ग्वालियर जिला अस्पताल में बढ़ी बेड संख्या लेकिन नहीं बढ़ा स्टाफ
ग्वालियर। मुरार जिला अस्पताल को भले ही 200 से 300 पलंग का कर दिया गया है। लेकिन अस्पताल में स्टाफ पुराना ही है। जिस कारण मरीजों को तो उपचार के लिए परेशान होना ही पड़ रहा है। साथ ही चिकित्सकों के लिए भी परेशानी बनी हुई है।
दरअसल मुरार जिला अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 200 पलंग की जगह 300 का कर दिया गया है। उक्त 300 पलंग का उद्घाटन भी केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा छह माह पूर्व किया जा चुका है। लेकिन अस्पताल कागजों में अभी तक सिर्फ 200 पलंग का ही संचालित हो रहा है। ऐसे में बिस्तर संख्या अधिक हो जाने के कारण स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से देने में अस्पताल प्रबंधन भी हाथ खड़े कर रहा है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अस्पतालों में भले ही पलंग बढ़ा दिए गए हैं, लेकिन स्टाफ 200 पलंग के हिसाब से ही है। जिस कारण अस्पताल को पूरी तरह संचालित करने में परेशानी हो रही है। वहीं अब आचार संहिता भी लागू होने वाली है, ऐसे में अब अस्पताल में स्टाफ की कमी तीन माह से पहले दूर होने की सम्भावना न के बराबर है।
कई बार लिखे जा चुके हैं पत्र
अस्पताल प्रबंधन की ओर से अस्पताल को कागजों में 300 पलंग का करने के लिए भोपाल संचालक संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं को पत्र भी लिखे जा चुके हैं। अस्पताल प्रबंधन ने अपने पत्र में कहा है कि चिकित्सालय में बिस्तर संख्या 300 पहुंच गई है। जबकि चिकित्सालय को दो सौ बिस्तरीय मानव संसाधन स्वीकृत है। इसलिए अस्पताल को कागजों में 300 पलंग का दर्ज किया जाए, जिससे पद भी स्वीकृत हो सकें।
यह होने चाहिए पद
अस्पताल प्रबंधन ने तीन सौ बिस्तर के हिसाब से प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद सृजित करते हुए पदस्थापना करने की मांग भी संचालक संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं से की है। जिला अस्पताल में पहले से ही प्रविधानित पद के हिसाब से स्टाफ नहीं है। प्रविधानित पद के हिसाब से अस्पताल में 362 का स्टाफ होना चाहिए, लेकिन स्वीकृत पद महज 229 हैं। यह पद 200 बिस्तर के हिसाब से भी कम हैं। 300 बिस्तर के हिसाब से अस्पताल में 56 डाक्टर होना चाहिए, लेकिन 35 डाक्टर ही यहां सेवाएं दे रहे हैं। चर्म रोग विशेषज्ञ, माइक्रोबायोलाजिस्ट चिकित्सक यहां तैनात नहीं हैं। इसके साथ ही चिकित्सा विशेषज्ञ, सर्जरी विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ, निश्चेतना विशेषज्ञ, रेडियोलाजी विशेषज्ञ, पैथोलाजी विशेषज्ञ सहित अन्य विधाओं के चिकित्सकों की कमी लंबे समय से बनी हुई है।