स्वच्छता की परीक्षा नजदीक, कोई तैयारी नहीं, फिर भी दावा पहले से रहेंगे बेहतर

स्वच्छता की परीक्षा नजदीक, कोई तैयारी नहीं, फिर भी दावा पहले से रहेंगे बेहतर
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ग्वालियर,न.सं.। स्वच्छता सर्वेक्षण में की परीक्षा अगले माह फरवरी में होने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन शहर इस परीक्षा को लेकर तैयार दिखाई नहीं दे रहा है। शहर में नाले-नालियों की सफाई कार्य में कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा। घूरे खत्म नहीं हो सके। सडक़ों के किनारे लगे कचरा दान खुद कचरे में तब्दील हो चुके है। स्वच्छता को लेकर कोई गतिविधियां भी होती नहीं दिख रही। वहीं गतिविधियों के लिए किसी एनजीओ की सक्रियता भी दिखाई नहीं दे रही। इस सबके बाद नगर निगम का दावा कि स्वच्छता में पहले से बेहतर स्थिति में रहेंगे।

ज्ञात हो कि नगर निगम द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए करीब पांच करोड़ रुपए की मांग शासन से की गई थी, लेकिन यह राशि अभी तक मिली नहीं है।

पूर्व में किए स्वच्छता के प्रयास भी सतत नहीं रह पाए

पूर्व में किए गए स्वच्छता के कार्य भी सतत नहीं रखे जा सके हैं। शहर की सुंदरता के लिए की गई चित्रकारी धूल और मिट्टी में मिल चुकी है। पहले गलियों में कचरे के ढेरों पर रंगोली बनाकर समाप्त किया गया था, लेकिन अब उन स्थलों पर गंदगी की भरमार है। कचरा फेंकने पर स्पॉट फाइन जैसी कार्रवाई भी सिर्फ दिखावा साबित हो रही है। इन सभी स्थितियों के रहते स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर स्थिति रह पाना मु श्किल जरूर लग रहा है।

कुछ अच्छे प्रयास शुरू पर मानीटरिंग नहीं

सफाई कार्य में कुछ अच्छे प्रयास शुरू हुए जिनमें कचरा संग्रहण के लिए हर वार्ड में गाडिय़ा आ तो रही है, लेकिन निगरानी नहीं होने की वजह से गाडिय़ा वार्डो में समय पर नहीं पहुंच रही है। वहीं जिन दीवारों पर पेंटिंग की जा रही है, वहां पर बिना सफाई किए ही रंग रोगन किया जा रहा है।

हर वर्ष खर्च होते है करोड़ो रूपए

स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 की बात करें तो ग्वालियर को निराशा ही हाथ लगी थी। जबकि सफाई व्यवस्था पर हर साल 65 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी सर्वेक्षण के नतीजों में ग्वालियर पिछड़ जाता है। वहीं अधिकारी दावा कर रहे है कि 2023 में हर हाल में रैंकिंग में सुधार पर अधिक जोर दिया जा रहा है।

ऐसा रहा है ग्वालियर का स्वच्छता में प्रदर्शन

वर्ष- रैंक मिली

2016- 73वीं

2017- 27वीं

2018- 28वीं

2019- 59वीं

2020- 13वीं

2021- 15वीं

2022- 18वीं

स्मार्ट सिटी का सहयोग ले रहा है नगर निगम

रैकिंग सुधारने के लिए नगर निगम ने स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन से भी सहयोग लिया है। तीन नए कचरा ट्रांसफर स्टेशन शुरू करने के साथ ही 50 करोड़ रुपये से नए वाहन और अधोसंरचना विकास के काम होने हैं, लेकिन प्रक्रिया बहुत धीमी रफ्तार से चल रही है। इसका नतीजा यह है कि सिर्फ नए वाहनों की खरीद, तीन कचरा ट्रांसफर स्टेशन, सीएंडडी वेस्ट प्लांट और मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी के एक प्लांट का काम ही सर्वेक्षण के आखिरी चरण से पहले पूरा हो सकेगा। अप्रैल माह में केंद्रीय दल आकर शहर में निरीक्षण शुरू कर देगा।

ये काम होने है

-लैंडफिल साइट पर कचरे का निपटान - इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार से मिले 66 प्रतिशत अनुदान व निगम का हिस्सा मिलाकर 33.16 करोड़ रुपये की लागत से साढ़े छह लाख मीट्रिक टन कचरे का निपटान किया जाना है।

-सीएंडडी वेस्ट प्लांट -1.99 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट के निपटान के लिए 50 टन प्रतिदिन क्षमता वाला प्लांट लगाया जाना है। ये प्लांट जलालपुर में लगाया जाना प्रस्तावित है।

- सीएनजी प्लांट-लाल टिपारा स्थित गोशाला के पास इंडियन आयल कार्पोरेशन के सीएसआर मद से 32 करोड़ रुपये की लागत से सीएनजी प्लांट स्थापित किया जाना है।

- तीन कचरा ट्रांसफर स्टेशन -स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन के माध्यम से लगभग 12 करोड़ रुपये की लागत से तीन कचरा ट्रांसफर स्टेशन बनाए जा रहे हैं।

-50 करोड़ से वाहन खरीदी और अधोसंरचना सुधार-स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन के माध्यम से 50 करोड़ रुपये की लागत से 100 वाहनों की खरीद के साथ ही लैंडफिल साइट पर 250 टन प्रतिदिन क्षमता की वेस्ट टू कंपोस्ट यूनिट के साथ ही पांच ट्रांसफर स्टेशनों को अपग्रेड करने सहित अधोसंरचना के कार्य किए जाने हैं।

इनका कहना है

स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए तैयारियां तेज कर दी गई है। सर्वेक्षण के लिए शासन से पांच करोड़ की राशि की मांग की है, लेकिन अभी तक राशि नहीं आई है। सभी वार्ड मॉनीटिरों द्वारा वार्डो में निरीक्षण किया जा रहा है।

अमर सत्य गुप्ता

उपायुक्त


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