कांग्रेस में खुशियां, भाजपा में मंथन का दौर शुरू

कांग्रेस में खुशियां, भाजपा में मंथन का दौर शुरू
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ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। ग्वालियर -चंबल अंचल में जिस तरह से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 27 सीटें हासिल कर भाजपा की कमर तोड़कर रख दी है,उससे कांग्रेस में खुशियों का दौर है। वहीं भाजपा में मंथन का दौर शुरू हो गया है। इसी के साथ दोनों ही दलों में जहां-जहां से प्रत्याशी हारे हैं, वहां पर हार के कारणों पर विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही दोनों ही दलों में भीतरघात को लेकर भी शिकायतें आना शुरू हो गई हैं।

उल्लेखनीय है कि ग्वालियर चंबल संभाग में अब तक भाजपा के पास 20, कांग्रेस के पास 10 और बसपा के पास दो सीटें थी। लेकिन मौजूदा विधानसभा चुनाव में इसके उलट परिणाम सामने आए हैं। जिसमें 34 में से 27 सीटों पर कांग्रेस ने विजय हासिल की है। वहीं भाजपा को 20 से 6 सीटों पर आना पड़ा है।वहीं बसपा मात्र एक सीट पर जीत हासिल कर सकी है। इसे एक तरह से कांग्रेस की लहर माना जा रहा है।कहा जा रहा है कि भाजपा के नेता जनता को अपनी विकासगाथा और कामों को लेकर लुभाने में नाकामयाब रहे।वहीं कांग्रेस ने सरकार की नाकामियां गिनाई जो जनता को पसंद आई। जिसमें किसान और बेरोजगारी मुद्दे को प्रमुख माना गया है। ग्वालियर जिले की बात की जाए तो 6 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने 5 सीटें जीतकर भाजपा को जमीन सुंघा दी है।भाजपा सिर्फ एक सीट हासिल कर सकी है।भाजपा के दो मंत्री लाज बचाने में सफल रहे हैं,जिसमें शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया और दतिया से डॉ. नरोत्तम मिश्रा के नाम हैं। जबकि अन्य मंत्री जीत से काफी दूर रहे।सिर्फ नारायण सिंह कुशवाह ही अंत तक जीत-हार के बीच जूझते रहे।चुनाव में कांग्रेस ने जो नारा दिया था वह उसमें सफल हुए हैं, जिसमें वकत है बदलाव का की बात कही गई थी।जबकि भाजपा अतिविश्वास में अबकी बार 200 पार का नारा दे रही थी,जिसे जनता ने पूरी तरह ठुकरा दिया।

ग्वालियर विधानसभा में प्रदेश के मंत्री रहे जयभान सिंह पवैया की हार 21 हजार से अधिक की रही। इसमें प्रदुम्न सिंह तोमर का क्षेत्र में रहकर जनता से रूबरू होना और समस्याओं से जूझना प्रमुख कारण माना गया।वहीं ग्वालियर पूर्व में सतीश सिकरवार की हार को मुन्नालाल गोयल का निरंतर सक्रिय रहना और सौम्य छवि को कारण माना गया। यद्यपि सिकरवार ने इस चुनाव को जीतने के लिए लंबे समय से सामाजिक और व्यक्तिगत तरीके से काम किए थे और भाजपा से टिकट लाने में भी उन्हें काफी कठिनाइयां आएं लेकिन जनता ने उनका साथ नहीं दिया।

दक्षिण में त्रिकोणीय मुकाबले में जीत-हार का प्रमुख कारण भाजपा छोड़ निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरी समीक्षा गुप्ता को माना गया है।उन्होंने 30 हजार से अधिक मत पाकर दोनों प्रत्याशियों की जीत में रोड़ा डालने का काम किया। जिसमें नारायण सिंह को पराजय का सामना करना पड़ा। नए चेहरे के रूप में उतरे कांग्रेस के प्रवीण पाठक के लिए यह चुनाव किस्मत चमकाने वाला साबित हुआ।

डबरा में इमरती देवी की जीत प्रत्याशी चयन के बाद ही दिखाई देने लगी थी।लेकिन जीत का अंतर 57 हजार से अधिक पहुंचेगा,इसकी किसी को संभावना नहीं थी। वही लाखन सिंह ने एक बार फिर भितरवार में अनूप मिश्रा को पटखनी देकर सबको अचरज में डाल दिया। क्योंकि अनूप मिश्रा मुरैना की सांसदी छोड़ पूरी ताकत के साथ भितरवार में जुट गए थे और जातीय समीकरण अपने पक्ष में कर चुनाव मैदान में थे। लेकिन वह इतना सब कुछ करने के बाद लाखन के आगे ढेर हो गए।

ग्वालियर ग्रामीण में भाजपा के भारत सिंह कुशवाहा दूसरी बार जीतने में कामयाब रहे। इस जीत के मुख्य शिल्पी कांग्रेस से टूटकर बसपा से चुनाव लड़ने वाले साहब सिंह गुर्जर रहे।उन्होंने कांग्रेस के मदन सिंह कुशवाहा को तीसरे नंबर पर धकेलने में मुख्य भूमिका निभाई और भी अंत तक भारत सिंह से टकराते रहे।

इसके अलावा ग्वालियर चंबल अंचल के मुरैना, भिंड, शिवपुरी, गुना,अशोकनगर, श्योपुर में भी कांग्रेस सफल रही। वहीं भाजपा को एक-एक, दो-दो सीटों से संतोष करना पड़ा।कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ गोविंद सिंह लहार से और केपी सिंह पिछोर से एक बार फिर जीतकर भोपाल पहुंच गए हैं।

जीत का सेहरा सिंधिया के नाम

ग्वालियर- चंबल संभाग में 27 सीटों पर परचम लहराने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का चेहरा सामने है। कहा जा रहा है कि उनके तूफानी दौरों और कड़ी मेहनत के परिणाम स्वरूप ही कांग्रेस 27 सीटों तक पहुंची है। जबकि इन क्षेत्रों में भाजपा की बात की जाए तो यहां केंद्र स्तर से लेकर प्रदेश स्तर के कई बड़े नेता दौरा करने आए थे।

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