बैंकों के 2426 खाताधारक डकार गए 147350 करोड़ रूपए, अधिकारी-कर्मचारी करेंगे आंदोलन
ग्वालियर, न.सं.। बैंक उस वित्तीय संस्था को कहते हैं जो जनता से धनराशि जमा करने तथा जनता को ऋण देने का काम करता है। लोग अपनी-अपनी बचत राशि को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज कमाने के हेतु इन संस्थाओं में जमा करते और आवश्यकतानुसार समय-समय पर निकालते रहते हैं। बैंक इस प्रकार जमा से प्राप्त राशि को व्यापारियों एवं व्यवसायियों को ऋण देकर ब्याज कमाते हैं साथ ही देश के विकास में सहयोग प्रदान करते हैं। मगर देश में कई कंपनियों और कॉर्पोरेट्स क्षेत्र के ऐसे लोग हैं जो ऋण के रूप में लिया बैंक का पैसा जानबूझकर डकार गए हैं। पूरे देश की बात करें तो 2426 खाताधारकों पर 147350 करोड़ रूपए बैंक का बकाया है जो डूबत खाते में पड़ा हुआ है।
निजी कंपनियों और कॉरपोरेट्स द्वारा बैंकों से बड़े-बड़े ऋण लिए जा रहे हैं और उन्हें चुकाया नहीं जा रहा है। बैंकों का पैसा डूबने के कारण बैंक राष्ट्र के विकास में बड़ी भूमिका नहीं निभा पा रहे हैं। बैंक अधिकारियों का कहना है कि अगर इस पूरे पैसे की वसूली हो जाए तो यह पैसा देश के विकास में काम आ सकता है। बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों का कहना है कि वह पैसों की वसूली के लिए शीघ्र ही राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाएंगे।
बैंकों का डूबता हुआ रुपया करोड़ों में:-
बैंक डिफाल्टर रूपया
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 685 43887
पंजाब नेशनल बैंक 325 22370
बैंक ऑफ बरोदा 355 14661
बैंक ऑफ इंडिया 184 11250
सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया 69 9663
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया 128 7028
यूको बैंक 87 6813
ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स 138 6549
कैनरा बैंक 96 5276
आन्ध्रा बैंक 84 5165
इलाहबाद बैंक 57 4339
इंडियन ओवरसीज बैंक 49 3188
कॉर्पोरेशन बैंक 58 2450
इंडियन बैंक 27 1613
सिंडिकेट बैंक 34 1438
बैंक ऑफ महाराष्ट्र 42 1405
पंजाब एण्ड सिंध बैंक 06 255
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योग 17 2426 1,47,350
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बैंक कर्मचारी इन मांगों पर करेंगे आंदोलन:-
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करो।
- सभी बैंकों को समुचित पूंजी प्रदान करो।
- निजीकरण के प्रयास बंद करो।
- कॉर्पोरेट्स के खराब ऋणों की वसूली के लिए कठोर कदम उठाए जाएं।
- जानबूझकर ऋण नहीं चुकाना दंडनीय अपराध बनाया जाए।
- सभी ऋण डिफाल्टरों के नाम प्रकाशित किए जाएं।
- बैंक डिफाल्टरों को सार्वजनिक पदों से एवं चुनाव लडऩे से प्रतिबंधित किया जाए।
- वसूली कानूनों को शक्तिशाली बनाया जाए ।
- जमाराशियों पर ब्याज दर में वृद्धि हो।
- सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का उनके प्रायोजक बैंकों में विलय किया जाए।