मतदान के बाद अटकलों का दौर, भाजपा- कांग्रेस के जीत के अपने- अपने दावे
ग्वालियर। देश की 18 वीं लोकसभा के चुनाव के तीसरे चरण में ग्वालियर- चंबल संभाग की 4 सीट पर मंगलवार को मतदान के बाद बढ़े मतदान को लेकर भाजपा- कांग्रेस के अपने-अपने दावे हो रहे हैं। वहीं आम जनमानस में जीत - हार को लेकर अटकलों व दावों का दौर चल निकला है। आगामी 4 जून को होने वाली मतगणना में परिणाम सामने आने पर सारी तस्वीर साफ होगी, तब तक अटकलों और दावों का यह सिलसिला अनवरत चलता रहेगा। ग्वालियर-चंबल संभाग के अंतर्गत आने वाली 4 लोकसभा सीट ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना और गुना पर तीसरे चरण में मंगलवार को मतदान हुआ।
अंचल में सर्वाधिक मतदान गुना सीट पर और सबसे कम भिण्ड सीट पर हुआ है। गुना सीट पर 72.43 प्रतिशत, भिण्ड सीट पर 54.93 फीसदी, मुरैना सीट पर 58.97 प्रतिशत और ग्वालियर सीट पर 62.13 प्रतिशत मतदान हुआ है। ग्वालियर में पिछले चुनाव में 59.82 प्रतिशत , मुरैना में 61.96 प्रतिशत , भिण्ड में 54.53 प्रतिशत और गुना में 70.34 प्रतिशत मतदान हुआ था। पिछले चुनाव और इस चुनाव की तुलना करें तो ग्वालियर और गुना सीट पर मतदान अधिक हुआ है। वहीं भिण्ड में 0.40 प्रतिशत की वृध्दि व मुरैना सीट पर पिछले चुनाव की अपेक्षा 2.99 प्रतिशत मतदान कम हुआ है। चुनाव में मतदाताओं की उदासीनता और गर्मी के तीखे तेवर से प्रथम व दूसरे चरण में मतदान कम हुआ था। जिससे चुनाव आयोग से लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं के चेहरों पर चिंता की लकीरें थी। सभी के सामूहिक प्रयासों का नतीजा रहा कि गर्मी के तीखे तेवरों के बाद भी पिछले चरणों की अपेक्षा तीसरे चरण में मतदान अधिक रहा।
अंचल में भाजपा ने जहां उम्मीदवारों की पहले घोषणा कर दी तो कांग्रेस और बसपा इस मामले में पिछड़ गईं। भाजपा के उम्मीदवारों को चुनाव अभियान के लिए पर्याप्त समय मिला तो कांग्रेस व बसपा उम्मीदवारों को समय भी कम मिल पाया। हालांकि चुनाव अभियान पिछले चुनावों की अपेक्षा कम धूमधड़ाके वाला रहा। बाजारों व घरों पर झंडे- बैनर कम थे तो पोस्टर भी कम ही दिखे। लाउडस्पीकरों का शोर भी कम था। चुनाव अभियान थमने के 4- 5 दिन पहले से ही बाजारों में चुनावी शोरगुल और रौनक दिखाई दी। खैर मंगलवार को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान हुआ। मतदान समाप्ति के साथ ही राजनीतिक कार्यकर्ताओं से लेकर आम जनमानस में जीत - हार को लेकर चर्चाओं और अटकलों का सिलसिला शुरू हो गया। आम जनमानस के अपने -अपने आंकलन हैं। शहर से लेकर गांवों तक के मतदान को लेकर अपने-अपने तर्क और अपना-अपना विश्लेषण।
ग्वालियर में बढ़े मतदान को लेकर दोनों ही दलों के अपने -अपने दावे हैं। भाजपा कार्यकर्ता जहां बढ़े मतदान को मोदी की गांरटी, लाड़ली बहना योजना , राम मंदिर निर्माण का असर बताकर भाजपा की जीत का दावा कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा सरकार के प्रति एंटी इनंकबेंसी और भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ बढ़े मतदान को बताकर इस बार भाजपा के गढ़ को ढहाने की बात कर रहे हैं। बसपा उम्मीदवार को लेकर भी आमजनमानस की अलग -अलग राय है। हालांकि यह बात चर्चाओं में अवश्य है कि बसपा कहीं दौड़ में नहीं है और सिर्फ वोट कटवा ही रहेगी। वहीं दूसरी ओर चुनाव के प्रमुख मुद्दों की अपेक्षा जातीय सयीकरण और उम्मीदवारों की जाति को लेकर मतदाताओं के लामबंद होकर मतदान करने की भी चर्चाएं आम हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को लेकर भी भाजपा उम्मीदवार को नुकसान होने, एक क्षत्रिय संगठन द्वारा भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ मतदान की अपील भी चर्चाओं में रही।
इसी प्रकार दोनों ही दलों में भितरघात की भी बात सामने आ रही है। अब मतदान के बाद अटकलों ,कयासों और दावों का सिलसिला चल निकला है़। सभी के अपने -अपने आंकलन से अपने-अपने परिणाम हैं। किसी के आंकलन में कांग्रेस के प्रवीण पाठक जीत कर भाजपा के गढ़ को ढहा रहे हैं तो किसी के कयास में भाजपा के भारत सिंह कुशवाह चुनाव जीत रहे हैं। मजेदार बात यह है कि आखिर में यह बात सभी कह रहे हैं कि आएगा तो मोदी ही। खैर 4 जून को होने वाली मतगणना में परिणाम साफ होगा, तब तक इंतजार कीजिए और अटकलों का दौर चलने दीजिए।