कसे कम दो वर्ष तक संबंधित को अपने मूल पदस्थाना स्थल पर ड्यूटी करनी होती है। लेकिन अधिकारियों के शासन के नियमों से कोई लेना देना ही नहीं है।