ग्वालियर में बदहाल बैजाताल, 11 करोड़ रुपए बर्बाद, पत्थर की जालियां टूटीं, रेलिंग-पाथवे भी उखड़े

ग्वालियर में बदहाल बैजाताल, 11 करोड़ रुपए बर्बाद, पत्थर की जालियां टूटीं, रेलिंग-पाथवे भी उखड़े
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ग्वालियर। महानगर के स्मार्ट सिटी योजना में शामिल होने के बाद शहरवासियों को नगर की दशा में सुधार होने की बहुत अधिक उम्मीद थी। लेकिन नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के कारण शहर के प्रमुख स्थानों की दशा जहां दयनीय हो रही है, वही वह दुर्दशा के शिकार भी हो रहे हैं। शहर के मोती महल के पास स्थित बैजाताल का हाल भी कुछ ऐसा ही है।

छोटा टूरिस्ट सर्किट विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग बैजाताल, बारादरी सहित फूलबाग के कुछ हिस्से में विकास कार्यों पर 11 करोड़ रुपए खर्च किए थे। इसका केंद्र बैजाताल था, यहां 6 करोड़ रुपए खर्च कर चारों ओर पत्थर की रेलिंग और जालियां लगाई गईं थीं, लेकिन निगम अधिकारियों की लापरवाही के कारण न सिर्फ जालियां टूट रही हैं। रेलिंग और फुटपाथ के पत्थर उखड़ रहे हैं बल्कि एक बार सूखने के बाद दोबारा पौधे तक नहीं लगाए गए। अधिकारियों ने कई बार बैजाताल के आस-पास के इलाके को नाइट बाजार के रूप में विकसित करने की योजना तो बनाई लेकिन लेकिन पहल नहीं हुई।यही कारण था कि पर्यटन निगम ने 5 वर्ष पहले इसे टूरिस्ट सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना बनाते हुए विकास कार्य कराए थे। वीरांगना की समाधि पर पुरातत्व विभाग और गोपाल मंदिर में श्रद्धालुओं की समिति के ध्यान देने से यहां कराए गए कामों का संधारण होता रहता है, लेकिन शेष काम देखरेख के अभाव में बर्बाद हो गया।

मंच पर लगी पत्थर की नक्काशीदार जालियां टूटकर पानी में गिरी, कुर्सी भी टूटी

बैजाताल के मध्य में मंच बनाया गया है। इस मंच के चारों और पानी भरा रहता है, जिसमें नगर निगम ने फुव्वारे लगाए हैं। स्टेटकाल के समय बैजाताल पर संगीत एवं नृत्य आदि के आयोजन होते थे। सिंधिया राजवंश के महाराजा मंच पर बैठकर नृत्य देखते थे, जबकि उनके सिपहसलारों एवं मंत्रियों सहित अन्य गणमान्य नागरिकों के लिए मंच के चारों ओर सीढिय़ां व पत्थर की नक्काशीदार जालियां बनाई गई थीं। यह जालियां भी अब टूटकर गिर चुकी हैं।

9 लाख रुपए के पौधों से बढ़ाई थी सुंदरता

बैजाताल का आकर्षण बढ़ाने के लिए पर्यटन विभाग ने 9 लाख रुपए के आकर्षक पौधे लगवाए थे। लेकिन देखरेख के अभाव में ये पौधे सूख गए। उसके बाद निगम के पार्क विभाग ने यहां न पौधे लगाने में रुचि नहीं ली। महापौर कार्यालय के ठीक पीछे और पार्क विभाग के ऑफिस से महज सौ मीटर दूरी पर स्थित बैजाताल के आस-पास जहां लैंडस्केप बनाए गए थे, वहां बंजर सी जमीन दिखाई दे रही है। निगम ने इस जमीन पर पौधों से छेड़छाड़ न करने का बोर्ड जरूर लगा रखा है।

उखडऩे लगे पत्थर

पर्यटन विभाग ने सडक़ और बैजाताल के बीच में मिट्टी को हटाकर वहां पर 3 गुणा 3 इंच के पत्थरों की गिट्टी लगाई थी। यह गिट्टी भी उखडऩे गई है, जिसके कारण कई जगह गढ्डे हो गए हैं।

जानिए क्या कराया था और क्या हो गए हालात

बैजाताल- प्रदेश के एकमात्र तैरते रंगमंच के रूप में अपनी पहचान रखने वाला बैजाताल का निर्माण 1850 में तत्कालीन शासक दौलत राव सिंधिया की पत्नी बैजाबाई के नाम पर हुआ था। यहां पानी के बीचों-बीच एक बड़ा सा मंच बना हुआ है, जिसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए बनाया गया था। पर्यटन निगम ने इस पर 6 करोड़ खर्च कर इसके चारों ओर पत्थर की जालियां लगाई थीं। मंच के चारों ओर भी पत्थर की रेलिंग लगाई थी। साथ ही ताल के चारों ओर पाथवे भी बनाया था, लेकिन निगम के पास आने के बाद यहां सिर्फ बोटिंग शुरू करा दी गई, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में पत्थर की जालियां टूट रही हैं, रेलिंग के ऊपर लगाए गए छोटे-छोटे गुम्बद भी उखड़ गए हैं। सोलर लाइटों का पता नहीं है।

बारादरी फूलबाग-

इटालियन गार्डन और बारादरी के बीच स्वर्ण रेखा होने के कारण यहां पहले एक पुल का निर्माण कराया गया था। बारादरी पर एक करोड़ की लागत से पब्लिक शौचालय के अलावा पानी की व्यवस्था, लैंडस्केपिंग, पाथवे बनाया। यहां जालियां लगाई गईं। स्वर्ण रेखा के बहाव स्थल पर लाल पत्थर लगाया था। लाल पत्थरों के उखडऩे की शुरुआत तो पहले ही हो चुकी थी। उसके बाद से यहां सफाई तक की व्यवस्था नहीं है।

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