अपनों पे सितम, गैरों पे रहम,यह है कांग्रेस हाईकमान का जुल्म

अपनों पे सितम, गैरों पे रहम,यह है कांग्रेस हाईकमान का जुल्म
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राजीव अग्रवाल

ग्वालियर। एक ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में विजयी होकर पुन: सत्ता प्राप्ति का दंभ भर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई विधानसभाओं में कांग्रेस के पास प्रत्याशियों का टोटा पड़ गया है। ऐसे में वह दूसरे दलों एवं निर्दलीयों पर निर्भर होकर अपने दल में लाकर चुनाव लड़ाने की मंशा में हैं, जिससे उस विधानसभा क्षेत्र के दावेदार कांग्रेस नेताओं में विद्रोह की स्थिति निर्मित हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि मात्र सवा साल सत्ता में रहने के बाद 22 कांग्रेसी विधायकों के बागी हो जाने पर कमलनाथ की सरकार ढह गई। इसके बाद वे और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातार यह कहते आ रहे हैं कि यह सरकार अलोकतांत्रिक तरीके से गिराई गई है, इसलिए जनता उपचुनाव में उन्हें पुन: जिताएगी। किंतु पिछले कुछ दिनों में देखने में यह आया है कि कमलनाथ द्वारा कांग्रेस के दावेदारों से यह कहा जा रहा है कि सर्वे में जिसका नाम ऊपर होगा, उसे ही टिकट दिया जाएगा। ऐसा कहकर वह भोपाल पहुंच रहे दावेदारों को वापस लौटा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ क्षेत्रों में बसपा एवं निर्दलीयों के कांग्रेस में शामिल होने से यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि कांग्रेस दावेदारों की जगह उन्हें टिकट दिया जा सकता है। इस तरह के सवाल कांग्रेस के अंदरखाने में चल रहे हैं, जिससे उस विधानसभा में लंबे समय से कांग्रेस के लिए कार्य कर रहे नेता एवं कार्यकर्ता अपने आप को बिना किसी जुर्म उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।

इन्हे किया शामिल

फूल सिंह बरैया: लंबे समय से बसपा से जुड़े रहने के बाद कई अन्य दलों में जाने और स्वयं की पार्टी बनाने वाले फूल सिंह बरैया कांग्रेस में शामिल किए गए। उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया गया है। उन्हें गोहद, डबरा एवं भांडेर से दावेदार माना जा रहा है।

बालेंदु शुक्ल: 12 वर्ष कांग्रेस से दूर रहने के बाद वापसी हुई है और अब ग्वालियर पूर्व एवं ग्वालियर विधानसभा से टिकट मिलने की संभावना है।

सत्यप्रकाशी पड़सेरिया: बसपा से नगर पालिका डबरा की अध्यक्ष रहीं। पिछला विधानसभा चुनाव बसपा से लड़ा 2800 मत आए। अब कांग्रेस में शामिल होकर मुख्य दावेदार हैं।

प्रागीलाल जाटव: बसपा के टिकट पर करैरा विधानसभा से चुनाव लड़कर 45 हजार मत प्राप्त किए। अब कांग्रेस में शामिल होकर दावेदार बन गए हैं।

चौधरी राकेश सिंह: दिग्विजय सिंह से पंगा हो जाने के बाद चौधरी राकेश सिंह की स्थिति बेहद डांवाडोल है। यह स्पष्ट ही नहीं हो पा रहा कि वह कांग्रेस में है या नहीं। वह मेहगांव से टिकट मांग रहे हैं।

मुंगावली में भी डाले डोरे

मुंगावली विधानसभा में भी उपचुनाव होना है। यहां से भारतीय जनता पार्टी की ओर से बृजेंद्र सिंह यादव प्रत्याशी होंगे। इनके खिलाफ मजबूत प्रत्याशी नहीं मिलने पर गुना शिवपुरी के भाजपा सांसद केपी सिंह यादव के भाई के परिवारजनों पर डोरे डाले जा रहे हैं। इस परिवार से पिछले दिनों पूर्व मंत्री सचिन यादव ने मुलाकात कर कुछ ऐसे ही संकेत दिए हैं। इसी तरह गोहद में जयनारायण सगर और जगदीश सगर, मेहगांव में राजेंद्र सिंह गुर्जर, बमोरी में डा केएल अग्रवाल, सुमावली में अजब सिंह कुशवाह टिकट के दावेदार बने हुए हैं। जिससे कहीं न कहीं कांग्रेस के नेता एवं मूल कार्यकर्ता बेहद आहत हैं।

कांग्रेस के इन दावेदारों में हलचल

यदि आयातित नेताओं को टिकट दिए जाते हैं तो कांग्रेस में लंबे समय से टिकट के दावेदार बने कई नेताओं की राजनीति धरी रह जाएगी। इनमें ग्वालियर पूर्व से चंद्रमोहन नागौरी, वासुदेव शर्मा, ब्रजमोहन परिहार, देवेंद्र शर्मा, मितेन्द्र सिंह, दुष्यंत साहनी, ग्वालियर से सुनील शर्मा, अशोक शर्मा एवं वीरेंद्र सिंह तोमर, डबरा से वृंदावन कोरी, सुरेश राजे, अमर सिंह माहौर, चतुर्भुज धनौलिया एवं गुंजा जाटव, करैरा से शकुंतला खटीक, केएल राय, मुंगावली से प्रदुम्न सिंह दांगी, राजेंद्र लोधी, मेहगांव से बृजकिशोर शर्मा उर्फ कल्लू, रायसिंह, गोहद से रामनारायण हिंडोलिया, डॉ कमलेश, इंदौरिया, मेवाराम जाटव, बमौरी से सुमेर सिंह, सुमावली से मानवेंद्र गांधी और भाण्डेर से कमलापत आर्य कई नेताओं के नाम शामिल हैं।

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