भेलसे से आने के कारण मंदिर का नाम भेलसे वाली माता पड़ गया
ग्वालियर, न.सं.। भेलसे वाली माता का मंदिर बहोड़ापुर स्थित जनकताल के पास स्थित है। यहां विराजमान प्रतिमा तुलजापुर वासिनी महिषासुर मर्दिनी के रूप में हैं। माता रानी का संपूर्ण श्रृंगार महाराष्ट्रीयन पद्धति से किया जाता है।
संवत् 1905, लगभग 173 वर्ष पूर्व सिंधिया शासक जयाजीराव के सेनापति गोविन्दराव बिट्ठल ने भेलसा (विदिशा) पर आक्रमण किया और वहां से लूटे गए खजाने के साथ मां तुलजा भवानी की प्रतिमा भी आ गई। जयाजीराव महाराज ने इस प्रतिमा को जनकताल पहाड़ी स्थित मंदिर में स्थापित किया। भेलसे से आने के कारण मंदिर का नाम ही भेलसे वाली पड़ गया। यहां विराजमान प्रतिमा में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की शक्ति विराजमान है। शुक्रवार के दिन यहां भक्तों की भीड़ अधिक होती है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए 108 सीढिय़ां चढऩी पड़ती है।
मंदिर का जीर्णोद्वार होना है:-
मंदिर प्रबंधन का कहना है कि मंदिर का जीर्णोद्वार होने की बहुत जरूरत है। मंदिर और मंदिर के आसपास क्षेत्र की स्थिति खराब है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। एक पूर्व मंत्री द्वारा इस मंदिर के लिए शासन से दो बार पैसे भी स्वीकृत कराए जा चुके हैं लेकिन अभी तक मंदिर का जीर्णोद्धार नहीं किया गया।
इनका कहना है:-
'यह मंदिर 173 वर्ष पुराना है। महाराष्ट्रीयन पद्धति से माता का श्रंृगार होता है। यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है।Ó
अजय भेलसेवाले, पुजारी
'मेरी मां 45 वर्ष से और मैं यहां बचपन से आ रहा हूँ। माँ की कृपा हमारे परिवार पर बनी हुई है। यहां आकर अद्भुद शांति मिलती है।Ó
मयंक शिंदे, भक्त