मात-पिता की सच्ची सेवा करना ही भगवान की सेवा करने के समान है : रमेश भाई

मात-पिता की सच्ची सेवा करना ही भगवान की सेवा करने के समान है : रमेश भाई
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ग्वालियर। कलयुग में भगवान को प्राप्त करना बहुत कठिन है। भगवान का नाम लेने और उनके नाम का संकीर्तन करने से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान तो हमें मिल नहीं सकता लेकिन उसने हर घर में अपने रूप में माता-पिता को बैठा रखा है। मात-पिता की सच्ची सेवा करना ही भगवान की सेवा करने के समान है। बचपन में जिन मात-पिता ने तुम्हें संभाला वृद्धावस्था में उन्हें संभालना अब तुम्हारी जिम्मेदारी है। हर युग में इंसान को ही इंसान की जरूरत होती है। उसके बिना उसका काम चल ही नहीं सकता है।

यह विचार संत रमेश भाई ओझा ने फूलबाग साईंधाम में बुधवार को श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन व्यास गद्दी से व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वासना से दूषित प्रेम में पागल युवक एसिड अटेक कर युवतियों का चेहरा बिगाड़ देते हैं, ऐसे लोगों को कठोर दंड मिलना चाहिए। प्रेम करना है तो भगवान श्रीकृष्ण से सीखो। रिश्तों को अहमियत दो, लेकिन रिश्तों को बिगाड़ो नहीं।

संत श्री ने शुिद्ध पर बोलते हुए कहा कि समाज, राजनीति, धर्म, पत्रकारिता को शुद्ध करने की जरूरत है, क्योंकि इन सभी क्षेत्रों में आसुरी प्रवत्ति वाले लोग घुसे हुए हैं। आसुरी वृत्ति को समाप्त करके शुद्ध करने की जरूरत है। नदियों के प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि नदियों में नगरीय निकाय की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से वे गंदी हो रही हैं, जिससे जल के साथ वायु भी दूषित हो रहे हैं। इस मौके पर संतश्री के विदाई समय पर वहां बैठे श्रद्धालु भावुक हो गए और उनकी आंखे छलक आईं।

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