फौजी की पत्नी की यादों पर आधारित किताब "द वार्स फोट एन्ड वन एट होम" का हुआ विमोचन
ग्वालियर। गुरूवार को जीवाजी क्लब में प्रो.डॉ.कीर्ति सक्सेना की किताब "द वार्स फोट एन्ड वन एट होम" मेमॉइर्ज ऑफ अ फौजी वाइफ का विमोचन हुआ। लेखिका ने कार्यक्रम में संबोधित करते हुए बताया की सॉर्टेड पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित यह किताब बहुत सादगी, आत्मीयता और फौज के प्रति कृतज्ञता के साथ दिल से लिखी गयी पुस्तक है। यह पुस्तक न केवल फौजी, उनके परिवार बल्कि समस्त समाज के लिये प्रेरणादायी है।
सरल अंग्रेजी में लिखी गयी यह पुस्तक समस्त महिलाओं को अपने व्यक्तित्व को मील का पत्थर बनाने के लिये प्रेरित करती है। एक फौजी की पत्नी किन मानसिक, सामाजिक, पारिवारिक एवं सुरक्षात्मक समस्याओं में किस असाधारण बहादुरी के साथ न केवल स्वयं झेलती है। वरन अपने देश की, पति की ओर बच्चों की रक्षा करती है, उनका लालन पालन करती हैं, अपने पति को सभी पारिवारिक समस्याओं और चिन्ताओं से मुक्त रखती है, ताकि उसका फौजी पति देश की रक्षा पूरी एकाग्रता के साथ कर सके। किताब सही मायनों में महिला सशक्तिकरण का महत्व समझ आती है। इन्हीं अनछुए पहलुओं पर यह पुस्तक लिखी गयी है।
कार्यक्रम में विधायक प्रवीण पाठक, ग्वालियर चम्बल सम्भाग के उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ.एम.आर.कौशल, एमिटी यूनिवर्सिटी से रिटायर्ड मेजर जनरल एस सी जैन, रिटायर्ड मेजर जनरल राजिंदर कुमार, एमएलबी कॉलेज के प्राचार्य डॉ राठौर, सिंधिया स्कूल की प्राचार्य स्मिता चतुर्वेदी, गोरख राइफल्स के पूर्व कमांडिंग अधिकारी कर्नल सन्तोष विशिष्ट अतिथियों के रूप में सम्मिलित हुए आप कार्यक्रम मे संबोधन दिया। साथ ही विभिन्न सेवानिवृत्त वरिष्ठ सेना एवम वायुसेना अधिकारी, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी, पूर्व सैनिक की हेल्थ स्कीम के अधिकारी, सॉर्टेड पब्लिशिंग हॉउस से आकाश अरोरा और मुकुल गुप्ता सहित लेखिका के परिवार जन प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
आपको बता दें लेखिका प्रो.डॉ.कीर्ति सक्सेना म.प्र. शासन के उच्च शिक्षा विभाग में 42 वर्षों तक सेवारत रही। मूल रूप से भूगोल की प्राध्यापक रहने के साथ-साथ, भोपाल में, अनेक महाविद्यालयों की प्राचार्या रहीं, पदेन उपसचिव रहीं एवं क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, ग्वालियर चम्बल सम्भाग के पद से, ग्वालियर में वर्ष 2007 में सेवानिवृत्त हुई। यह आपकी दूसरी पुस्तक है। गत वर्ष आपकी कविताओं की पुस्तक "नहीं यह भूगोल नहीं" प्रकाशित हुई थी। कोरोना काल में गत दो वर्ष में लगे सामाजिक प्रतिबंधों का सम्भवतः लेखिका द्वारा यह श्रेष्ठतम उपयोग किया गया है।