सर्वे के बाद जगह तय हुई, फिर भी 59 महीने से अटका कोचिंग जोन का मामला
ग्वालियर। 5 साल पहले सूरत के कोचिंग सेंटर में हुए भीषण अग्निकांड के बाद जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग की टीम ने 13 बिंदुओं पर ग्वालियर के कोचिंग सेंटरों की जांच की थी, लेकिन उसके बाद अधिकारी चुप बैठ गए। नतीजा- 59 महीने पहले तय हुए कोचिंग जोन पर कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी।
जिला प्रशासन ने शहर में कोचिंग जोन के लिए 4 स्थान तय किए और कागजों में कोचिंग संचालकों से सहमति भी ले ली। मगर, उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई। अधिकारियों एवं कोचिंग संचालकों के बीच हुई बैठक में तय हुआ था कि जमीन सरकार देगी और बिल्डिंग की निर्माण लागत सेंटर संचालक देंगे। कलेक्टर रूचिका सिंह का कहना है कि ये मामला मेरी जानकारी में नहीं है। मैं फाइल निकलवाकर प्रक्रिया आगे बढ़वाती हूं।
सरकार के साथ बदली प्राथमिकता
कोचिंग सेंटरों की जांच मई 2019 में की गई और तभी जोन बनाना तय किया गया। तब प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी, लेकिन 2020 में भाजपा की सरकार प्रदेश में फिर लौटी और सरकार बदलने के साथ ही ये प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। उसके बाद से न तो जनप्रतिनिधियों ने इस पर गौर किया और न अधिकारियों ने। जिसका असर ये है कि आज भी ग्वालियर के रिहायशी इलाकों और तंग बस्तियों व बाजारों में सैकड़ों कोचिंग सेंटर चल रहे हैं।
ये जगह हुईं थीं तय
-कंपू और लश्कर क्षेत्र के हिसाब से आमखो पर जमीन तय की गई।
-थाटीपुर एवं सिटी सेंटर क्षेत्र के लिए बसंत टॉकीज की खाली जमीन।
-पड़ाव, लक्ष्मीबाई कॉलोनी के लिए पार्क होटल की जमीन।
-मुरार, भिंड रोड के लिए दीनदयाल नगर में जमीन तय हुई।
हम आज भी कोचिंग जोन के लिए तैयार हैं
हमने प्रशासन को निर्माण लागत देने पर सहमति दे दी थी। लेकिन जगह तय होने के बाद प्रशासन की ओर से कोचिंग जोन बनाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। हम आज भी कोचिंग जोन के लिए तैयार हैं।
- एमपी सिंह, अध्यक्ष/ ग्वालियर कोचिंग एसोसिएशन