बरई-पनिहार में जहरीला पानी पीने से फैल रहा कैंसर, 50 की मौत
ग्वालियर,न.सं.। ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र के घाटीगांव से लगे बरई एवं पनिहार के लोग एक घातक बीमारी से घिरे हुए है। इस बीमारी का नाम लेते ही लोगों की रुह कांप जाती है। क्योंकि यह सीधे-सीधे मौत के दरवाजे तक ले जाती है।
दरअसल इस क्षेत्र में बोरिंग और कुएं का पानी इतना जहीरला हो गया है कि उससे कैंसर फैल रहा है। अब तक की जानकारी के मुताबिक कैंसर से पीडि़त होकर 50 से अधिक लोग दम तोड़ चुके है। अब स्थिति यह है कि यहां पानी पीना ही दुश्वार हो गया है। हालत यह है कि लोग यहां से पलायन को मजबूर है और तो और जल शक्ति मंत्रालय के भूजल बोर्ड की टीम ने इस क्षेत्र में कैंसर रोगियों की बढ़ती संख्या के कारणों को जानने के लिए सर्वे किया था। सर्वे रिपोर्ट में पाया गया कि यहां के पानी ने कैंसर कारक तत्व हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सांसद विवेक शेजवलकर ने पिछले दिनों लोकसभा में इस मुद्दे को उठाकर आवश्यक कदम उठाने की मांग रखी थी।
हकीकत जानने स्वदेश टीम बरई गांव पहुंची तो वहां लोगों की चौपाल लगी हुई थी, यहां जब पानी पीकर कैंसर से जंग लड़ रहे लोगों से चर्चा की तो लोग भावुक हो उठे। टीम ने देखा कि किसी के हाथ में तस्वीर है, तो किसी के हाथों में मोबाइल पर अपनों की तस्वीर है। ये वो तस्वीरें थी, जिन्हें उन्होनें कैंसर से खो दिया है। क्योंकि कैंसर इस गांव में भयावह रूप ले चुका है। गांव में करीब आधा सैकड़ा यानि की 50 से ज्यादा लोगों को मौत जहरीला पानी पीने से हुए कैंसर से हो गई है। जिनमें सरकारी आंकड़ों में 15 से ज्यादा लोगों की मौत स्वीकार की गई है। तो वहीं जो जीवित है, वे भय ग्रस्त होकर रह रहे है।
टीम जब गांव में थोड़ा ओर आगे बड़ी, तो तीन बुजुर्ग खटिया पर बैठे हुए थे। उनसे जब बात की तो हमीद खान नाम के बुजुर्ग ने बताया कि बरई गांव में तेजी से कैंसर बढ़ रहा है। इस कैंसर ने उनके बचपन के साथी से लेकर गांव के युवाओं को निगल लिया है। अब तो हालत ये है, गांव के हर दूसरे घर में कैंसर पीडि़त मरीज है, तो कोई कैंसर से अपने परिवार के सदस्य को गांव चुका है। उन्होनें ने अपने दोस्त को गंवाया है।
तंबाकू भी नही खाई और हो गया कैंसर
गांव के लगभग 60 साल के मंगल प्रसाद चौरसिया भी कैंसर का शिकार हो गए है। उन्होनें अपनी जीवनकाल में कभी भी तंबाकू का सेवन नही किया। मंगल का इलाज चल रहा है, अब पानी आरओ का पी रहे है। वहीं गांव में अभी कई ऐसे मरीज है, जो कैंसर पीडि़त है। लेकिन वह बात नहीं करना चाहते है। कैंसर होने के बाद, मंगल ज्यादा बोल नही पा रहे थे।
10 हजार से ज्यादा की आबादी
इस गांव में 6800 मतदाता है। साथ ही गांव की आबादी लगभग 10 हजार से ज्यादा है, लोगों को पानी बोरिंग और कुएं से मिलता है। जिसके पानी को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे है, इससे ही कैंसर हुआ है।
अब तक कैंसर से इन लोगों ने तोड़ा दम
बरई के निवासी राजेश पाराशर के मुंह, सुरेश पाठक के हड्डी, प्रोस्टेट एवं लंग्स रज्जर रावत, प्रमोद राठौर, गोपाल बघेल, भगवानलाल पाठक और शिवचरण चौरसिया के गले, मातादीन पाठक और हरिप्रसाद पाठक के प्रोस्टेट, जितेन्द्र रावत के जांघ, बाबूसिंह यादव के ब्रेन, रामसिंह रावत और घनश्याम चौरसिया के जीभ, अवधेश कौरव के ब्लड, रमेश चौरसिया के लीवर, कलाबाई शाक्य के किडनी, हुकुमा यादव के पेट, पुष्पा त्रिपाठी के ब्रेन, नरेन्द्र शर्मा, शीला कुशवाह और मुन्नीबाई यादव के लीवर, टुंडा प्रजापति के प्रोस्टेट, राजेन्द्र यादव के दाढ़, सावित्री कौरव के लीवर और गर्भाशय, शेराबानो के कान में कैंसर से एवं रतनलाल चौरसिया और श्यामलाल रावत की कैंसर से मौत हो चुकी है
कुएं और बोरिंग का पानी एक जैसा
इस गांव में कुएं ओर बोरिंग का पानी लगभग एक जैसा है। जिसे लोग अपने लिए हानिकारक मानते है, गांव में जो संपन्न लोग है, उन्होनें आरओ लगा लिया है। तो वहीं सरकार ने एक पानी की टंकी का निर्माण करवा दिया। टंकी में बोरिंग से पानी पहुंचाया जाता है। फिर उसकी सप्लाई की जाती है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि नई टंकी को बने डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त बीत गया है, लेकिन उसे आजतक भरा नही गया है। जो मौजूदा टंकी है, वह गंदी है।
पिता को खोने के बाद अब कैंसर पीडि़तों की लड़ रहे लड़ाई
गांव के मुकुंद पाठक से बात की, तो उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने पिता, सुरेश पाठक को कैंसर से खोया है। लेकिन अब वो कैंसर की पीडि़तों की लड़ाई लड़ रहे है। पेशे से मुंकंद पाठक वकील है। उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करते है। लेकिन उन्होनें देखा कि उनके पिता के साथ-साथ कई ओर लोग कैंसर की चपेट में आ रहे है। साथ ही युवा भी शिकार हो रहे है, तो उन्होनें इसकी लड़ाई शूरू कर दी। तब उनके समाने दो चीजें समाने आई, जिसमें एक था, या कि ओर पानी जिसके बाद हर स्तर उन्होनें जमीन ओर पानी की जांच कराने के लिए आवेदन दिया।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने की थी जांच
घाटीगांव इलाके में सबसे ज्यादा कैंसर पीडि़त मरीजों के मिलने के बाद केंद्रीय जल शाक्ति मंत्रालय ने इसकी जांच शुरू की। जिसकी रिपोर्ट में आया कि यहां के पानी को पीने से किडनी, लिवर और कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ता है और इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि घाटीगांव इलाके में खनिज की चट्टानें हैं और यहां पर पत्थर की खदानें सबसे अधिक है। जहां हर समय पत्थर माफिया विस्फोट करके पत्थर निकालते रहते हैं। इस कारण भूजल में यूरेनियम मिलने के प्राकृतिक कारणों में यूरेनियम वाली ग्रेनाइट चट्टानों से यह भूजल में रिश्ता रहता है। तो वहीं गांव के लोग इतना डरे हुए है, वो अपने खेतों में भी रासयानिक खाद का उपयोग नही करते है। बल्कि गाय ओर भैंस के गोबर को खाद के रूप में उपयोग करते है।
लोकसभा में उठ चुका है मुद्दा
बरई गांव में कैंसर के बढ़ते मरीजों को लेकर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर चितिंत है। उन्होनें लोकसभा में यह मुद्दा सदन के पटल पर रखा है। उन्होंने कहा है कि यह काफी चिंता का विषय है और इसका समय रहते निराकरण करवाएं ताकि वहां की जनता को बचाया जा सके। सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने लोकसभा में नियम 337 के तहत यह मुद्दा सदन के पटल पर रखते हुए कहा कि जिले के घाटीगांव ब्लॉक में बरई, पनिहार आदिवासी का पुरा सहित दर्जनों भर गांव में लगातार कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है जो कि चिंता का विषय है।
रेलवे लाइन के लिए किए थे ब्लास्ट, तब से बदलाव आया
गांव के मुकुंद पाठक ने बताया कि यहां से रेलवे लाइन डालने के लिए यहां पर ब्लास्ट किए गए थे। उसके बाद से ही पानी के स्त्रोत में बदलाव आया है। पहले पानी 350 फुट पर निकल जाता था, लेकिन अब पानी 800 फुट पर निकलता है।
बर्तनों में लाल धब्बे
गांव के लोगों ने बताया कि जिन बर्तनों में पानी भरा रहता है अगर दो दिन में वह खाली नहीं करते है तो उसके अंदर लाल-लाल धब्बे बन जाते है।