रेलवे का स्वच्छ वातावरण प्रदान करने का प्रयास, ट्रेनों में लगे बायो वैक्यूम टॉयलेट
ग्वालियर। यात्रा के दौरान अब यात्रियों को गाडिय़ों में गंदे शौचालयों (टॉयलेट) को देखकर मुंह नहीं सिकोडऩा होगा। ट्रेन में मौजूद शौचालयों को खत्म कर बायो टॉयलेट की सुविधा यात्रियों को दी जा रही है। इससे रेलवे प्लेटफॉर्म भी साफ रह सकेंगे। इस पर रेलवे तेजी से काम कर रहा है।
झांसी मंडल से संचालित होने वाली ट्रेनों को वेंचुरी उपकरण ने दुर्गंध से मुक्ति दिला दी है। मंडल के 350 कोच के 1400 टॉयलेट में वेंचुरी उपकरण लगाने का काम पूरा कर लिया गया है।
यहां बता दे कि उत्तर मध्य रेलवे में इसका पहला प्रयोग 18 जनवरी 2011 को बुंदेलखंड एक्सप्रेस में किया गया था, जो सफलतापूर्वक चल रहा है। मंडल में भी बायो टॉयलेट कोच चल रहे हैं। अब इसी साल फरवरी में मंडल ने सभी 350 कोच के 1400 टॉयलेट में वेंचुरी लगाने का काम पूरा कर लिया है।
ऐसे काम करता है वेंचुरी
बायो वैक्यूम टॉयलेट में लगाया गया वेंचुरी जिस दिशा में ट्रेन चलती है उस दिशा से शुद्ध हवा को टॉयलेट के अंदर लाता है और दूसरे सिरे से दुर्गंध को बाहर कर देता है। टॉयलेट के दरवाजे के नीचे रोशनदान भी बनाए गए हैं ताकि, दुर्गंध को बाहर भेजने में उमस न हो।
इन ट्रेन में लगे वेंचुरी
झांसी-इटावा एक्सप्रेस, झांसी इंदौर एक्सप्रेस, उत्तर प्रदेश संपर्क क्रांति, बुंदेलखंड एक्सप्रेस, चंबल एक्सप्रेस, झांसी-कानपुर पैसेंजर, झांसी-लखनऊ पैसेंजर, झांसी-खजुराहो पैसेंजर, झांसी-बीना पैसेंजर, झांसी-आगरा पैसेंजर, झांसी-बांदा पैसेंजर, ग्वालियर-आगरा पैसेंजर, झांसी-इटारसी पैसेंजर, झांसी-बांदा एक्सप्रेस, झांसी-लखनऊ इंटरसिटी, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम एक्सप्रेस, वेंचुरी से लैस हो गई हैं।