उच्च न्यायालय के स्थगन के बाद जीडीए में दे दिया प्रभार

उच्च न्यायालय के स्थगन के बाद जीडीए में दे दिया प्रभार
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ग्वालियर। तत्कालीन संभागीय आयुक्त कार्यमुक्त होने से पहले ग्वालियर विकास प्राधिकरण में दूसरे विभाग के तीन अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार के आदेश जारी कर गए, जबकि जीडीए के दो अधिकारियों के पास स्थगन आदेश होने से वह पदों पर हैं। ऐसे में अब एक ही पद पर दो-दो अधिकारी हो गए हैं।

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन संभागीय आयुक्त दीपक सिंह ने जीडीए बोर्ड बैठक के बाद 12 फरवरी 2024 को दो अलग-अलग आदेश जारी कर अधीक्षण यंत्री डीडी मिश्रा और संपदा अधिकारी डॉ दिनेश दीक्षित को निलंबित कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ दोनों अधिकारियों ने उच्च न्यायालय की शरण ली जिसपर श्री मिश्रा को 19 फरवरी व श्री दीक्षित को 27 फरवरी को स्थगन मिल गया जिससे वह वापस उन्हीं पदों पर काबिज हो गए। इस बीच संभागीय आयुक्त पद से दीपक सिंह का तबादला इंदौर संभागीय आयुक्त पद पर हो गया। तब जाते जाते उन्होंने दो विभागों के तीन अधिकारियों नायब तहसीलदार शत्रुघ्न सिंह चौहान ,निगम के अधीक्षण यंत्री जेपी पारा और कार्यपालन यंत्री पवन सिंहल को जीडीए में कृमश: संपदा एवं भू-अर्जन, अधीक्षण यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री के अतिरिक्त प्रभार के आदेश जारी कर दिए जिसपर तारीख 7 मार्च डाल दी गई। श्री सिंह के इस आदेश के बाद शत्रुघ्न सिंह चौहान ने जीडीए में आमद दे दी है, जबकि पारा और सिंहल व्यस्तता के चलते जोइन होने नहीं पहुंच पाए हैं। इस तरह जीडीए में अब दो संपदा अधिकारी डॉ दिनेश दीक्षित व शत्रुघ्न चौहान और दो अधीक्षण यंत्री डीडी मिश्रा व जेपी पारा हो गए हैं। यहां बता दें कि निगम के जिन यंत्रियों को अतिरिक्त प्रभार दिए गए हैं, वे पहले से ही कई प्रभारों से युक्त हैं, यानीकि वह अपने ही विभाग में समय नहीं दे पा रहे ऐसे में बदहाल जीडीए में वह क्या करेंगे, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

ठेकेदार की टेपिंग में दस लाख की मांग

नगर निगम में भवन शाखा में तो इंजीनियर किसी भी कालोनी अथवा भवन अनुमति के लिए लाखों और हजारों रुपए मांगने के बाद ही मंजूरी देते हैं, लेकिन अब पीआईयू में भी ऐसा ही कारनामा सामने आया है। दरअसल जनकार्य विभाग के अधिकांश बड़े काम पीआईयू से कराए जा रहे हैं। इसमें मनमानी शर्तें लगाकर चहेते ठेकेदारों को टेंडर दिलवा दिया जाता है। यहां पहले से ही चर्चित यंत्रियों को रख लिया गया है जो जनकार्य के बड़े बड़े काम कराने के बदले में ठेकेदार से मोटी रकम मांगते हैं। ताजा किस्सा चर्चा में आया है, उसमें एक ठेकेदार को बसंत विहार और गांधी रोड पर सवा करोड़ रुपए में टाइल्स और तार फैंसिंग लगाने का ठेका मिला है। काम आधा अधूरा होने के कारण संबंधित दो उपयंत्रियों ने बिल पास कराने के एवज में दस से पंद्रह लाख रुपए मांगे। ठेकेदार ने शातिर दिमाग लगाकर उप यंत्रियों से हुई बातचीत रिकॉर्ड कर ली। बताया जा रहा है कि रिकॉर्डिंग के बाद एक यंत्री को हटा दिया गया है जबकि एक उपयंत्री, बड़े यंत्री के नजदीक होने के कारण वहीं है। इस मामले में जब संबंधित ठेकेदार रोबिन सक्सेना से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि मामला बेहद गंभीर है, इसकी मिलने पर पूरी जानकारी दूंगा। लेकिन इसके बाद ठेकेदार ने फोन नहीं उठाया। समझा जाता है कि यंत्रियों के दवाब में वह घबरा गया।

अलग खुलवाया खाता

यहां मजेदार बात यह है कि नगर निगम का एक्सिस बैंक में पहले से ही खाता है लेकिन पीआईयू के भुगतान बिना कांट-छांट आसानी से हो जाएं इसके लिए महाराष्ट्र बैंक बहोड़ापुर में एक नया खाता खुलवाया गया है। इसके लिए एकाउंट एवं भवन शाखा के अधिकारियों ने विशेष रुचि दिखाई।

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