राजनीति के खेल में उलझ गया है 'श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर' का निर्माण कार्य
ग्वालियर, न.सं.। राजनीति का खेल बड़ा निराला होता है। इस कलयुग में बेचारे भगवान भी राजनीति से नहीं बच पा रहे हैं। जी हां श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण भी राजनीति के खेल में उलझ गया है और चार वर्षों के बाद भी मंदिर का निर्माण कार्य आज तक पूरा नहीं हो सका है। मंदिर निर्माण में जीएसटी मिलाकर 3.50 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है, जबकि निर्माण कर्ता सुदर्शन इंजीनियरिंग कंपनी को 2.59 करोड़ का भुगतान हो चुका है। अब न्यायालय से निर्णय आने के बाद ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो पाएगा।
उल्लेखनीय है कि आज से चार वर्ष पूर्व वर्ष 2017-2018 में मध्य प्रदेश चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पूर्व पदाधिकारी जगदीश मित्तल की सुदर्शन इंजीनियरिंग कंपनी द्वारा मंदिर निर्माण का कार्य शुरू किया था। मंदिर निर्माण में 3.11 करोड़ निर्माण और 39 लाख जीएसटी का मिलाकर 3.50 करोड़ का कुल खर्च आया है। लेकिन मंदिर राजनीति के खेल में उलझ कर रह गया है और इसका मामला न्यायालय में पहुंच गया है। इसके साथ ही न्यायालय ने मंदिर कमेटी को भंग कर रिसीवरों की नियुक्ति कर दी है। इसके साथ ही पैसे भुगतान को लेकर मंदिर निर्माण का कार्य पिछले कई महीनों से रूका हुआ है।
पहले होगी काम की समीक्षा, तब होगा भुगतान:-
मंदिर रिसीवरों का कहना है कि हमारे आने से पहले कंपनी को 2.59 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका था अब 90 लाख रुपए का भुगतान बकाया है। लेकिन हमारा मानना है कि जितना भुगतान हुआ है उसके अनुसार काम नहीं हुआ है। हमारा कहना है कि पहले एक तकनीकि कमेटी का गठन किया जाए। इसके बाद कमेटी समीक्षा करेगी की भुगतान के अनुसार मंदिर का निर्माण हुआ है या नहीं। उसके बाद ही भुगतान संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
सही ढंग से नहीं हो पा रहे हैं मंदिर के कार्य:-
मंदिर से जुड़े कुछ लोगों ने इस मंदिर को राजनीति के दावं पेच में ऐसा फंसा दिया है कि न तो मंदिर का निर्माण हो पा रहा है और न ही मंदिर के आयोजन ढंग से हो पा रहे हैं। मंदिर के पदाधिकारी असतित्व में नहीं होने के कारण रिसीवरों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और काम भी प्रभावित हो रहे हैं। मंदिर का फर्श भी खराब हो रहा है। गुंबद पर बांस बल्ली लगे हुए हैं। मंदिर के आसपास के क्षेत्र में गंदगी का साम्राज्य व्याप्त है।
इनका कहना है:-
'मंदिर के लिए एक तकनीकि कमेटी का गठन किया जाएगा। वह समीक्षा करेगी की भुगतान के अनुसार मंदिर का कितना कार्य हुआ है। इसके बाद ही कुछ तय किया जाएगा।'
संजय चतुर्वेदी
रिसीवर, श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर
'हमें जितना भुगतान हुआ था उतना काम कर चुके हैं। कमेटी समीक्षा कर सकती है कि भुगतान के अनुसार कार्य हुआ है या नहीं। '
जगदीश मित्तल
सुदर्शन इंजीनियरिंग कंपनी