भाजपा-कांग्रेस के नेताओं का ग्वालियर संभाग की सीटों पर फोकस, दलित वोट बैंक पर हैं निगाहें

भाजपा-कांग्रेस के नेताओं का ग्वालियर संभाग की सीटों पर फोकस, दलित वोट बैंक पर हैं निगाहें
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ग्वालियर,न.सं.। सात माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपने राजनीतिक समीकरणों को बैठाना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में दोनों ही दलों में संत रविदास की जयंती पर ग्वालियर चंबल संभाग से चुनावी अभियान की शुरुआत भी कर दी। इस दिन को चुने जाने के पीछे सीधा गणित दलित वोट बैंक को अपने पाले में करने का है। इस दौरान दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ जुबानी बाण भी छोड़े। जिसमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह को इस क्षेत्र में अतिथि और नमूना तक कह दिया जिसके जवाब में कमलनाथ ने तंज कसा कि हम अतिथि है तो ग्वालियर और मुरैना की महापौर सीटें कैसे जीत ली। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था और 34 में से 27 सीटें भाजपा को मिली थीं लेकिन वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बाजी पलटते हुए 26 सीटों पर कब्जा कर लिया जिससे 15 वर्ष बाद कांग्रेस की सरकार बन गई। यह सरकार मात्र 18 महीने तक ही चली क्योंकि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ले ली। फिर 2020 के उप चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर बढ़त हासिल कर सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की। इस तरह ग्वालियर चंबल संभाग का रण दोनों ही दलों के लिए विशेष महत्व का बन गया है। इसमें बड़ी भूमिका दलित वोट बैंक की है इसलिए दोनों ही दल इस वर्ग अपने पक्ष में करना चाहते हैं।

शिवराज, तोमर, सिंधिया की तिकड़ी जुटी

ग्वालियर चंबल संभाग में 34 सीटों पर विजय हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्य भूमिका में हैं। श्री चौहान ने रविदास जयंती पर भिंड से प्रदेश भर में निकलने वाली विकास यात्राओं की शुरुआत की। वहीं ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित सांसद विवेक शेजवलकर व प्रदेश के मंत्रियों ने अगुवाई की ।

कमलनाथ आगे, दिग्गी पीछे

कांग्रेस ने भी संत रविदास जयंती पर थाटीपुर में बड़ा आयोजन किया। जिसमें कमलनाथ मुख्य भूमिका में रहे। ऐन समय पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी उनके साथ ग्वालियर आए लेकिन कमलनाथ आगे और वह पीछे नजर आए। थाटीपुर के आयोजन में विधायक डॉ सतीश सिकरवार ही शक्ति प्रदर्शन और भीड़ जुटा पाए अन्य नेता पीछे रहे।

सभी वर्गों को जोडऩे का प्रयास

कमलनाथ ने अपने प्रवास में जहां क्षत्रिय समाज के संत कृपाल सिंह के निवास पहुंचकर मुलाकात की। इसमें उन्हें ग्वालियर विधानसभा से टिकट दिए जाने की भी चर्चा के रूप में लिया जा रहा है। वहीं होटल में विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि मंडलों से भेंट की। जिसमें ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधिमंडल में हिंदू महासभा नेता महेश मुदगल और रामबाबू कटारे का मिलना जरूर चर्चा में रहा। इसके अलावा व्यापारी वर्ग में उनसे मिलने दाल बाजार व्यापार समिति के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र साहू, नवनिर्वाचित अध्यक्ष दिलीप पंजवानी,सचिव विवेक जैन लिल्ले, समीर अग्रवाल, मनीष बांदिल मनीष गोयल आदि शामिल रहे। चेंबर के किसी भी पदाधिकारी ने मुलाकात नहीं की।

खादी संघ मामले में झमेला

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को जिस तरह से भारत खादी संघ के मेले में जाने से रोका गया उससे निश्चित ही गुटबाजी के संकेत मिले हैं। क्योंकि संघ के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा है, जिन्हें शहर अध्यक्ष बनाने की सिफारिश नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने की थी लेकिन डॉ देवेंद्र शर्मा पुन: अध्यक्ष बन गए उनकी पटरी वासुदेव शर्मा से नहीं बैठती है।

राहुल भैया नहीं हुए कार्यक्रमों में शामिल

कांग्रेस में गुटबाजी का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह उर्फ राहुल भैया भी शनिवार की रात ग्वालियर में ही थे लेकिन रविवार को हुए किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। वरिष्ठ नेता यदुनाथ सिंह तोमर ने बताया कि वे फूल सिंह बरैया के यहां आयोजित विवाह समारोह में शामिल होने के बाद भोपाल चले गए।

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