जयारोग्य में ऑडियोमेट्री मशीन खराब, कान की जांच ठप

जयारोग्य में ऑडियोमेट्री मशीन खराब, कान की जांच ठप
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मरीजों की नहीं हो पा रही सुनने की क्षमता की जांच

ग्वालियर, न.सं.। जयारोग्य चिकित्सालय समूह के एक हजार बिस्तर में पहुंचने वाले मरीजों को इन दिनों जांच के लिए परेशान होना पड़ रहा है। अस्पताल में जहां एक्सरे व अल्ट्रासाउण्ड के लिए वेटिंग चल रही है। वहीं ऑडियोमेट्री मशीन खराब होने से सुनने के क्षमता की जांच भी ठप्प हो चुकी है। इससे सुनने की क्षमता की जांच के लिए भी मरीजों को भटकना पड़ रहा है।

दरअसल हजार बिस्तर के अस्पताल में अंचल भर से मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। अस्पताल में लोगों की सुनने की क्षमता की जांच के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। नाक, कान, गला विभाग में प्रतिदिन 200 से अधिक मरीज उपचार के लिए पहुंचे हैं। इसमें से तकरीबन पन्द्रह से बीस मरीजों को कान में सुनाई कम देने सहित अन्य दिक्कत होती है। इन मरीजों को चिकित्सक द्वारा आडियोमेट्री मशीन से जांच की जाती है, लेकिन करीब चार दिन से यह मशीन खराब है। ऐसे में मरीजों को जांच बंद होने के कारण निराश होना पड़ रहा है। जांच के लिए मरीजों व तीमारदारों को भटकना पड़ रहा है।

कान की नस कमजोर होने से आती है दिक्कत

कान की बीमारी से पीडि़त मरीज अस्पताल में पहुंच रहे हैं। पचास साल से अधिक उम्र के लोग कम सुनाई देना, कान में आवाज, सीटी की तरह सुनाई देना, चक्कर आने की समस्या से ग्रसित होते हैं। कान की नस कमजोर होने, सूखने से सुनने की क्षमता पर असर पड़ता है। इसकी मशीन से जांच कर सुनने की क्षमता की जानकारी की जाती है। रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सक मरीज का उपचार करते हैं तो कुछ लोगों को सुनने के लिए मशीन का प्रयोग करने की सलाह देते हैं, लेकिन जांच न होने से मरीज परेशान हैं।

बैरा टेस्ट की मशीन भी बंद

जयारोग्य के ईएनटी विभाग में ऑडियोमेट्रि के अलावा बैरा टेस्ट की जांच मशीन भी बंद पड़ी हुई है। जिस कारण ऐसे लोगों को काफी परेशान होना पड़ रहा है, जो दिव्यांग हैं। क्योंकि दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने वालों में सबसे ज्यादा बेहरे ही हैं। ऐसे में जयारोग्य में अपनी बैरा जांच कराने के लिए शिवपुरी, दतिया, सागर, भिण्ड, मुरैना, टीगमगढ़ तक से दिव्यांग पहुंच रहे हैं। लेकिन उन्हें मशीन खराब होने की बात कहकर लौटाया जा रहा है। इतना ही नहीं दिव्यांगजन अपनी जांच निजी सेन्टर पर भी नहीं करा सकते। जिस कारण उन्हें जयारोग्य के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

सीएमएचओ के आदेश पर भी नहीं शुरू हुई जांच

मुरार जिला अस्पताल के जिला हस्तक्षेप केन्द्र में पिछले पांच वर्षों से बंद पड़ी हुई है। जिसे शुरू करने के लिए पिछले माह सीएमएचओ डॉ. आर.के. राजोरिया ने केन्द्र के प्रबंधक को दिए थे। लेकिन प्रबंधक आज दिन तक जांच शुरू कराना तो दूर साउंडप्रूफ कमरा कक्ष तक नहीं बनवा सके हैं। इतना ही नहीं कुछ दिनों पूर्व सीएमएचओ श्री राजोरिया ने केन्द्र का औचक निरीक्षण भी किया था और अव्यवस्थाएं पाए जाने पर प्रबंधन पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। लेकिन प्रबंधन पर सीएमएचओ की चेतावनी का भी कोई असर नहीं पड़ा और केन्द्र की व्यवस्थाएं जस की तस बनी हुई हैं।

निजी में करने पड़ते है हजार रुपए तक खर्च

ऑडियोमेट्री की जांच शहर के कुछ ही निजी केन्द्रों व अस्पतालों में होती है। ऐसे में कई मरीजों को तो मजबूरन निजी केन्द्रों पर ही जांच करानी पड़ रही है। जिसके लिए मरीजों को हजार रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं।

वर्जन

मशीन खराब होने की जानकारी इंजीनियर को दे दी गई है। जल्द ही ऑडियोमेट्रि व बैरा टेस्ट जांच मशीनें चालू हो जाएंगी।

डॉ. व्ही.पी. नार्वे

ईएनटी विभागाध्यक्ष जयारोग्य

वर्जन

सीएमएचओ का भी जाएगा

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