प्रत्याशियों को नामांकन भरने करनी होगी माथापच्ची, प्रपत्र खाली छोड़ा तो नामांकन रद्द
ग्वालियर, न.सं.। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा के उप-चुनाव का विगुल बज चुका है और सियासी पारा चढ़ा हुआ है। प्रदेश में दोनों प्रमुख पार्टियां के उम्मीदवार लगभग तय हो गए हैं और वे चुनावी समर भी उतए आए हैं। प्रदेश में 03 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए 9 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नाम-निर्देशन पत्रों का दाखिला शुरू हो जाएगा। लेकिन इस बार उम्मीदवारों के लिए नाम-निर्देशन पत्र भरना आसान नहीं होगा। उन्हें नामांकन भरने के लिए माथापच्ची करनी पड़ेगी। यदि गलती से कोई कॉलम छूट गया तो उन्हें विधानसभा उप-चुनाव लडऩे से हाथ धोना पड़ सकता है। जरा सी गलती की वजह से उनका नामांकन पत्र निरस्त हो जाएगा। इसलिए नामांकन पत्र सोच-समझकर व विशेषज्ञों की राय के बाद ही भरें।
उच्चतम न्यायालय के निर्देश चुनाव आयोग ने नाम-निर्देशन पत्र का प्रारूप पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा जटिल कर दिया है। नामांकन पत्र में पहले जो बिंदु थे उनके अलावा अन्य बिंदु भी जोड़ दिए हैं, जिसमें जीएसटी का साया भी रहेगा। इसमें पूछा जाएगा कि कहीं आपका जीएसटी तो बकाया नहीं है। करीब दो सौ से अधिक बिंदुओं में भरे जाने वाले इस पत्र का कोई भी कॉलम खाली नहीं छोड़ा जाना है। अगर भूल से कोई कॉलम खाली रह गया या किसी कॉलम में सही या गलत का निशान नहीं लगाया तो नामांकन निरस्त किया जा सकता है। साथ ही कॉलम में यदि सही का ऑप्शन है तो उसमें सही ही लिखना होगा। यदि सही का निशान भर लगा दिया तो यह महंगा पड़ सकता है। इतना ही नहीं कई नई जानकारियां भी इस बार उम्मीदवारों को नामांकन में देना होगी। नामांकन पत्र में जितने भी कालम दिए जाएंगे, सभी को भरा जाना अनिवार्य कर दिया गया है। हां या नहीं, वाले कालमों में भी हां-नहीं लिखना ही होगा। पहले ऐसे कई कालमों को खाली छोड़ दिया जाता था। इस बारनए नियम में इसे अनिवार्य कर दिया है और कहा है कि कोई भी कॉलम खाली न छोड़ें। इस कारण प्रत्याशियों को जमा करने के कम से कम दो दिन पहले विधि सलाहकारों के साथ बैठकर तैयारी करनी होगी।
विवादित संपत्ति, जीएसटी की देनी होगी जानकारी -
उम्मीदवारों को किसी तरह के विवादित संपत्ति मामलों के बारे में भी बताना होगा। इसमें उसकी कीमत भी बतानी होगी। शासकीय परिवहन को लेकर अगर किसी तरह का बकाया है तो इसकी जानकारी नाम-निर्देशन पत्र में देनी होगी। इसमें एयरक्राफ्ट और हेलीकाप्टर को लेकर बकाया का जिक्र है। साथ ही इस बार प्रत्याशियों के ऊपर जीएसटी का साया भी मंडराएगा। नामांकन पत्र में जीएसटी से संबंधित जानकारी भी मांगी जाएगी। नए प्रारूप में पूछा जाएगा कि उम्मीदवार का जीएसटी तो बकाया नहीं है। संपत्ति कर समेत अन्य किसी भी तरह के कर बकाए के बारे में भी नामांकन पत्र में जानकारी मांगी गई है।
शपथ-पत्र के साथ लगानी होगी फोटो-
प्रत्याशी को पहली बार नामांकन पत्र में दो बाय ढाई साइज की कलर फोटो शपथ पत्र में अनिवार्य रूप से लगानी होगी। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह शपथ-पत्र संबंधित प्रत्याशी द्वारा ही दिया गया है। फोटो में भी सील लगानी होगी। नामांकन पत्र में पहले केवल सही या गलत का निशान लगाकर इसकी पूर्ति कर दी जाती थी। इस दफे प्रत्याशी को जो सही है उसे सही और जो गलत है उसे गलत लिखना होगा
इस बार यह प्रमुख बदलाव -
-प्रत्याशी को पिछले एवं वर्तमान के अपराधिक रिकार्ड की जानकारी देनी होगी। उनके खिलाफ क्या-क्या प्रकरण चल रहे हैं और स्थिति क्या है यह पूरा उल्लेख करना होगा। फार्म-26 में भरकर यह देना होगा। साथ ही प्रत्याशी व दल को समाचार पत्र में यह प्रकाशित करवाना होगा और नामांकन पत्र के साथ प्रति लगाना होगा।
-शासकीय देयकों व बकाया की राशि का पूरा विवरण अनिवार्य रूप से देना होगा। यदि कोई ऋण है तो उसे भी बताना होगा।
-इसके अलावा यदि व्यापार है तो जीएसटी की जानकारी देनी होगी।
-नामांकन पत्र में कोई भी कॉलम नहीं छोडऩा होगा, सभी कॉलम भरना अनिवार्य किया गया है।
-इसके अलावा अन्य बदलाव भी हुए हैं।
प्रदेश में यह रहेगी उप-चुनाव की प्रक्रिया -
-09 अक्टूबर अधिसूचना जारी होगी। इसी के साथ नाम निर्देशन पत्र लेने का सिलसिला शुरू होगा।
-नामांकन पत्र 16 अक्टूबर तक भरे जाएंगे।
-17 अक्टूबर को संवीक्षा होगी।
-19 अक्टूबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे।
-03 नवंबर को मतदान होगा।
-मतों की गिनती 10 नवंबर को होगी।
इनका कहना है
विधानसभा उप-चुनाव को देखते हुए जिले में आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई है। नौ अक्टूबर को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नाम-निर्देशन पत्र भरे जाएंगे। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत नामांकन भरना होगा।
-कौशलेन्द्र विक्रम सिंह,जिलाधीश