गोला का मंदिर क्षेत्र से मुक्त 256 बीघा जमीन को लेकर योजना का खाका तैयार नहीं
ग्वालियर। गोला का मंदिर क्षेत्र की लगभग दो हजार करोड़ रुपए मूल्य की 256 बीघा जमीन न्यायालय द्वारा शासकीय घोषित हुए दो माह बीत जाने के बाद अभी तक जिला प्रशासन द्वारा इस जमीन पर किन विकास योजनाओं को लाया जाएगा इसका खाका तैयार नहीं किया है। जो उनकी ढिलाई को दर्शाता है। यद्यपि मास्टर प्लान में यहां बस स्टैंड, मंडी और रीजनल पार्क बनाने की योजना जरूर प्रस्तावित रही है। नई योजना बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम के पीआईयू विभाग को सौंपी गई है, इसके अधिकारी नगर एवं ग्राम निवेश से चर्चा कर खाका तैयार करने में जुटे हैं।
उल्लेखनीय है कि गोला का मंदिर क्षेत्र में जेबी मंघाराम फैक्ट्री से लगे जड़ेरुआ खुर्द की 233 बीघा और गोसपुरा की 27 बीघा जमीन कुल 256 बीघा जमीन का मुकदमा 28 वर्ष तक चलने के बाद 30 दिसंबर 2022 को राज्य शासन के पक्ष में निर्णय हुआ है। लगभग दो हजार करोड़ रुपए की यह जमीन गोला का मंदिर इंद्रप्रस्थ गार्डन के पीछे से नारायण विहार कॉलोनी तक फैली हुई है। मौजूदा स्थिति में यहां बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो गया है और कुछ क्षेत्र में गेहूं और अन्य फसलों की खेती की जा रही है। शेष जमीन रिक्त है।
अतिक्रमण हटाना चुनौती
खास बात यह है कि यहां कई बीघा जमीन पर रसूखदार भू माफिया ने कब्जा कर भूखंड बनाकर बेच दिए हैं। यह भूखंड नोटरी पर बेचे गए हैं। जिसपर तमाम मकान और दुकाने भी बना ली गई हैं। इसकी जानकारी जिला प्रशासन को है। इनके द्वारा पिछले दिनों यहां बुलडोजर चलाकर तुड़ाई की गई थी लेकिन इसके बाद पुन: निर्माण हो गया, जिससे पूरी तरह से अतिक्रमण नहीं हटाए जा सके हैं जो प्रशासन के लिए चुनौती है। और तो और हजीरा क्षेत्र के एक रसूखदार द्वारा यहां धड़ल्ले से गेहूं की खेती कराई जा रही है।
यह है मामला
31 जनवरी 1994 को स्व नारायण प्रसाद कटारे, अमरजीत कौर व गुरिंदर गिल ने दावा पेश करते हुए खुद को 260 बीघा जमीन का भूमि स्वामी घोषित करने की मांग की। उनके द्वारा तर्क दिया गया कि मिसिल बंदोबस्त के पहले से जमीन उनके पूर्वजों की रही है और वह जमीन का लगान भी झुकाते आए हैं। उनके द्वारा राजस्व अभिलेख व खसरे की नकल भी प्रस्तुत की गई। जबकि शासन की ओर से तर्क रखा गया कि यह जमीन जेबी मंघाराम के बालकृष्ण पमनानी को 1965 में लीज पर दी गई थी। शर्तों का उल्लंघन करने पर शासन ने 1979 में पट्टा आवंटन निरस्त कर दिया। तब वादी ने राजस्व मंडल तक अपील की लेकिन राहत नहीं मिली। तब वादी ने दशम जिला न्यायाधीश के यहां आवेदन दिया 30 दिसंबर 2022 को दशम जिला न्यायाधीश अशरफ अली ने वाद को निरस्त करते हुए विवादित जमीन को शासकीय घोषित कर दिया। इस तरह गोला का मंदिर क्षेत्र की 256 बीघा बेशकीमती जमीन शासकीय दर्ज कर ली गई है। जिससे जिला प्रशासन के पास इस स्थल पर विभागों को जमीन आवंटित कर बड़ी योजनाएं लाने का अवसर है। लेकिन प्रशासनिक लेतलाली के चलते योजनाओं का खाका तैयार नहीं हो पाया है।
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उच्च न्यायालय से नहीं मिली राहत
दशम जिला न्यायाधीश द्वारा दिए गए निर्णय के खिलाफ वादी ने उच्च न्यायालय की शरण ली है। जहां से फिलहाल उसे स्थगन आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। इस मामले में उच्च न्यायालय में 6 अप्रैल 2023 को सुनवाई होगी।
इनका कहना
वर्ष 2035 के मास्टर प्लान में गोला का मंदिर क्षेत्र की जड़ेरुआ खुर्द और गोसपुरा के सर्वे क्रमांकों की जमीनों पर 50 एकड़ में रीजनल पार्क और 12 एकड़ में बस स्टैंड बनाने की योजना है। यह काम जिला प्रशासन के सहयोग से किया जाएगा। वादी ने उच्च न्यायालय की शरण ली है लेकिन वहां से स्थगन नहीं मिला है।
वीके शर्मा
संयुक्त संचालक नगर एवं ग्राम निवेश
गोला का मंदिर क्षेत्र से निजी हाथों से मुक्त कराई जमीन को लेकर शासन स्तर पर निर्णय होना है। अभी इस जमीन को किसी विभाग को आवंटन नहीं किया गया है। हमारे द्वारा अतिक्रमण हटाए गए थे यदि वहां पुनर्निर्माण हुआ है तो उन्हें फिर से हटाया जाएगा।
कुलदीप दुबे
तहसीलदार मुरार
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने मौखिक तौर पर नगर निगम के पीआईयू विभाग को गोला का मंदिर की मुक्त कराई बेशकीमती जमीन पर योजनाएं बनाने को कहा है। इसे लेकर हमने नगर एवं ग्राम निवेश विभाग के अधिकारियों से चर्चा की है। कुछ दिनों में इसका खाका तैयार कर वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपा जाएगा।
पवन सिंघल
नोडल अधिकारी
पीआईयू नगर निगम