दुश्मनों को फंसाने अक्षया हत्या की गवाह पर चलाई थी गोलियां, तीन दबोचे
ग्वालियर। अक्षया यादव हत्याकांड की गवाह करुणा शर्मा पर गोलियां चलाकर भागे बदमाशों को पुलिस ने पकडऩे में सफलता अर्जित कर ली है। अक्षया की हत्या में जेल में बंद आरोपियों को फंसाने के लिए उनके दुश्मनों ने गवाह पर गोलियां चलाई थीं। पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोडक़र गोलियां चलाने वाले तीन आरोपियों को पकड़ लिया है। जबकि इनक दो साथी पुलिस पकड़ से दूर है। पुलिस ने बदमाशों के कब्जे से हथियार व घटना में इस्तेमाल मोटर साइकिल बरामद कर ली है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल ने बताया कि मंगलवार को बाहरबीघा सिंकदर कम्पू निवासी करुणा शर्मा पर अज्ञात बदमाशों ने गोलियां चला दी थीं। करुणा शर्मा व उनकी बेटी सोनाक्षी अक्षया यादव हत्याकांड की मुख्य गवाह हैं। बदमाश उनको लगातार निशाना बनाते रहते हैं। जैसे ही पुलिस को करुणा शर्मा पर गोलियां चलाने की सूचना मिली पुलिस बदमाशों की तलाश करने में जुट गई। पुलिस ने घटनास्थल पर आधा सैकड़ा से ज्यादा सीसीटीव्ही खंगाले तो संदेही उसमें कैद हो गए। पुलिस ने जब दो संदेहियों को पकडक़र उनसे पूछताछ की तो वह पहले घटना से इंकार करने लगे। सख्ती से पूछने पर दोनों बदमाश टूट गए और उन्होंने करुणा शर्मा पर गोलियां चलाना स्वीकार कर लिया। पकड़े गए दोनों बदमाशों की पहचान कैंडी उर्फ सुशांत तिवारी निवासी एकता विहार कॉलोनी गुढ़ा, गुलशन भापकर निवासी गणेश कॉलोनी नादरिया की माता गुढ़ा के रुप में हुई। पूछताछ के दौरान बदमाशों ने बताया कि शिवपुरी जेल में बंद पृथ्वीराज चौहान से उनकी टसन चल रही है। राज चौहान और बाला सुर्वे की जमानत नहीं हो इसके लिए दुश्मनों ेको फंसाने के लिए करुणा पर गोलियां चलाई थीं। जेल में बंद बदमाशों की जमानत नहीं होने के लिए यह षडयंत्र रचा गया था। कैंडी व गुलशन ने पूछताछ में अपने साथी परख चौरसिया, गोलू पाठक और बेटू चौरसिया के नाम बताए। पुलिस ने दबिश देकर परख को भी दबोच लिया। पकड़े गए तीनों बदमाशों के कब्जे से कट्टा पिस्टल और घटना में प्रयुक्त मोटरसाइकिल बरामद की गई।
जिंदगी से अब निराशा होने लगी: करुणा शर्मा
शिक्षिका करुणा शर्मा ने दुखी मन से अपनी पीड़ा सुनाते हुए कहा कि अब तो जिदंगी से निराशा होने लगी है। मैं और मेरा परिवार दो वर्ष से किस दौर से गुजर रहा है उसको में बयां नहीं कर सकती हूँ। बदमाश मुझ महिला को लगातार निशाना बना रहे हैं। सडक़ पर कई बार में तमंचों का सामना कर चुकी हँू पता नहीं कब मेरी जिंदगी का आखिरी दिन हो जाए। परिवार की स्थिति दिन ब दिन बदतर होती जा रही है। पहले मेरी बेटी को निशाना बनाया गया फिर मुझे निशाना बनाया जा रहा है। मुझे तो कोई जानकारी नहीं है कौन पकड़ा है कौन नहीं लेकिन मेरे ऊपर गोलियां तो चलाई थीं। बदमाशों की क्या योजना है और हम कैसे सुरक्षित रहेंगे यह मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं कि हमें बदमाशों से छुटकारा दिलाकर खुली हवा में सांस लेने दी जाए। वरना मेरे और परिवार के आगे आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
में कदम पीछे नहीं हटाऊंगी एक बेटी की जान का सवाल है
में अपने कदम इस निर्णय से पीछे नहीं खीचंूगी। अक्षया यादव की हत्या से मुझे व मेरे परिवार को काफी गहरा सदमा है। बदमाशों के तो ऐसे हौसले बुलंद हो जाएंगे। जीवन में संघर्ष और पीड़ा झेलकर में व मेरा परिवार थक चुका है लेकिन आज समाज और मीडिया के सहयोग से ही हमें शक्ति व न्याय की उम्मीद लगातार बनी हुई है। यह लड़ाई पुलिस प्रशासन ग्वालियर के लोगों की हिम्मत के सहारे लड़ी जा रही है।